सरस्वती माँ! वागेश्वरी जय,
विभूति वीणा वादिनी जय।
शारदे माँ! सुमति सद्ज्ञान,
संचरित तू ही करती है।
ज्ञान की ज्योति से ब्रह्माण्ड, प्रकाशित तू ही करती है।
जगत आद्यंत व्यापिनी जय,
तमस हरिणी, ज्योतिर्मय जय।
धवल वसना, हंसासिनी जय,
कमल नयनी, कमलासिनी जय..!!
#मृदुल_कीर्ति
#सुप्रभात✍️