#लेखनी है, मित्रों का एक समूह जो रचनाकारों के दिन विशेष पर उन के गद्य और पद्य के अंश ट्वीट कर के उन्हें याद / प्रोत्साहित करता है और स्वयं आनन्दित होता है। 😊
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे #शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे !
~ गोपालदास 'नीरज'
#शूल #लेखनी ✍️
"जब लोग मुझसे कहते हैं कि वे जिम नहीं ज्वाइन कर सकते हैं, मैं कहता हूँ बाहर जाओ; पृथ्वी एक जिम है और हम पहले से ही इसके सदस्य हैं। दौड़ो, कूदो, पसीना बहाओ और तुम्हारे पास जो प्राकृतिक सम्पदा है उसका आनंद उठाओ।"
~ स्टीव मराबोली
#पृथ्वी_दिवस🌏 #लेखनी✍️
#जीवन कटना था, कट गया
अच्छा कटा, बुरा कटा
यह तुम जानो
मैं तो यह समझता हूँ
कपड़ा पुराना एक फटना था, फट गया
जीवन कटना था कट गया !
~ गोपालदास 'नीरज'
#जीवन #लेखनी ✍️
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो !
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम !
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती !
#सोहनलाल_द्विवेदी (1906-1988)
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
#दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है,
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है।
ग़म हो के ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.
~ निदा फाजली
#संसार 🌍 #लेखनी✍️
"केवल कान में मन्त्र देना गुरू का काम नहीं है; संकट से रक्षा करना, शिष्य के कर्म को गति देना भी गुरू का काम है।"
~ लक्ष्मीनारायण मिश्र
#गुरु_पूर्णिमा🙏
#गद्य_कृति✍️
जो बीत गई सो बात गई!
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई..!!
~ हरिवंशराय बच्चन
#कविता_कोश #लेखनी✍️
प्रस्तुति :
@ShardaSuman5
YTLink 👇
ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँच न होय।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निन्दा सोय ।।
भावार्थ: जैसे किसी का आचरण ऊँचे कुल में जन्म लेने से, ऊँचा नहीं हो जाता। इसी प्रकार सोने का घड़ा यदि मदिरा से भरा है, तो वह महापुरुषों द्वारा निन्दित ही है |
~ कबीरदास
#कबीर_प्रकट_दिवस💐
#लेखनी✍️
"घास और कांस स्वयं उगते हैं। उखाड़ने से भी नहीं जाते। अच्छे पौधे बड़ी देख-रेख से उगते हैं। इसी प्रकार बुरे समाचार स्वयं फैलते हैं, छिपाने से भी नहीं छिपते।"
(कहानी- 'विस्मृति')
~ मुंशी प्रेमचंद
#जन्मजयंती💐 #गद्य_कृति✍️
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है !
~ हरिवंशराय बच्चन
#रंग_बरसे 🎉🧫 #लेखनी✍️
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।
अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।
~भारतेंदु हरिश्चंद्र
#विश्व_हिंदी_दिवस #लेखनी✍️
"न मैं अश्लील हूँ , न मेरी देह।
मेरी नग्नता भी अश्लील नहीं
-वही तो तुम्हें जनमती है!
अश्लील है तुम्हारा पौरुष
-औरत को सह नहीं पाता।
अश्लील है तुम्हारी संस्कृति
- पालती है तुम-सी विकृतियों को!
#ऋषभ_देव_शर्मा
#जन्मद���न🎂💐
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
@rishabhadsharma
अफ़सोस नहीं इसका हमको, जीवन में हम कुछ कर न सके,
झोलियाँ किसी की भर न सके, संताप किसी का हर न सके।
अपने प्रति सच्चा रहने का, जीवन भर हमने काम किया,
देखा-देखी हम जी न सके, देखा-देखी हम मर न सके !
#गोपाल_सिंह_नेपाली
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी✍️
कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और—
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।
किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में—
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं..!!☘
#अटल_बिहारी_बाजपेयी
#लेखनी✍
#काव्य_कृति✍ #काव्य✍
यूं ही कुछ मुस्काकर तुमने
परिचय की वो गांठ लगा दी!
था पथ पर मैं भूला भूला
फूल उपेक्षित कोई फूला
जाने कौन लहर ती उस दिन
तुमने अपनी याद जगा दी !
