आज सुबह ट्रेन में ये लड़का 'आज जाति के लिए(for caste today)' जैसा कुछ सर्च कर रहा था।
जब इन लोगों के दिन की शुरुआत ही जातिवाद से होती है तो सोचिये ये लोग कितनी नफरत करते होंगे छोटी जाति के लोगों से।
Sunio DOESN'T share toys with him.
Nobita DOESN'T share gadgets with him.
Shizuka DOESN'T offer him cookies.
This is how racial discrimination embedded subconsciously to crores of children.
UPI का चलन देश में इसलिए ज़्यादा है क्योंकि सवर्ण लोग नीची जातियों के छुए हुए नोटों को लेना पसंद नहीं करते।
जो लोग ऑनलाइन ही पैसे लेना पसंद करते हैं, समझ जाइए कि जातिवाद और नफरत उनके खून में बस चुकी है।
अर्जुन आरक्षित वर्ग का कट-ऑफ अंतर दिखा कर आरक्षण को दोष देना चाहता है।
पर अर्जुन कभी ये नहीं बताएगा की ज़्यादा कट ऑफ इनके खुद ज़्यादा नंबर लाने से होती है।
जब तुम सवर्णों को high cutoff से समस्या है तो तुमलोग ज़्यादा नंबर लाते क्यों ही हो ?
हमें दोष मत दो अपनी नाकामकियों का..
ऊँची जाति के भीम और राजू को लड्डू दिए जाते हैं। यहाँ तक की बन्दर को भी!
लेकिन कालिया को नहीं |क्या उसकी जाति के कारण ?
फिर यही लोग छुआछूत और जातिवाद को नकार देंगे...
Bhim Army leader and Aazad Samaj Party - Kanshi Ram chief, Chandra Shekhar Aazad taken to a hospital in Saharanpur, Uttar Pradesh after his convoy was attacked by a few armed men and a bullet brushed past him. Details awaited.
बहुत ही कम लोगों को पता है कि फुल क्रीम मिल्क इस्तेमाल करने का अधिकार सिर्फ ऊँची जातियों के लोगों को था, और बहुजनों को सिर्फ toned milk ही दिया जाता था। इसलिए उसका पैकेट भी नीले रंग का हुआ करता था |
ये नीला रंग आज भी toned milk के पैकेट पर है बस इस सच्चाई को दबा दिया गया है।
"अभिनव पाण्डेय ने राकेश मीणा को पीटा" हर रोज़ कुछ ऐसी ही खबरें आती हैं। आरोपी मिश्रा, पाण्डेय, या शर्मा जैसे ही होता है।
जातिवादी नफरत में किये गए जुर्म इतने आम हो गए हैं की अब लोगों को फ़र्क़ भी नहीं पड़ता।
शर्म आनी चाहिए उस समाज को जहाँ लोग आपके हाथ का छुआ हुआ खाने से कतराते हैं क्योंकि आपने एक ख़ास जाति में जन्म नहीं लिया है।
ये gloves सबूत हैं की आज़ादी अभी बाकी है, जातिवाद से, छुआछूत से, पाखंड से...
ट्रेनों में लगभग सभी सीटें GENERAL कोटा वालों के लिए हैं इस पर किसी को दिक्कत नहीं है पर अगर कोई बहुजन कोटा से IIT में सीट लेता है तो ये लोग आरक्षण का रोना रोते हैं |
अगर कोई सवर्ण आरक्षण का रोना रोये तो उसे ये दिखा देना ...
पहले उन्होंने आपकी जमीने हथियाई,
आपको गुलाम बनाया गया,
आपके अधिकार छीने गए...
अब हमारे रंग से नफरत के कारण अब वो हमारी "नसल सुधार"(nasal improvement) करना चाहते हैं।
पर आपको क्या, आप लड़ते रहिये आपस में....
अंग्रेजी में Caste Noun नहीं है तो हिंदी में जातिवाचक संज्ञा कैसे आ गया ?
जब बच्चों की किताबों में ही जातियाँ पढ़ाई जा रही हैं तो कल को ये बच्चे जाति और धर्म के नाम पर ही वोट डालेंगे....
अब ट्रेन की सीटें भी इस तरह डिज़ाइन कि जा रहीं हैं कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को गलती से छू भी ना पाए।
इस डिज़ाइन के पीछे की वजह छुआछूत नहीं तो और क्या हैं ?
अगर आज़ादी के 75 साल के बाद भी देश के लोग कुछ ख़ास जाति के लोगों का छुआ, नहीं खा सकते तो धिक्कार है।
और 'hygeine' का ढोंग ना ही करें, ये साफ़ साफ़ छुआछूत ही है...
