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@Kitabganj1

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कहीं नहीं, तो कविताओं में ही सही- कुछ असंभव पर- घटता रहे ।।

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@Kitabganj1
Kitabganj
4 years
तुम किताबें पढोगे नहीं- तो कहानी तुम्हारी यूँ ही रह जायेगी तुम्हारे चीखने को कह कर संगीत कोई इतिहास की किताब बिक जायेगी।। (फ़ोटो: जय भीम, 2021)
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@05Tejaswini
Lala_ki_beti
30 minutes
तुम कहते हो एक अच्छी कविता पर हर किसी की नज़र पड़ती है शायद तुमने उन कविताओं को नहीं जाना जो दूब की भाँति उगती हैं-निशब्द जब तुम अपनी उँगलियों से किसी सुंदर पुष्प की कोमल पंखुड़ियों सहलाते हो वे सहलातीं हैं तुम्हारे तलवे तुम फिर भी उन्हें अनदेखा कर बढ़ जाते हो दूसरे पुष्प की ओर
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 hours
मैं मिला तुमसे- वो शापित पुष्प- जो इतना सुंदर था कि उसे ईश्वर की ही नज़र लग गयी। (आर्ट: अज्ञात)
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@ani_tyaa
सिफर
5 hours
__ मेरी मौत किसी शहर और काल में नहीं होगी .. मैं मरूँगा पहले व्यक्तियों के भीतर- जिनकी कोई गलती न थी उनके शरीर तो दफ्तरों में पहले ही तोड़े जा चुके थे- और उनकी हड्डियों में इतना दर्द था कि किसी को सहेज रख पाना मुश्किल था ..!
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@ani_tyaa
सिफर
5 hours
मैं मरूँगा पहले घटनाओं के भीतर जो इतना घर कर गईं मेरे भीतर कि जगह ही नहीं बची मुझमें मेरे अस्तित्व के लिए। मैं मरूँगा पहले उम्मीदों में जिसने मुझे सिर्फ इसलिए जीवित रखा किमैं दूसरा दर्द देख सकूँ ..! __ ~ किताबगंज @Kitabganj1
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@Tribalmonk_
देवानंप्रिय
15 hours
@Kitabganj1 ‘मैं सिमट जाऊँगा आखिरकार एक पुष्प में जो तोड़ा जाएगा किसी अल्हड़ के हाथ बिना मतलब वैसे ही जैसे मैंने जीना चाहा था ’ ये पंक्ति और कविता जिसे बार बार पढ़ा जाएगा ! 🌻🤍📄
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@Kitabganj1
Kitabganj
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मैं सिमट जाऊँगा आखिरकार एक पुष्प में- जो तोड़ा जाएगा किसी अल्हड़ के हाथ बिना मतलब- वैसे ही जैसे मैंने जीना चाहा था।। (फ़ोटो: @thedelhiwalla ) N/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
1 day
मैं मरूँगा पहले उन संस्थाओं में जिन्हें मुझे समाज देकर खरीद लेने की कोशिश की, मुझे मेरी कविताओं से इतर कायर, कमज़ोर और फ़िरकापरस्त बनाने की पुरजोर कोशिश की। मैं मरूँगा पहले अपने लिखे में- मेरी कविताएँ जो सिकंदर की तरह विश्व विजय की चाह में निकली थीं और खरीद ली गईं। 3/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
1 day
मैं मरूँगा पहले घटनाओं के भीतर जो इतना घर कर गईं मेरे भीतर कि जगह ही नहीं बची मुझमें मेरे अस्तित्व के लिए। मैं मरूँगा पहले उम्मीदों में जिसने मुझे सिर्फ इसलिए जीवित रखा कि मैं दूसरा दर्द देख सकूँ। 2/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
1 day
मेरी मौत किसी शहर और काल में नहीं होगी- मैं मरूँगा पहले व्यक्तियों के भीतर- जिनकी कोई गलती न थी उनके शरीर तो दफ्तरों में पहले ही तोड़े जा चुके थे- और उनकी हड्डियों में इतना दर्द था कि किसी को सहेज रख पाना मुश्किल था। 1/N
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@Shivani_7Sharma
Shivani Sharma
1 day
तुम किताबें पढोगे नहीं- तो कहानी तुम्हारी यूँ ही रह जायेगी तुम्हारे चीखने को कह कर संगीत कोई इतिहास की किताब बिक जायेगी।। - @Kitabganj1 लेखक गाँव, देहरादून, उत्तराखंड 📍
