~भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च।
अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा॥७- ४॥
👉जल, पावक, धरनी, वायु, गगन
मन, बुद्धि, अहम् यहि प्रकृति है.
इन आठन माहीं विभाजित जो ,
संसार मोरी अनुपम कृति है.!!
@mridulkirti
#भगवद्गीता🖌️
#जय_जय_श्रीराधेकृष्ण🚩🙏🌹
#मंगलमय_सुप्रभात🌿🌄