जो लोग कहते हैं देश में छुआछूत और जातिवाद कम हो रहा है वो बताएं कि अगर ऐसा है तो फिर अधिकतर लोग दुकानों पर disposable गिलास क्यों इस्तेमाल करते हैं?
हमारे छुए हुए गिलास से कुछ 'ख़ास' जाति के लोग कहीं अपवित्र तो नहीं हो जाते?
One Nation, One Cut Off
One Nation, One Fee
One Nation, One Age Eligibility
General Category should not be punished just for simply being born in this country.
अर्जुन आरक्षण को दोष दे रहा है की उसके दोस्तों को आईआईएम से कॉल नहीं आयी।
पर अर्जुन कभी ये नहीं बताएगा की क्या उसके दोस्तों ने मोबाइल नंबर सही डाला था और मोबाइल ऑन भी था या नहीं |
पर जातिवाद जो फैलाना है...
नौकरी का फॉर्म भरते समय मुझसे पूछा गया की क्या मैं "साफ़" लोगों में से एक हूँ और क्या मैंने कभी
मल-प्रैक्टिस(मल संबंधित अभ्यास या कार्य) किये हैं ?
क्या ये खुलेआम जातिवाद नहीं है ?
दोस्तों हमें भूलना नहीं है जो सवर्णों ने हमारे साथ किया।
उन्होंने 3000 साल हमारी जातियों में शादी नहीं की,
अब हम 3000 साल सवर्णों से रिश्ता नहीं जोड़ेंगे।
हिसाब होगा, बराबर होगा...
Electric गाड़ियों का चलन देश में इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि ऊँची जाति के लोगों को छोटी जाति के लोगों से अपनी गाड़ी में पेट्रोल भरवाना पसंद नहीं करते।
जो लोग Electric गाड़ियां ही लेना पसंद करते हैं, समझ जाइए कि जातिवाद और नफरत उनके खून में बस चुकी है।
इस तरह के झूलों की मदद से बच्चों के दिमाग में जातिवाद का ज़हर घोला जाता है, की अगर खुद ऊपर उठना है तो किसी और को नीचे रखना पड़ेगा।
यहाँ भी सीट को नीला क्यों रखा गया है आप समझ गए होंगे।
जातिवाद हर जगह है बस आप उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं ...
अब ट्रेन की सीटें भी इस तरह डिज़ाइन कि जा रहीं हैं कि कोई व्यक्ति किसी दूसरे को गलती से छू भी ना पाए।
इस डिज़ाइन के पीछे की वजह छुआछूत नहीं तो और क्या हैं ?
Me and my friends use each other's undergarments freely as we do not believe in casteism and untouchability.
Had our roommate be an upper caste bigot he would have kept even his toothbrush separate just like Sudha Murthy does.
जिस अमृत भारत ट्रेन में 100% भारतीय लोग सफर करते वहां वेस्टर्न टॉयलेट क्यों लगाए गए हैं।
क्या इसका कारण हमारे छुए हुए मग्गे तो नहीं, जो जातिवादी सवर्णो को नागवार हैं ?
सवाल बुरा लग सकता है पर जवाब दीजिये @/AshwiniVaishnaw
This Sanghi propaganda show is brainwashing kids.
A tilakdhari goon Bheem is shown as hero while moolnivasi Kaliya is portrayed as a bad guy.
He protects tyrant Brahmin king.
After 2014 this show is broadcasted day and night.
Save your kids from this govt. sponsored propaganda!
जब आर्यन लोग विदेश से आये थे तब हमारा रंग भी गोरा हुआ करता था। उन्हें ये बात पसंद नहीं आयी तो उन्होंने हमे पानी देने से मना कर दिया ताकि पानी की कमी के कारण हमारा रंग काला पड़ जाए।
आज जो जितना काला है उसको उतना कम पानी पीने दिया गया था...
Gate Score- 750
Result- Rejected
Gate Score- 386
Result- Selected
And we are talking about Defence Research and Development Organisation (DRDO), responsible for developing defence technologies.
Why on Earth there is reservation in DRDO?