~ त्रिलोचन
#परिचय #लेखनी✍️
देह तो सिर्फ साँस का घर है,
साँस क्या? बोलती हवा भर है,
तुम मुझे अच्छा-बुरा कुछ न कहो
आदमी वक्त का हस्ताक्षर है !
~ गोपालदास 'नीरज'
#मेरी_प्रिय_कविता #लेखनी✍️
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा
काल के कपाल पे लिखता-मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ..!!
#अटल_बिहारी_वाजपेयी
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
शिव सुख करो अघ दुःख हरो, प्रभु आस भरो बरदायक ज्ञानी।
चारों ही ओर प्रकाश सदा शिव, शंभू दयामय साधू अमानी ।।
तव द्वार से प्रेम अपार मिले, सब सार मिले यह सत्य कहानी ।
मन कामना पूरण शीघ्र करो, मेरी अर्ज़ सुनो शिवशंकर दानी ।।
~शिवदीन राम जोशी
#महा_शिवरात्रि #लेखनी ✍️
वह तोड़ती पत्थर;
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर!
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
नत नयन, प्रिय-कर्म-रत मन,
गुरु हथौड़ा हाथ,
करती बार-बार प्रहार..!!
~ निराला
#श्रमिक_दिवस 🛠️ #लेखनी✍️
प्रेम-पथ हो न सूना कभी इसलिए
जिस जगह मैं थकूँ, उस जगह तुम चलो।
प्रेम का पंथ सूना अगर हो गया,
रह सकेगी बसी कौन-सी फिर गली?
यदि खिला प्रेम का ही नहीं फूल तो,
कौन है जो हँसे फिर चमन में कली?
मुस्कराए सदा पर धरा ��सलिए
जिस जगह मैं झरूँ उस जगह तुम खिलो !
~ "नीरज"
#प्रेम🌹 #लेखनी✍️
#साँप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ--(उत्तर दोगे?)
तब कैसे सीखा डँसना--
विष कहाँ पाया?
~ अज्ञेय
#सर्प 🐍 #लेखनी ✍️
ज़िंदगी जब भी तिरी #बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें !
सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तिरी आवाज़ बुलाती है हमें !
~ शहरयार
#सभा #लेखनी✍️
जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं है
छूटे कभी संग बैलों का ऐसा कोई याम नहीं है ।
मुख में जीभ शक्ति भुजा में जीवन में सुख का नाम नहीं है
वसन कहां? सूखी रोटी भी मिलती दोनों शाम नहीं है !
~ रामधारी सिंह 'दिनकर'
#राष्ट्रीय_किसान_दिवस
#लेखनी ✍️
कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे,
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे !
कभी सुख कभी दुख, यही ज़िंदगी हैं
ये पतझड़ का #मौसम घड़ी दो घड़ी हैं
नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तो ढलेंगे !
~योगेश गौड़
#मौसम #लेखनी ✍️
हर किसी को देश पर अभिमान होना चाहिये,
मातृभाषा का सदा सम्मान होना चाहिये!
एक भाषा राष्ट्र की हो है जरूरी यह बहुत
राष्ट्रभाषा की हमें पहचान होना चाहिये !
~ रंजना वर्मा
#मातृभाषा #लेखनी ✍️
"मन मैला तन ऊजरा भाषण लच्छेदार
ऊपर सत्याचार है भीतर भ्रष्टाचार,
झूठों के घर पंडित बाँचें कथा सत्य भगवान की
जय बोलो बेईमान की!"
#काका_हाथरसी (प्रभुलाल गर्ग: 1906-1995)
#जन्मजयंती एवं #पुण्यतिथि
#लेखनी✍️
नागफनी आँचल में बाँध सको तो आना
धागों बिन्धे गुलाब हमारे पास नहीं।
हम तो ठहरे निपट अभागे
आधे सोए, आधे जागे
थोड़े सुख के लिए उम्र भर
गाते फिरे भीड़ के आगे
कहाँ-कहाँ हम कितनी बार हुए अपमानित
इसका सही हिसाब हमारे पास नहीं।
~ किशन सरोज
#प्रेम_कविता💖
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना ।
धूप बिछाए फूल–बिछौना,
बग़िया पहने चांदी–सोना,
कलियां फेंके जादू–टोना,
महक उठे सब पात,
हवन की बात न करना
आज बसंत की रात,
गमन की बात न करना..!!
