मेरी आँखें पत्थर की हो गई,
जब मैंने देखा,
नदियों का बलात्कार होते,
पहाड़ो की हत्या होते,
जब देखा नन्हे-नन्हे तालाबों को,
जहर खाते हुए,
जब देखा भूखे चूल्हों को,
आंसू पोंछते हुए,
तो मैंने हथियार उठा लिए..!
©️राजू धीरोडा
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