विदेश के सिनेमाघरों में सीटें एक बराबर होती है जबकि भारत में नहीं, क्योंकि माना जाता है कि पहले छोटी जाति के लोगों को सवर्णों के बराबर बैठने का अधिकार नहीं था।
अब खुलकर भेदभाव नहीं कर सकते तो ऊपर की सीटों के दाम मेहेंगे रखते हैं ताकि छोटी जाति के लोग ऊपर की तरफ कम बैठें ।
पुनीत कुमार का सरनेम अगर शुक्ला होता तो उन्हें बिग बॉस से निकला न गया होता।
लोग भी प्रतियोगियों की जाति ढून्ढ रहे हैं गूगल पर, अमृत काल में आपका सवागत है।
मंडेला ही मंडल हैं -
कितने लोगों को पता है की पूर्व अफ़्रीकी राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का असली नाम नेल्सन मंडल था ?
माना जाता है उनके पूर्वज उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में रहने वाले मूलनिवासी थे जिन्हे जातिवाद के कारण पलायन करना पड़ा था।
इसलिए जब नेल्सन सन 1990 में भारत आये थे
ट्रेनों में upper cast जनरल वालों के लिए कोटा सबसे ज़्यादा है और हम lower berth (जनम ) वालों के लिए सबसे कम।
जो लोग आरक्षण का विरोध करते हैं उनका मुँह इसपर नहीं खुलेगा...
अगर सवर्णो को कोटा से इतनी ही चिढ़ है तो सबसे पहले इन्हें ट्रेन में मिलने वाले General कोटा का बहिष्कार करना चाहिए।
अगर नहीं कर सकते तो आरक्षण के विरोध में न ही बोले।
मेरे पड़ोस में रहने वाला ये लड़का हिंदूवादी है, IAS की तैयारी कर रहा है । फ़ोन पर Sovereign State(सवर्ण राष्ट्र) के बारे में पढ़ रहा है।
कल को ऐसे ही लोग अधिकारी बन जायेंगे ।
हिन्दुराष्ट्र की आड़ में सवर्ण राष्ट्र की तैयारियां की जा रहीं हैं और हम अब भी नहीं जागे हैं...
मेरी क्लास में 30 बच्चे थे जिसमे से 25 सवर्ण थे। मैं भी पढाई में होशियार था, बहुत तेज़ दिमाग था।
पर वो लोग मुझे नीचे दिखाना चाहते थे इसलिए मुझसे ज़्यादा नंबर लाये मेरी रैंक 27 आयी।
मिसाइल के और भी हज़ार नाम रखे जा सकते थे पर सिर्फ Brahmos ही क्यों चुना गया ?
सोचने वाली बात है की क्या Brahmos शब्द Brahmans से आया है ?
ब्राह्मणवाद फ़ैलाने के हज़ार तरीके,
सयोंग नहीं प्रयोग है....
पहले के ज़माने में मुख्य सड़क पर चलने की इजाज़त केवल सवर्णों को थी। मूलनिवासियों के लिए अलग lane थी।
बाबासाहेब की कोशिशों के कारण ये अत्याचार बंद हुआ और अब उस सड़क को देशभर में service lane के नाम से जाना जाता है।
Service lane = सेवा करने वालों(बहुजनो) की सड़क
अब लोग फिल्मों की भी जाति(cast)देख रहे हैं। कलाकारों के religion देखने से शुरू हुआ सिलसिला अब जाति तक आ चुका है।
इनके खून में जातिवाद है और नफरत की कोई सीमा नहीं ...
Munna was 23, a bright student from LC .He was good at sports too.
Upper caste DIG Vikram Rathore first framed him in a false rape case. When that method didn't worked, he killed him in a party.
Sorry Munna! Brahmanists won.
#Casteism
: 4 Upper caste men arrogated house of an elderly couple. When a bahujan guy Sattu Supari tried to stop them, he was beaten and forced to chant "Jai Shri Ram".
You won't find this news in media as accused names are Gopal,Laxman and Madhav.
उत्तराखंड में एक भीमताल नाम की जगह है। माना जाता है की बाबा साहेब यहाँ कुछ दिन ठहरे थे और आरक्षण का आईडिया उन्हें इसी जगह आया था।
तबसे ये जगह भीमताल के नाम से जाने जाने लगी।
भगवा सरकार ने संघियों के लिए टोल माफ़ कर दिया है और खुले-आम बोर्ड भी लगा दिए हैं।
नए भारत में आपका स्वागत है, जहाँ हमें "लगान" देना पड़ता है और सवर्ण संघी मुफ्त में घूमते हैं।
पहले डॉक्टर हाथ पकड़कर नब्ज़ चेक करते थे पर अब जातिवाद के कारण आला(stethoscope ) का इस्तेमाल करते हैं।
ये सबूत है देश में बढ़ते जातिवाद का। स्वास्थ मंत्री
@mansukhmandviya
जी इसपर तुरंत रोक लगवाइये।
Your children are now being brainwashed to, like a Brahmin goon with shikha.