~ नीरज
#बसंत🌻
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
मन ही जब स्थिर नहीं,तब क्या पूजा-पाठ।
पढ़ा रही है ज़िन्दगी,सोलह दूनी आठ॥
आँखों से होती रहे,बिन सावन बरसात।
मन बौराया सा लगे,शिथिल हो गया गात॥
अपने-अपने भाग्य का,सभी भोगते भोग।
भाग्य बने निज कर्म से,यही नियति का योग॥
#सुनीता_पाण्डेय 'सुरभि'
#जन्मदिन💐
#काव्य_कृति✍️#काव्य✍️
"समय की शिला पर मधुर चित्र कितने
किसी ने बनाए, किसी ने मिटाए।
किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी
किसी ने पढ़ा किन्तु दो बूंद पानी
प्रणय-पंथ पर प्राण के दीप कितने
मिलन ने जलाए, विरह ने बुझाए"
~ शंभुनाथ सिंह
#मेरी_प्रिय_कविता
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
नागाधिराज श्रृंग पर खडी हुई,
समुद्र की तरंग पर अडी हुई,
स्वदेश में जगह-जगह गडी हुई,
अटल #ध्वजा हरी, सफेद, केसरी!
न साम-दाम के समक्ष यह रुकी,
न द्वन्द-भेद के समक्ष यह झुकी,
सगर्व आस शत्रु-शीश पर ठुकी,
निडर ध्वजा हरी, सफेद केसरी!
~ हरिवंशराय बच्चन
#ध्वज 🇮🇳 #लेखनी ✍️
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं
मैं बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ
मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं..!!☘
#दुष्यंत_कुमार
#लेखनी✍
#काव्य_कृति✍ #काव्य✍
कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली,
दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली।
पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,
और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे..!!
#दिनकर #पुण्यतिथि🙏
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
गूंजी हिन्दी विश्व में स्वप्न हुआ साकार,
राष्ट्र संघ के मंच से हिन्दी का जयकार।
हिन्दी का जयकार हिन्दी हिन्दी में बोला,
देख स्वभाषा-प्रेम विश्व अचरज से डोला।
कह कैदी कविराय मेम की माया टूटी,
भारत माता धन्य स्नेह की सरिता फूटी !
~ अटल बिहारी वाजपेई
#विश्व_हिंदी_दिवस #लेखनी ✍️
ऐसा तेरा लोक, वेदना
नहीं, नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं
जिसने जाना मिटने का स्वाद!
क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे
यह मेरा मिटने का #अधिकार!
~ महादेवी वर्मा
#अधिकार #लेखनी ✍️
हिंदी इस देश का गौरव है, हिंदी भविष्य की आशा है
हिंदी हर दिल की धड़कन है, हिंदी जनता की भाषा है
इसको कबीर ने अपनाया
मीराबाई ने मान दिया
आज़ादी के दीवानों ने
इस हिंदी को सम्मान दिया
~ देवमणि पांडेय
#हिंदी_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 💐
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍🏻
कानन को मत काटिये, वह तेरा हमराज
काटे जो इसको अगर, साथ गिरेगी गाज।
#पर्यावरण अब रो रही, बहती अश्रु की घार
जल-वायु प्रदूषित हुआ, सूरज है अंगार।
~ बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’
#विश्व_पर्यावरण_दिवस 🌱🌿
#लेखनी ✍️
बुद्ध भगवान !
जहाँ था धन, वैभव, ऐश्वर्य का भंडार,
जहाँ था, पल-पल पर सुख,
जहाँ रूप, रस, यौवन की थी सदा बहार,
वहाँ पर लेकर जन्म ,
वहाँ पर पल, बढ़, पाकर विकास,
कहाँ से तुममें जाग उठा
अपने चारों ओर के संसार पर
संदेह, अविश्वास ?
~ हरिवंशराय बच्चन
#बुद्ध_पूर्णिमा #लेखनी ✍️
नर हो, न निराश करो #मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो !
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को !
~ मैथिलीशरण गुप्त
#मन #लेखनी✍️
बहुत मुश्किल होता है
कुछ छोड़कर भी
कुछ न छोड़ पाना
और वहां बहुत कुछ
छूटा रह जाना !