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@raushanyaduvans
रोशनदान روشندان
2 days
मेरी दुनिया में थोड़ी अच्छाई बचा लेने की तमाम कोशिशें इसलिए हैं बस कि इसी दुनिया में तुम अभी तक बचे हो। ~ किताबगंज @Kitabganj1
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@Kitabganj1
Kitabganj
2 days
मेरे शहर आने तक शहर बीत चुका था- मैं जिस व्यक्ति से मिला देर से मिला। किसी के लौट आने तक का सब्र अब किस में ही था- मैं पहुंचा जब तो उस शहर के हाथ से वक़्त रिसता जा रहा था मेरे हाथ पकड़ने तक सब बीत चुका था।। (फ़ोटो :अज्ञात)
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@UljhiDiary
Uljhi Diary
3 days
इक वही शख़्स मुझ को याद रहा - सलमान अख़्तर
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
और ये मालूम चला कि बीबीसी ने इस किताब पर एक फ़िल्म भी बनाई है और इस पर एक विविध भारती का एक सीरियल भी है, जिसे आप यूट्यूब पर भी देख सकते हैं। आम लोगों की उदासी के लिए किसी किताब ने वक़्त निकाला है, इसलिए इसे जरूर पढा जाना चाहिए। 🌻 N/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
ये ऐसी ही कहानी है।इसे पढ़ते हुए मैं खुद इतना उदास हो गया था कि बीच-बीच में इसे पढ़ना बंद करना पड़ा। थोड़ी तहकीकात की तो पता चला कि, 'पचपन खम्बे और लाल दीवार', नाम जो है वो लेडी श्रीराम कॉलेज में बने खम्बों से प्रेरित है, जहाँ लेखिका खुद पढ़ाया करती थीं। 5/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
गर्ल्स कॉलेज की छात्राएं भी छुप-छुप बेढंगे कमेंट्स पास करने लगती हैं। कॉलेज के पचपन खम्बे और लाल दीवार के बीच सुषमा को घुटन महसूस होने लगती है। ये उसी घुटन की कहानी है। सबसे उदास वो कहानियाँ होती हैं जो कहानी न होकर जीवन के इतने करीब नज़र आती हैं कि पढ़ने वाला डर जाये। 4/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
वो अब तीस की उमर पार कर चुकी है (कहानी 1961 में लिखी गयी थी), और अब शादी उसके जीवन के गोल्स में कहीं नहीं है। इसी बीच उसे अपने से पाँच साल छोटे नील से प्रेम हो जाता है। नील जब उसके सरकारी आवास आना जाना शुरू करता है, तो कॉलेज और होस्टल में बातें बनने लगती हैं। 3/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
ये कहानी है एक महिला प्रोफेसर सुषमा की, जो अपने घर की अकेली कमाने वाली व्यक्ति है। दो बहनें और एक भाई है, जिनकी पढ़ाई और शादी का जिम्मा सुषमा के सर पर है। माँ-बाप की सारा बोझ सुषमा ने उठा रखा है, और खुद की खुशियाँ भूल चुकी है। 2/N
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@Kitabganj1
Kitabganj
3 days
जैसे मैंने पिछली किताब के बारे में लिखते हुए बताया कि मुझे सबसे अच्छी किताबें अंकुर गोस्वामी भाई ने दी हैं। हाल में जो उसके यहां से तीन किताबें आईं उनमें दूसरी किताब है उषा प्रियम्वदा की 'पचपन खम्भे लाल दीवारें' । 1/N
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@ani_tyaa
सिफर
3 days
__ मैंने एक सपना देखा था कभी.. जब एक जिद्दी सी लड़की देखना एक ख्वाब था तुम मिले, एक अजनबी से एक दोस्त बने, दोस्त बने पता नहीं ठीक से मगर, तुम आश्वस्त हो ठहरे तुम अपने ख्वाबों के करीब..!
@Kitabganj1
Kitabganj
4 days
मैंने एक सपना देखा जहां तुम मेरे दोस्त थे- मैंने एक सपना देखा जहां मैं आसमान तक फैल चुका था और मेरी ठंडी हथेलियां तुम्हारे होने भर से गर्माहट से भर चुकी थीं। नींद से उठ कर मैंने जाना चाँद को छू सकने की इच्छा पूरी तो नहीं हो सकती- पर हमें ज़िंदा जरूर रख सकती है।।
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