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कविता का जीवन-पटल ! अपने आप को ढूँढना, जीवन को समझना-बूझना, जीवन-निर्माण को टटोलना ! बस, एक अनगढ़ यात्रा! जीवन की, साहित्य की!

San Franscisco
Joined August 2022
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@MatramKavya
MatramKavya
3 years
गण को, गणों को, गुण-गणों को नमन! गणों के ईश को नमन! सहेतु या अहेतु, सहित या रहित, जग, सजग, माता-पिता को धारे, जीवन के सीधे व वक्र-चक्र को सँभाले, आदि और अनंत, तुझको नमन! #गणेश_चतुर्थी !
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@MatramSatish
Satish Kumar
6 hours
@AuthorAtul नमन। विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी सादगी अनमोल रही। रचनाओं में भी, जीवन में भी। उनकी कविताएँ मानो रूक-रूक कर अपने पूरे भाव-बोध में पाठक को डुबोती चलती हैं। एक नया परिचय गढ़ देती हैं। वो परिचय जो पाठक को अपना-अपना लगने लगता है। #विनोद_कुमार_शुक्ल जी नमन।
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@AuthorAtul
Atul Kumar Rai
8 hours
वो जानते थे कि घर बाहर जाने के लिए उतना नही होता, जितना लौट आने के लिए होता है। उनको पता था कि दीवार में खिड़की रहती है,जिसके उस पार मनुष्य अंतर्द्वंद्व रहता है। एक नौकर की कमीज़ भी होती है, जिस पर मानव मन के सारे दाग उभर आते हैं.. धीरे-धीरे। इसलिए आज वो धीरे-धीरे हम सबके बीच से
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@avatans
Avatans Kumar 🕉
6 hours
यादें जे.एन.यू. की ------------- मुद्दतों बाद, बिसरे पुराने इक दोस्त सेमुलाक़ात हुई. कुछ छलके जाम, कुछ जश्न हुए कुछ गज़लें छलकीं, कुछ तैरे गीत कुछ खुश्क मदहोश हवाओं में फैली तरन्नुम दफ़तन. कुछ भूली-बिसरी कुरेदीं यादें कुछ जख्म भरे, कुछ हरे हुए कुछ गर्द उड़ी, भड़के शोले, सैलाब
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@MatramSatish
Satish Kumar
6 hours
उनकी एक कविता “घर” पर है, उस कविता की याद मुझे अब भी आती है। बार-बार, बारम्बार ! #विनोद_कुमार_शुक्ल जी #विनोदकुमारशुक्ल ! नमन।
@MatramSatish
Satish Kumar
6 hours
@KumarMukul15 जी : दिल्ली में एक छोटी सी भेंट हुई थी। संभवतः विज्ञान-भवन में। समारोह में तब उन्हें पुरस्कृत किया गया था। साधारण क़मीज़, पैंट, हवाई चप्पल पहने थे।कोई अहंकार नहीं।उनकी कविताओं पर कुछ बातें हुईं। समय यों बीत गया! सादर नमन!
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@MatramSatish
Satish Kumar
6 hours
@KumarMukul15 जी : दिल्ली में एक छोटी सी भेंट हुई थी। संभवतः विज्ञान-भवन में। समारोह में तब उन्हें पुरस्कृत किया गया था। साधारण क़मीज़, पैंट, हवाई चप्पल पहने थे।कोई अहंकार नहीं।उनकी कविताओं पर कुछ बातें हुईं। समय यों बीत गया! सादर नमन!
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@MatramSatish
Satish Kumar
6 hours
#विनोद_कुमार_शुक्ल जी को विनम्र श्रद्धांजलि! उनकी रचनाओं की आत्मीयता साहित्य की,हिंदी साहित्य की अनमोल निधि है! वर्षों पहले पहली बार उनकी कविताएँ मैंने पढ़ी थी। फिर बार-बार उनकी ओर लौटता रहा- छोटी-छोटी पंक्तियों में सरलता से बड़े आत्म-बोध से जुड़ जाने के लिए।नमन! #हिंदी #लेखनी
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@MatramKavya
MatramKavya
7 hours
“a faltering heartbeat, offered up as an alibi.” Very nice!