हर बार ऐसा ही कुछ होता है
हर घर से #विदा लेते हुए
हर रिश्ते के साथ मुकम्मल
कभी नहीं हो पाता वह 'घर'
जहां छूट जाती हैं
कुछ बहुत खास यादें !
~ संगीता शर्मा अधिकारी
#विदा #लेखनी ✍️
@pareeknc7
बहरों को फ़रियाद सुनाना, अच्छा है पर कभी-कभी,
अंधों को दर्पण दिखलाना, अच्छा है पर कभी-कभी !
ऐसा न हो तेरी कोई, उँगली ग़ायब हो जाए,
नेताओं से हाथ मिलाना, अच्छा है पर कभी-कभी !
~ हुल्लड़ मुरादाबादी
#विश्व_हास्य_दिवस 😄
#लेखनी ✍️
तुम माधव का चक्र लिखो मैं कान्हा का शृंगार लिखूंगा,
तुम कविता में नफ़रत लिखना, मैं तो केवल प्यार लिखूंगा।
तुम लिख देना खुली जटाएँ, मैं गंगा कि धार लिखूंगा।
उसी काल मैं वृन्दावन में माखन का व्यापार लिखूंगा।
#अभिषेक_औदिच्य
#जन्मदिन💐
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः ।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ৷৷1.9৷৷
भावार्थ : और भी मेरे लिए जीवन की आशा त्याग देने वाले बहुत-से शूरवीर अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित और सब-के-सब युद्ध में चतुर हैं ॥9॥
~ महर्षि वेद व्यास
#गीता_जयंती #लेखनी✍️
#चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ !
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक !
~ माखनलाल चतुर्वेदी
#चाह #लेखनी ✍️
मै अनंत पथ में लिखती जो
सस्मित सपनों की बाते
उनको कभी न धो पायेंगी
अपने आँसू से रातें!
उड़ उड़ कर जो धूल करेगी
मेघों का नभ में अभिषेक
अमिट रहेगी उसके अंचल-
में मेरी पीड़ा की रेख !
#महादेवी_वर्मा
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
जय राष्ट्रीय निशान!
जय राष्ट्रीय निशान!!!
लहर लहर तू मलय पवन में,
फहर फहर तू नील गगन में,
छहर छहर जग के आंगन में,
सबसे उच्च महान!
सबसे उच्च महान!
जय राष्ट्रीय निशान!!
#सोहनलाल_द्विवेदी
#जन्मजयंती💐🙏
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ !
#अटल_बिहारी_वाजपेयी
#पुण्यतिथि🙏💐 #लेखनी ✍️
आओ फिर से करुणावतार !
वट-तट पर हृदय अधीर लिये,
है खड़ी सुजाता खीर लिये;
खाले कुटिया के बंद द्वार।
आओ फिर से करुणावतार..!!
~ सोहनलाल द्विवेदी
#बुद्धपूर्णिमा🙏
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
आज फिर शुरू हुआ जीवन !
आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी #कविता पढ़ी
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा
जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया !
आज एक छोटी-सी बच्ची आई,किलक मेरे कन्धे चढ़ी
आज मैंने आदि से अन्त तक पूरा गान किया !
~ रघुवीर सहाय
#विश्व_कविता_दिवस
#लेखनी ✍️
आ गया नवरात्र माँ की भक्ति का त्यौहार ।
सज रहा है माँ भवानी का सुघर दरबार।।
रक्त वसना आभरण युत खुले कुंचित केश
सिंह पर शोभित सुकोमल शक्ति का आगार।।
~ रंजना वर्मा
#मातृशक्ति🙏 #लेखनी ✍️
जब भी मुँह ढक लेता हूँ
तेरे जुल्फों के #छाँव में
कितने गीत उतर आते है
मेरे मन के गाँव में !
एक गीत पलकों पर लिखना
एक गीत होंठो पर लिखना
यानि सारी गीत हृदय की
मीठी-सी चोटों पर लिखना !
~ डॉ कुमार विश्वास
#छाया #लेखनी ✍️
@DrKumarVishwas
हर ईंट सोचती है कि दीवार उस से है,
हर सर यही समझता है दस्तार उस से है।
घर को बनाएँ घर सदा घर के ही लोग सब,
और आदमी समझता है #परिवार उस से है !
