Mukesh Kumar Sinha
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Poet | Blogger | Editor | Gardening | Cooking प्रकाशन: हमिंगबर्ड | ...है न ! (कवितासंग्रह) | लाल फ्रॉक वाली लड़की(लप्रेक)| संपादन: 8 साझासंग्रह | संस्थापक: गूंज
New Delhi, India
Joined January 2011
तुम हो खास बुक मार्क की तरह। मैंने जिंदगी की अपनी सारी किताबों में रखा हुआ है सिर्फ तुम्हे। (विश्व पुस्तक दिवस की शुभकामनाएं 😊)
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सजन तेरे प्यारने हर रंग से मोहे रंग दिया मैं चहकी,मैं नाची उफ़, बहकी तेरे साँसों से जाने क्या क्या न कर दिया #क्षणिका
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“ये लबों को चूमने की चाह रखने वाले, परेशानी की सिलवटों से न जाने कब… रूबरू होंगे?” - गुंजा अग्रवाल
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दो लोग सड़क किनारे महज़ चुपचाप चलते हुए दो लोग तुम्हारे शहर को कितना अनन्त बना देते हैं तुमने कभी सोचा है? (केदारनाथ सिंह)
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चाहो जो तुम्हें नहीं मिला वो सभी को मिले जहां तुम नहीं पहुंच सके वहां हर कोई पहुंचे उनके लिए पुल बनो रास्ते, पगडंडियां बनो उन्हें जाने दो उनकी मंजिल तक और खुशी मनाओ मेरे दोस्त! दूसरों की सफलताओं में विघ्न नहीं रास्तों की तरह निमित बनना सीखो।। - चित्रा पंवार @chitra_panwar
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अशोक कुमार पांडेय जी की किताब 'बीसवीँ सदी के तानाशाह' का लोकार्पण, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में....@Ashok_Kashmir
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बेवजह हर बात पर हर घड़ी बोलना अच्छा नहीं लेकिन बेजा बातों पर भी हर वक्त ये खामोशी अच्छी नहीं है - जावेद उस्मानी
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जिंदगी जीने का हुनर आ जाए तो हर राह सलाम करती है जीवन बोझ नहीं रुई का फाहा है यूं भी धडकनों की पटरी पर साँसो की रेल उम्र के स्टेशन पार करती है तो कभी भय-निराशा तो किसी पल उल्लास, अनजाने-अनचाहे ठहराव आते ही हैं जिंदगी ने बहुत कुछ कहा है बस, दम साधकर सुनने की जरूरत है ...है न.!
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अलाव का रंग हर पल बदलता है, कुछ स्थिर रहता है वो है उसका आश्वासन चिंगारियाँ आकाश की ओर फुदककर तारों की नकल उतारती हैं और मैं? मैं यहां ऋषिकेश में गंगा तट पर दो चार लपटें दबोचे बैठा हूं और उँगलियों की दरारों में एक मीठी सी झनझनाहट महसूस कर रहा हूं। ___________ उदित गर्ग
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वह पैदा हुआ है जो मेरी मृत्यु को सँवारने वाला है। वह दुकान मैंने खोली है जहाँ ‘प्वाइज़न’ का लेबुल लिए हुए दवाइयाँ हँसती हैं— उनके इंजेक्शन की चिकोटियों में बड़ा प्रेम है। - शमशेर सिंह
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मेरे हिस्से में जो न आया, वो बेहिसाब प्यार भेजती हूँ तुम्हें… हो सके तो कभी खोना मत इसे, पुराने ख़त की तरह दिल के किसी ख़ामोश कोने में सँभालकर रखना तुम अपने पास। - पौलोमी श्रीनिवास @MockingBirdY2K
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दुःख कभी-कभी इतने आराम से आते हैं, कि हम नींद में होते हैं और मर जाते हैं... - देवेंद्र डांगी
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हाँ बचपना थोड़ा खो सा गया है, देखते नहीं, जिम्मेदारीयों ने कस कर उंगली थामी है - प्रियतमा
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तुम्हारे समाज में अगर मैं रुक भी जाऊं तो मैं अपवाद की जगह आपत्ति बनकर रहना चाहूंगा।। @Kitabganj1
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बत्तखों से कम कर्कश और कोयलों से कम चालाक बल्कि भोले माने जाते कौवे बशर्ते वे किसी और रंग के होते मगर वे काले होते हैं बस यहीं से होती है उनके दुखों की शुरुआत.... नरेश सक्सेना
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प्रेम व प्रेम के बहाने दौड़ता भागता सफर है कुछ ऐसा पर्यटन जो जिंदगी जीने के बहाने देती है और आप उसे जीते हुए भूलना चाहते हो, सब-सब !
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