@chandanas
chandana
8 hours
In the blink of an eye, from withered white to the gray of night, the mighty #jump of day witnessed a hello & a goodbye, separated only by a faltering heartbeat, offered up as an alibi. They spoke words, polished &rehearsed, but I saw beneath: the suffering, the ache. #vss365
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@TBGTNT
☘️celtic princess🧚🏻‍♀️
14 days
I dream of snow in a silent land that shimmers & glistens as moonbeams glow I hear a cry from a distant realm a mournful plea to a Winter Sky I feel the glee of the crunch underfoot I slide & sink in childlike reverie ©️Tereza Gillespie 2025 #poetry #WINTER #snow 📸@TBGTNT
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@pulinrstripathi
Pulin
2 days
लिखना था तो निर्झर लिखते नदिया, झील, समुंदर लिखते लेकिन रेत उदास लिखी है मेरे इन तपते अधरों पर तुमने केवल प्यास लिखी है मैने चाहा दीप जलाऊँ और मनाऊँ मैं दीवाली किंतु हमारे हिस्से में थीं गुमसुम-गुमसुम रातें काली लिखना था उजियारे लिखते चंदा-सूरज-तारे लिखते
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@Yadu_InTheNorth
डॉ॰ टीरियन यादव
3 days
तुझसे गुज़र कर जो गुजरा है वो एक रास्ता तो है, लाख तन्हा छोड़ दे मुझको पर तुझसे मेरा वास्ता तो है, जीवन में रंज हो या आमोद हो तेरी वजह से कुछ दास्ताँ तो है, छोड़ दे यूँ तन्हा मरने को या गले लगा ले तुझसे मेरा राब्ता तो है।।
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@MatramKavya
MatramKavya
1 day
#आतंकवाद !
@MatramSatish
Satish Kumar
1 day
“आतंक का मरघट बसा है, - - जीवन निरीह घूर रहा, मानवता है रो रही। - इधर, मैं प्रेम के बंध सजाऊँ? प्यारी साँझ के लाल कपोल, मन का अभिसार देखूँ? तृष्णा-पंखों पर चढ़कर पुतलियों के आर-पार तितलियों के साथ उड़ूँ? भौरों का गुंजार सुनुँ? फूलों से शृंगार करूँ? https://t.co/q3BUyZLxor
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@MatramSatish
Satish Kumar
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“आतंक का मरघट बसा है, - - जीवन निरीह घूर रहा, मानवता है रो रही। - इधर, मैं प्रेम के बंध सजाऊँ? प्यारी साँझ के लाल कपोल, मन का अभिसार देखूँ? तृष्णा-पंखों पर चढ़कर पुतलियों के आर-पार तितलियों के साथ उड़ूँ? भौरों का गुंजार सुनुँ? फूलों से शृंगार करूँ? https://t.co/q3BUyZLxor
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@MatramSatish
Satish Kumar
1 day
“परम्परा के परों की उड़ानें बड़ी होती हैं! - - समुद्र, आसमान और हवा परम्परा नहीं हैं? उनके व्यक्तित्व, उनके चित्त, चरित्र परम्परा के मानक अवयव नहीं हैं? सही-सच्चे अर्थों में, वे पुरातन हैं, सनातन हैं, आधुनिक, अत्याधुनिक भी!” ( : परम्परा ) #परम्परा #लेखनी
@Lekhni_
लेखनी
2 days
#लेखनी पर दिनांक 22 दिसम्बर 2025 के कार्यक्रम, सौजन्य : { @AarTee33 } { @pareeknc7 } 👇 https://t.co/D3EkJiwUTD #परम्परा  #लेखनी ✍️
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@SonneUndSchnee4
Samsaara🌍
2 years
Dogma turns into tradition over time. #Dogma #vss365 #writingcommunity