~ गुरचरन मेहता 'रजत'
#परिवार 👨👩👦👦 #लेखनी ✍️
@pareeknc7
@AarTee33
#सौंदर्य-बोध
मानव-मन की सबसे बड़ी नियामत है।
कलाएँ विविध प्रकार से
इसी को सहेजती रहती हैं
परंतु क्या विडंबना है
कि अपढ़ गँवार श्रमजीवी
रोटी-बोध तक सीमित रह जाते हैं !
~ राम दरश मिश्र
#सौंदर्य #लेखनी ✍️
सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है।
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार।
तूफानों की ओर घुमा दो
नाविक निज पतवार..!!
~शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
#राष्ट्रीय_युवा_दिवस #लेखनी ✍️
ये गुँथे-गुँथे बतियाते पल
कल तक गूँगे हो जाएँगे,
होंठों से उड़ते भ्रमर-गीत
सूरज ढलते सो जाएँगे।
जितना उड़ती है आयु-परी
इकलापन बढ़ता जाता है
सारा जीवन निर्धन करके
ये पारस पल खो जाएँगे..!!☘
#भारत_भूषण
#जन्मजयंती🙏
#काव्य✍️#काव्य_कृति✍️
परिवर्तन का ये क्रम
चलेगा यूं ही हर क्षण
जीवन-मृत्यु, जय-पराजय
उदय और अस्त की कथा दुर्दम
अंत में शेष यदि रहता है कुछ
तो केवल प्रेम और विश्वास...!!
~पूजा झा
#अलविदा2023 #लेखनी✍️
@DrPujaJha
तुम पथ हो, मैं हूँ रेणु,
तुम हो राधा के मनमोहन,
मैं उन अधरों की वेणु।
तुम पथिक दूर के श्रांत
और मैं बाट - जोहती आशा,
तुम भवसागर दुस्तर
पार जाने की मैं अभिलाषा..!!☘
#निराला #पुण्यतिथि🙏
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
#भरोसा कर लिया जिस पर, उसी ने हमको लूटा है
कहाँ तक नाम गिनवाएँ, सभी ने हमको लूटा है।
कभी बढ़कर हमारा रास्ता रोका अन्धेरों ने,
कभी मंज़िल दिखाकर रोशनी ने हमको लूटा है।
~ नक़्श लायलपुरी
#विश्वास #लेखनी ✍️
सुभाष का #प्रसार हो, धरा कला विहार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।
समान दृष्टि भाव हो, समाज से लगाव हो।
कुबुद्धि पंथ दूर हो, मनुष्यता स्वभाव हो।
सुवास द्वार-द्वार हो, सुभाव बुद्धि धार हो।
रचो चरित्र कर्म से, सुनो सभी! सुधार हो।
~ श्वेता राय
#प्रसार #लेखनी ✍️
मसखरा मशहूर है, आँसू बहाने के लिए
बाँटता है वो हँसी, सारे ज़माने के लिए।
घाव सबको मत दिखाओ, लोग छिड़केंगे नमक,
आएगा कोई नहीं मरहम लगाने के लिए..!!
#हुल्लड़_मुरादाबादी (1942-2014)
(मूल नाम : सुशील कुमार चड्ढा)
#जन्मजयंती 💐
#लेखनी✍️
राजमिस्त्री से हुई क्या चूक, गारे में?
बीज को संबल मिला रजकण तथा जल का।
तोड़कर पहरे कड़े पाबंदियों के आज,
उग गया है एक नन्हा गाछ पीपल का..!!☘
~ बुद्धिनाथ मिश्र
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
मित्रो ! #होली का पर्व सन्निकट है,आप सभी से विनम्र निवेदन है कि होली पर्व तक निरंतर नीचे दिये गए हैश टैग के अंतर्गत मर्यादित रूप से (किसी को बुरा न लगे) होली से संबंधित दोहे, कविताएं, गीत तथा अन्य गरिमामय सामग्री ट्वीट करें।
~ (रचनाकार का नाम)
#रंग_बरसे🎉🧫 #लेखनी ✍️
@madhuleka
स्त्री के बिना घर
दीवारों से घिरा भूखण्ड है
संवेदनहीन... सारहीन...
