𝓟𝓸𝓾𝓵𝓸𝓶𝓲𝓢𝓻𝓲𝓷𝓲𝔀𝓪𝓼 💙
@MockingBirdY2K
Followers
7K
Following
171K
Media
3K
Statuses
110K
Publishing Consultant/ Published Author/ Writer A dandelion soul with a heart of rose 🌹 I Bleed On Papers for him❣️ #खनक_शब्दों_की #PoulomiS
Bengaluru, India
Joined June 2020
A unique collection of memories, experience, love & life. I believe each verse & illustration on the page will paint the heart of my readers with colorful shades of love & life. Paperback- Amazon IN & True Books E-Book- Amazon Kindle Google Play Google Books PayHip Kobo Books
Here I'm thrilled to announce that Weaving Love Lust Pain is now available both as an e-book & in paperback. Plz find the links below: BLUEROSE STORE https://t.co/yoA7ISx595 AMAZON https://t.co/aH51ruJqVZ FLIPKART https://t.co/GNERHj8pk7 Order now to experience the journey!
8
19
61
Under soft lights and quieter skies... May your heart remember... all the reasons it survived 💝
2
0
2
सिर्फ़ एक फूल की तरह मिले हो तुम मुझे, पर आज भी तुम्हें खोने का डर पूरे बगीचे को खो देने-सा लगता है.... क्योंकि तुम सिर्फ़ एक फूल नहीं हो, मेरी हर ऋतु की धीमी-सी उम्मीद हो, जो मेरी सूनी मिट्टी में ख़ामोशी से कभी एक पूरी दुनिया बनकर उग आई और शायद इसीलिए मैं हर दिन तुम्हें बिना
18
21
80
At the stillest point of the year, even silence prepares to be reborn... the night hums low the end draws near, a hush turns warm no longer worn. Frozen hours start to bend, waiting light taps soft the door, what fell asleep learns how to mend and breath becomes a song once
2
1
7
कहने से ज़्यादा लिखते हुए तुम्हें महसूस करना अच्छा लगता है, बातों से ज़्यादा तुम्हारे नाम को गुनगुनाना अच्छा लगता है, मुस्कुराना तो यूँ ही है... पर तुम्हारी हँसी का कारण बनना अच्छा लगता है, दूर होना कोई चाह नहीं, अपनों में रहकर रिश्ते निभाना अच्छा लगता है, हाथ थामने की
22
13
97
जब मैं कमज़ोर हो जाऊँ तब आना तुम मिलने मुझसे… मेरे काँपते हाथों में अपनी उँगलियाँ रख देना मैं तुम्हें पहचान न भी पाऊँ तो नाराज़ मत होना, बस मेरी आँखों में झाँककर धीरे से मेरा नाम लेना शायद स्मृतियाँ लौट आएँ तुम्हारी मुस्कान के साथ, और मैं एक पल के लिए ही सही, फिर से ज़िंदा हो
11
6
23
हम खिलते हैं... तभी तो लिखते हैं और लिखते हैं... तभी तो अपने भीतर फिर से खिल जाते हैं !
17
12
68
समझ नहीं आता कि दर्द ज़्यादा किसमें है... तुमसे न मिल पाने में या तुम्हें छोड़कर फिर अपने शहर लौट आने में शायद सच यही है… दर्द वहीं है जहाँ दिल ठह���ना चाहता है और क़दम मजबूरी में वापस लौट आते हैं। #छोटा_दरवाज़ा
14
8
49
#छोटा_दरवाज़ा के द्वारा 1 से 15 दिसंबर 2025 में लिखी हुई उत्कृष्ट रचनाओं में से #अतुल्य_रचना के लिए निम्नलिखित को सम्मानित किया जा रहा है @MockingBirdY2K
@NeelamWrites
@Surendr61401395 आपको बहुत बहुत बधाई 🎉🎉
10
10
19
..... तुमको रखा है मैंने आँखों में जुगनुओं की तरह... जो मेरी हर खामोशी को रौशनी दे ...
15
14
61
मेरे हिस्से में जो न आया, वो बेहिसाब प्यार भेजती हूँ तुम्हें… हो सके तो कभी खोना मत इसे, पुराने ख़त की तरह दिल के किसी ख़ामोश कोने में सँभालकर रखना तुम अपने पास। #Special
12
8
47
मेरी हँसी तुम्हारी मेरे हौसले तुम्हारे मेरी हिम्मत तुम्हारी मेरे रास्ते तुम्हारे मेरी मंज़िल तुम्हारी मेरी सारी ख़ुशियाँ तुम्हारी मेरे सारे ख़याल तुम्हारे मेरा प्रेम तुम्हारा मेरे सपने तुम्हारे तुम्हारे सारे दुःख मेरे तुम्हारे आँसू मेरे तुम्हारी तक़लीफ़ें मेरी तुम्हारी हार मेरी
17
9
57
..... दूर रहकर भी तुम मुझमें ही मौजूद हो अब तुम ही बताओ ... मुझसे ज्यादा भी कोई प्यार कर सकता क्या तुम्हें? .....
8
5
24
मेरी हँसी तुम्हारी मेरे हौसले तुम्हारे मेरी हिम्मत तुम्हारी मेरे रास्ते तुम्हारे मेरी मंज़िल तुम्हारी मेरी सारी ख़ुशियाँ तुम्हारी मेरे सारे ख़याल तुम्हारे मेरा प्रेम तुम्हारा मेरे सपने तुम्हारे तुम्हारे सारे दुःख मेरे तुम्हारे आँसू मेरे तुम्हारी तक़लीफ़ें मेरी तुम्हारी हार मेरी
17
9
57
कभी सुकून देती है... कभी बेकरारी में डाल देती है.... उफ़… ये मोहब्बत ❣️
9
5
32
शब्द नहीं थे बस एहसास था ..... जो तुमने हर बार सुन लिया... बिना कहे
9
9
36
मैं समझ नहीं पाती हूँ कि तुम सच में मुझसे दूर हो या बस मेरी नज़रों से ओझल, क्योंकि मेरे दिल के आस-पास तुम हर साँस की तरह रोज़ ठहर जाते हो..... नर्म परछाई बनकर सुबह की रोशनी खिड़की पर खिलकर जब मुझसे पूछती है— "किसे ढूँढ रही हो?" तो मैं कुछ कह नहीं पाती बस हल्के से मुस्कुरा देती
22
8
48
Long डिस्टेंस इसलिए सँभल जाता है, क्योंकि तुम्हारे जैसा कोई हर रोज़ मेरे ख़्यालों की दहलीज़ पर लौट आता है... जब मैसेज में भेजी तुम्हारी मुस्कान मेरे भीतर की सारी बेचैनी दूर कर देती है… जब दिनभर की छोटी-छोटी बातें हम दोनों को थोड़ा और क़रीब बाँध देती हैं… जब ढेरों मैसेजों के
17
16
43
.... कभी किसी को इतने सुकून से चाहा है कि उसकी हँसी घर लगने लगे? ....
11
7
38
मैं भूल चुकी हूँ उन तमाम कविताओं को जो मैं कभी तुम्हारे लिए लिखा करती थी भूल चुकी हूँ वो तमाम शब्द जो कभी तुम्हारे नाम से महकते थे अब बस हवा में वो घुल गए हैं कहीं हर पंक्ति ..... जहां धड़कन थी मेरी वो भी अब खामोश हो गई है मैं भूल चुकी हूँ वो तमाम लफ़्ज़ पर उनका असर अब भी मुझ
9
5
44