yamini rampalliwar
@YaminiEditor
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मैं पत्रकार और अनुवादक भी ... 'मुझे इंसानियत का दर्द भी बख़्शा है कुदरत ने मेरा मक़सद फ़क़त शोलानवाई हो नहीं सकता.'
Nagpur
Joined August 2012
हार्दिक आभार 🙏🌹🙏
सती का अर्थ क्या है? सावित्री कौन थीं? सती-सावित्री को आज की स्त्रियां किस रूप में देखती हैं? सती सावित्री स्त्री-शक्ति की परिचायक हैं, या केवल कहानियों का हिस्सा? हिंदू, बौद्ध और जैन साहित्�� ऐसी कहानियों से भरा पड़ा है, जहां महिलाएं पुरुषों को अपना धर्म परिभाषित नहीं करने देती
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*BABA* Today you would have turned *100*. And though you're not here to celebrate with us, we feel your presence in every smile, in every quiet strength we carry. We miss your laughter, your ever-hopeful heart.But most of all, we miss *YOU*. ✨ *SANJU, HEMU, YAMINI*
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प्रत्येक राष्ट्रपति का चुनाव 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है। डॉ राजेंद्र प्रसाद एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें दो कार्यकाल के लिए चुना गया था।
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सात्विक जीवनशैली लेखक : सुबह सराफ , हर्षवर्धन सराफ प्रकाशक : पेंगुइन स्वदेश @PenguinIndia @mathur_vaishali @drsanjivkmishra @YaminiEditor
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Finally...Six hundred pages of shadows, secrets and Scandinavian coffee, patiently distilled into Hindi by my caffeine-fueled, ever-curious mind. What a ride. What a feat. ...Ready to find new readers, new hearts. Thanks @ManjulPubHouse 🙏
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Na jaane kis liye umeedwaar baiTha huN Ik aisi #raah pe jo teri rehguzar bhi nahi Shair #raah
@mykhyd @kssirone @Billion478 @dineshmahajan4 @Munaf_Ali @SyedAsg40342647 @YaminiEditor
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@YaminiEditor @PenguinIndia Congratulations !! Is it available online ?
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अविनाश जैसे बौने बुद्धिजीवी साहिर के पीछे ना छुपें, इस लिए, साहिर का ही उत्तर, साहिर के शब्दों में। हम अम्न चाहते हैं मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ गर जंग लाज़मी है तो फिर जंग ही सही ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म में क़ातिल को जो न टोके वो क़ातिल के साथ है हम सर-ब-कफ़ उठे
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है जंग क्या मसअलों का हल देगी ख़ून अपना हो या पराया हो नस्ल-ए-आदम का ख़ून है आख़िर जंग मशरिक़ में हो कि मग़रिब में अम्न-ए-आलम का ख़ून है आख़िर बम घरों पर गिरें कि सरहद पर रूह-ए-ता'मीर ज़ख़्म खाती है खेत अपने जलें कि औरों के ज़ीस्त फ़ाक़ों से तिलमिलाती है
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समुंदर ले गया हम से वो सारी सीपियाँ वापस जिन्हें हम जमअ कर के इक ख़ज़ाना करने वाले थ #ज़फ़र ग��रखपुरी @Rekhta
@dogtired1
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देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे
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इतनी आसानी से आता नहीं लफ़्ज़ों से गुरेज़ आते-आते ही ख़मोशी का हुनर आता है - राजेश रेड्डी اتنی آسانی سے آتا نہیں لفظوں سے گریز آتے- آتے ہی خموشی کا ہنر آتاہے راجیش ریڈی
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