स्त्री होना अभिशाप नहीं है
इच्छाओं के पंखों पर उड़ कर
बाँध सकती है वह
अश्वमेध का अश्व सूर्य तक
स्त्री सम्पूर्ण है..!!☘
#नीरजा_हेमेन्द्र
#लेखनी✍
#काव्य_कृति✍️ #काव्य✍️
वेदों में भी है लिखा, #गंगा का गुणगान।
कट जाते हैं पाप सब, कर गंगा-स्नान॥
गंगा गरिमा हिन्द की, देवों का वरदान।
होता है जीवन सफल, कर इसका जल पान॥
विष्णुपदी भागीरथी, माँ गंगा का नाम।
इसके घाटों पर बसे, सारे पावन धाम॥"
~ गरिमा सक्सेना
#गंगा #लेखनी✍️
@pareeknc7
@tripathiarun123
मिट्टी की महिमा मिटने में
मिट-मिट हर बार सँवरती है
मिट्टी मिट्टी पर मिटती है
मिट्टी मिट्टी को रचती है !
मिट्टी में स्वर है, संयम है, होनी अनहोनी कह जाए
हँसकर हालाहल पी जाए, छाती पर सब कुछ सह जाए !
#शिवमंगल_सिंह 'सुमन'
#जन्मजयंती 💐 #लेखनी ✍️
प्रेम हृदय की बस्तु है, परम गुह्य अनमोल।
कथनी में आवै नहीं, सकै न कोऊ तोल॥
तीन लोक की #संपदा, इंद्रभवन कौ राज।
प्रेमी तृन-सम लखत तेहि, तजत प्रेम के काज॥
~ हनुमान प्रसाद पोद्दार
#संपदा 💰 #लेखनी ✍️
एक तू ही भरोसा, एक तू ही सहारा
इस तेरे जहां में नहीं कोई हमारा
ईश्वर, या अल्लाह, ये पुकार सुन ले
ईश्वर, या अल्लाह, हे दाता..!!🎶
~ मजरूह सुल्तानपुरी
फिल्म : पुकार (2000)
#लता_मंगेशकर
#जन्मजयंती💐 #लेखनी ✍️
@mangeshkarlata
@hridaynathdm
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ !
#हरिवंशराय_बच्चन
#पुण्यतिथि #लेखनी✍️
पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
पृथ्वी कहती #धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार,
नभ कहता है फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार!
~ सोहनलाल द्विवेदी
#धैर्य #लेखनी ✍️
फूलों के दिन में पौधों को प्यार सभी जन करते हैं,
मैं तो तब जानूँगी जब पतझर में भी तुम प्यार करो।
जब ये केश श्वेत हो जायें और गाल मुरझाये हों,
बड़ी बात हो रसमय चुम्बन से तब भी #सत्कार करो..!!
~ रामधारी सिंह 'दिनकर'
#सत्कार 🙏 #लेखनी ✍️
हे प्रभो! आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
गत हमारी #आयु हो प्रभु! लोक के उपकार में
हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में !
~ पं रामनरेश त्रिपाठी
#आयु #लेखनी ✍️
राम राम गाओ संतो, राम राम गाओ।
राम-नाम गाइ-गाइ रामको रिझाओ॥
रामहिको नाम जपो, रामहिको ध्याओ।
राम राम राम कहत प्रमुदित ह्वै जाओ॥
राम राम सुनि-सुनाइ हिय अति हुलसाओ।
राम राम राम रटत सब बिधि सुख पाओ॥
~ हनुमान प्रसाद पोद्दार
#रामनवमी #लेखनी✍️
नीला गगन... तेरा श्याम वर्ण!
दिखे भष्म युक्त तेरा आवरण...
भानू किरण से भी परे
ओंकारयुक्त वातावरण
ब्रह्मांड की उन रिक्ति में
अदृश्य-सा निःस्वास तू
लुप्त तू... आभास तू
पर है मेरा विश्वास तू
देवों के देव.... हे महादेव...!
~ लता सिन्हा ज्योतिर्मय
#महाशिवरात्रि
#काव्य_कृति ✍️ #काव्य✍🏻
असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती,
#कोशिश करने वालों की हार नहीं होती !
~ सोहनलाल द्विवेदी
#प्रयास #लेखनी ✍️