अर्पण
@arpanvt
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जय बजरंगबली 🙏 कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहिं के बल घालेहि बन खीसा।। की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही।। मारे निसिचर केहिं अपराधा। कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा।। सुन रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचित माया।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 दसमुख सभा दीखि कपि जाई। कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई।। कर जोरें सुर दिसिप बिनीता। भृकुटि बिलोकत सकल सभीता।। देखि प्रताप न कपि मन संका। जिमि अहिगन महुँ गरुड़ असंका। दो0-कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद। सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिषाद। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 तेहि देखा कपि मुरुछित भयऊ। नागपास बाँधेसि लै गयऊ।। जासु नाम जपि सुनहु भवानी। भव बंधन काटहिं नर ग्यानी।। तासु दूत कि बंध तरु आवा। प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा।। कपि बंधन सुनि निसिचर धाए। कौतुक लागि सभाँ सब आए।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई। ताहि एक छन मुरुछा आई।। उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया। जीति न जाइ प्रभंजन जाया।। दो0-ब्रह्म अस्त्र तेहिं साँधा कपि मन कीन्ह बिचार। जौं न ब्रह्मसर मानउँ महिमा मिटइ अपार ब्रह्मबान कपि कहुँ तेहि मारा। परतिहुँ बार कटकु संघारा।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 चला इंद्रजित अतुलित जोधा। बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा कपि देखा दारुन भट आवा कटकटाइ गर्जा अरु धावा अति बिसाल तरु एक उपारा। बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा रहे महाभट ताके संगा। गहि गहि कपि मर्दइ निज अंगा तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा। भिरे जुगल मानहुँ गजराजा जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 आवत देखि बिटप गहि तर्जा। ताहि निपाति महाधुनि गर्जा।। दो0-कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि। कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि।। सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना।। मारसि जनि सुत बांधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 नाथ एक आवा कपि भारी। तेहिं असोक बाटिका उजारी। खाएसि फल अरु बिटप उपारे। रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे। सुनि रावन पठए भट नाना। तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना। सब रजनीचर कपि संघारे। गए पुकारत कछु अधमारे। पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा। चला संग लै सुभट अपारा।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं। जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं दो0-देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु। रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा। फल खाएसि तरु तोरैं लागा।। रहे तहाँ बहु भट रखवारे। कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 बार बार नाएसि पद सीसा। बोला बचन जोरि कर कीसा।। अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता। आसिष तव अमोघ बिख्याता।। सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा। लागि देखि सुंदर फल रूखा।। सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी। परम सुभट रजनीचर भारी।। जय श्री राम 🙏
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🙏जय बजरंगबली 🙏 मन संतोष सुनत कपि बानी। भगति प्रताप तेज बल सानी।। आसिष दीन्हि रामप्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना।। अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू।। करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 मोरें हृदय परम संदेहा। सुनि कपि प्रगट कीन्ह निज देहा।। कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा।। सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ।। दो0-सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल। प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल।।16।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई। प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई कछुक दिवस जननी धरु धीरा। कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं। तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना जातुधान अति भट बलवाना मोरें हृदय परम संदेहा। सुनि कपि जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई।। दो0-निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु। जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु।।15।। जौं रघुबीर होति सुधि पाई। करते नहिं बिलंबु रघुराई।। रामबान रबि उएँ जानकी। तम बरूथ कहँ जातुधान की।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं। जानु प्रीति रसु एतेनहि माहीं।। प्रभु संदेसु सुनत बैदेही। मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही।। कह कपि हृदयँ धीर धरु माता। सुमिरु राम सेवक सुखदाता।। उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा। बारिद तपत तेल जनु बरिसा।। जे हित रहे करत तेइ पीरा। उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा।। कहेहू तें कछु दुख घटि होई। काहि कहौं यह जान न कोई।। तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 जनि जननी मानहु जियँ ऊना। तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना।। दो0-रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर। अस कहि कपि गद गद भयउ भरे बिलोचन नीर।। कहेउ राम बियोग तव सीता। मो कहुँ सकल भए बिपरीता।। नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू। कालनिसा सम निसि ससि भानू।। जय श्री राम 🙏
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🙏जय बजरंगबली 🙏 कबहुँ नयन मम सीतल ताता। होइहहि निरखि स्याम मृदु गाता।। बचनु न आव नयन भरे बारी। अहह नाथ हौं निपट बिसारी।। देखि परम बिरहाकुल सीता। बोला कपि मृदु बचन बिनीता।। मातु कुसल प्रभु अनुज समेता। तव दुख दुखी सुकृपा निकेता।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 बूड़त बिरह जलधि हनुमाना। भयउ तात मों कहुँ जलजाना।। अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी। अनुज सहित सुख भवन खरारी।। कोमलचित कृपाल रघुराई। कपि केहि हेतु धरी निठुराई।। सहज बानि सेवक सुख दायक। कबहुँक सुरति करत रघुनायक।। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 यह मुद्रिका मातु मैं आनी। दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी।। नर बानरहि संग कहु कैसें। कहि कथा भइ संगति जैसें। दो0-कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास। जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी। सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी। जय श्री राम 🙏
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जय बजरंगबली 🙏 रामचंद्र गुन बरनैं लागा। सुनतहिं सीता कर दुख भागा। लागीं सुनैं श्रवन मन लाई। आदिहु तें सब कथा सुनाई श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई। कहि सो प्रगट होति किन भाई तब हनुमंत निकट चलि गयऊ। फिरि बैंठीं मन बिसमय भयऊ राम दूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करुनानिधान की जय श्री राम 🙏
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