
Lutera BaBa
@Babaluteraa
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मैं सनकी, गँवार, देहाती, आवारा, अनपढ़, असभ्य, अश्लील, जाहिल, बददिमाग़, बेअक्ल, बेशक्ल, बेलिहाज़ व बेबाक जानवर हूँ https://t.co/TLLbhgZTSC
नदी किनारे जंगल में
Joined October 2020
बहुत कुछ गंवाया है तेरी ख्वाहिश में मैंने, ऐ आवारगी मुझको बहुत मंहगी पड़ी है तू.....!!
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मेरे होने न होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कहानी को, मैं वो क़िरदार हूं जिसे तमाम अदाकारों ने निभाने से इनकार कर के छोड़ा है......!!
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तुम परिंदों से ज़ियादा तो नहीं हो आज़ाद शाम होने को है अब घर की तरफ़ लौट चलो - Irfan Siddiqi
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कभी पढ़ लो मेरा मन बिना कुछ कहे भी कभी आ जाओ पास बिना बुलाये भी कहते हो मुझसे मुहब्बत करते हो कभी शिद्दत से निभाओ भी सिर्फ़ तुम्हारी हूँ मैं, ये जानते हो तुम कभी हमारी अहमियत हमें बताओ भी
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हां, नहीं भरता मेरा मन तुझसे.... मुझे तू हर बार चाहिए पिछली बार से ज्यादा 💖✨💖
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कभी न दूर तुझे इतना मुझसे जाना था सिवा तेरे न मेरा कोई और ठिकाना था...!!
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उम्र भर के तजुर्बे को काँधे पे उठाये फिरते है बालों में सफेदी महज़ धूप में तपकर नहीं आई🌺 #सहर । #बज़्म
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ना राब्तें होंगे, ना शिकायतें होंगी ना शिकवे होंगे, ना वज़ाहतें होंगी जा तुझे हर फिक्र से आज़ाद किया ना वास्ते होंगे, ना अदावतें होंगी. ❤️ ✍🏻ㅤ 📩 📤 ˡᶦᵏᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ
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"पंछी" जा उड़ जा रे पंछी उड़ जा नदिया पार ये नदिया सुन ले है दो धारी तलवार पार मिलेंगे बाग़ बगीचे पार मिलेगा आँगन पार मिलेंगे बादल बरखा पार मिलेगा सावन नदिया के इस पार सहरा और जीवन बेकार जा उड़ जा रे पंछी उड़ जा नदिया पार ये नदिया सुन ले है दो धारी तलवार रिश्ते नाते हैं इक
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ट्विटर इसलिए भी है की आप अपने क्रोध को agony को सोलह श्रृंगार करा के दुल्हन की तरह डिस्प्ले कर सकते यहाँ
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जिन नजरों से नजर अंदाज कर रहे हो, इन्हीं नजरों से एक दिन ढूंढ़ते रह जाओगे..!! Bs u'hi....✍️🍁
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बिंदी में सादगी❤ #Binditwitter
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मौला पोशीदा न गत है अपनी रू तेरे ख़ाना-बदोशी अपनी माँगें क़िस्मत हो न दूजी कोई सानी ये ख़ाना-ख़राबी अपनी ~ दिलीप जोशी 'दीवाना' @Medilipjoshi #बज़्म #बज़्म_काव्यमंच
#बज़्म_काव्य_मंच में आज 16/10/2025 का दैनिक विषय - #कैप्शन कवितायें, कहानियाँ, शेर, ग़ज़ल, गीत, नज़्म कुछ भी लिखा जा सकता है ।। #बज़्म 👈 लगाना अनिवार्य है ।।
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प्रेम के घाव...भरे ही रहते हैं... मसरूफ़ रहने की तमाम कोशिशों से भरे... कई मीलों की बेवजह चहलकदमी से भरे... अचेतन काँपती उंगलियाँ और...मेज पर लिखे नामों से भरे... अनकहे शिकवों की नम सी छटपटाहट से भरे... इतने सारे मरहमों से... प्रेम के घाव...भरे ही रहते हैं..!! #नीलम
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ये दुआ-गो रहते हैं दरवेश अक्सर ख़ुशहाल रहे ज़िंदगी में हर इक बशर आरिफ़ #आरिफ़
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