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@Poonam_morya
☘️ PUNAM MORYA ☘️✍️
1 month
💞A tired soul was not always tired... This soul always tried to explain, Had shown understanding towards people, Situations, and circumstances. Got judged for being oversensitive and an overthinker... And then one day, repeating the same words started exhausting her heart. She
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@Jayanta627
Jayanta Mandal
2 days
🌻অতীতের অভিজ্ঞতা খুবই তিক্ত, তাই, তোমাকে চিরনতুন কল্পনা করি। তুমি যেন দিনের প্রথম আলোর মতো থেকো, তোমাকে ভাবি শরতের প্রথম ফুলের মতো, সময় বদল নিয়ে আসে মানুষের স্বাধীন ইচ্ছেরাও পরাধীন হয়ে যায়, কিন্তু তোমাকে আমি প্রথম দিনের মুগ্ধতার মত মনে রেখেছি , একটা করে নতুন অধ্যায় লিখেছি।
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@Jayanta627
Jayanta Mandal
2 days
🌻একটা গল্পের মধ্যে আরেকটা গল্প বেড়ে ওঠে, তোমার নামের মধ্যে দিয়ে আমি অন্য একটা নামের কল্পনা করি, আর তখনই তোমার নাম আবছা করে ফেলি। বাইরের পৃথিবীর অকারণ সন্দেহ আমার মনের মধ্যে সহজেই আস্তানা গড়ে, হয়তো যেখানে কোনো রহস্য নেই সেখানে আমি কুয়াশার স্বপ্ন দেখি আর বিচ্ছেদের গান শুনি।
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@AarTee33
आरती सिंह
2 days
#परम्परा जब लुप्त होती है सभ्यता अकेलेपन के दर्द मे मरती है। कलमें लगना जानते हो तो ज़रूर लगाओ मगर ऐसी कि फलो में अपनी मिट्टी का स्वाद रहे ! ~ रामधारी सिंह 'दिनकर' #परम्परा #लेखनी ✍️ @pareeknc7 @madhuleka @ShwetaJha24 @Lekhni_ @ParmarA03
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@pareeknc7
Narpati C Pareek 🇮🇳
2 days
@ParmarA03 @AarTee33 @madhuleka @ShwetaJha24 @Lekhni_ @ArchanaVed @alokrsrivastav @KundanS43937985 @arorafbd @arpanvt @ArvindKrYaadav @ashishb15531661 @Ashu_2712 @jaincp61 @ShivajiBhardw10 @DilipKumar18661 @yourVirat @kanchansingh_23 @VineshGaba @SrRuhil @dhirendra0612 @kr0271amit @vds31175 @Sksio3 @MengiKuldip @SatishTangri @mkanoujia78 @DrPujaJha @KavyaKriti_ समतल में दौड़ना यह क्रांति का नाम है लेकिन घाट बांध कर पानी को गहरा बनाना यह #परम्परा का नाम है - रामधारी सिंह दिनकर #परम्परा #लेखनी ✍️
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@AarTee33
आरती सिंह
2 days
@pareeknc7 @ParmarA03 @madhuleka @ShwetaJha24 @Lekhni_ @ArchanaVed @alokrsrivastav @KundanS43937985 @arorafbd @arpanvt @ArvindKrYaadav @ashishb15531661 @Ashu_2712 @jaincp61 @ShivajiBhardw10 @DilipKumar18661 @yourVirat @kanchansingh_23 @VineshGaba @SrRuhil @dhirendra0612 @kr0271amit @vds31175 @Sksio3 @MengiKuldip @SatishTangri @mkanoujia78 @DrPujaJha @KavyaKriti_ बूँद-बूँद से भर जाता घट बूँद–बूंद कर जाता रीत कैसी है ये जग की #रीति ? धक्का देकर अंधियारे को सूरज रोज निकलता अभिनन्दन पाता शबनम से फिर रहता जलता। बढ़ता दिखता घड़ी-घड़ी दिन घड़ी-घड़ी जाता है रीत कैसी है ये जग की रीति? ~ कल्पना 'मनोरमा' #परम्परा #लेखनी ✍️
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