But they will never show you how Moolnivasi Kaliya was discriminated against, every single time just because of his caste and color.
देश की बड़ी बैंकें भी अब Contactless payment को बढ़ावा दे रही हैं क्योंकि इसमें किसी को छूना नहीं पड़ता।
सोचिये छुआछूत की बीमारी कितनी गहरी है।
ये ही Orange hub भगवा विचारधारा है,इस से बचिए |
देश में buffet सिस्टम इसलिए पॉपुलर है क्योंकि इसमें कुछ ख़ास जातियों के लोगों के साथ बैठना नहीं पड़ता।
और अगर ऐसा नहीं है तो अधिकतर लोग साथ बिठा कर खाना क्यों नहीं खिलाते ?
जातिवाद हर जगह है बस आप उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं ...
अब बच्चों के टिफिन-बोतलों पर भी अब "सरनेम" लिखे जा रहे हैं।
क्या ये सिर्फ इसलिए की जब वो साथ बैठकर खाएं तो ये पता लगाया जा सके की किसके टिफिन से खाना हो और किसके से नहीं ?
क्या टिफिन-बोतलों पर सरनेम का उपयोग बच्चों को जातिवाद सिखाने के लिए तो नहीं है ?
सन 1999 की घटना है, मेरे एक मित्र जिसका जन्म ठाकुरों के एक शक्तिशाली परिवार में हुआ। बचपन से वह जातिवाद के खिलाफ थे, इसलिए उनके पिता भानु सिंह ने उन्हें ज़्यादा पढ़ने भी नहीं दिया। पूरा बचपन उन्होंने घर के नौकर की तरह रखा गया सिर्फ इसलिए, क्यूंकि उन्हें जातिगत भेदभाव से सख्त
जिसके तथाकथित दोस्त उससे खिलोने तक नहीं बाँटते, गैजेट का इस्तेमाल उसे प्रताड़ित करने के लिए करते हैं।
जिसके साथ भेदभाव हुआ, जातिवाद हुआ, उसी किरदार को विलेन के रूप में दिखाया गया है।
जब सरकारें तक ब्राह्मणवाद की चपेट में हैं, तो बच्चों का टीवी शो तो एक मामूली चीज़ है...
Those who are against using undergarments of other people. Tell me-
• Do you consider other people impure?
• Don't you trust detergents even in 2023?
If you are still hesitant, it is because of your deeply rooted untouchability and casteism.
Me and my friends use each other's undergarments freely as we do not believe in casteism and untouchability.
Had our roommate be an upper caste bigot he would have kept even his toothbrush separate just like Sudha Murthy does.
IIT Madras again got 1st position in NIRF rankings.
On what basis?Because the director V Kamakoti is UC?
Another small example, a hostel dedicated to upper caste (sawarnas) community only.
Gian was the only one who stood against caste and racial discrimination in the society.
But he is shown as a villain to mock and humiliate marginalised sections of society.
This is how sanghis spread propaganda.
Proof-
आज मैंने पहली बार टैक्सी बुलाई, ड्राइवर ने गाड़ी में बिठाने से पहले ही मुझसे मेरा नाम पूछा गया । मैंने साफ़ मना कर दिया और पैदल ही चल पड़ा।
नाम से सरनेम जाना जाता है और सरनेम से जाति।
क्या हमारा इंसान होना काफी नहीं है
@Uber
?
「तस्वीर~दिल्ली」
Baapji was a sovereign moolnivasi ruler of a small town in Madhya Pradesh.
Upper caste Rathore was envious of him.
When he failed, they hired savarna guy 'Shiva' to kill him and his son Munna
But Rathore is portrayed as hero...
ट्विटर पर बहुत से फ़र्ज़ी मूलनिवासी हैं जो कहते हैं उनका 3000 साल शोषण हुआ। असली मूलनिवासियों का 5000 शोषण हुआ था, जिसमे से शुरुआत के 2000 साल इन फ़र्ज़ी मूलनिवासियों ने सवर्णो के साथ मिलकर हमे सताया था।
असली का समर्थन करें जिनका 5000 साल उत्पीड़न हुआ न कि 3000 साल वालों का..
दूसरे देशों में लोग एक दूसरे से मिलने पर हाथ मिलाते हैं लेकिन भारत में ऐसा बिलकुल नहीं होता।
कारण आप समझ ही गए होंगे।
अगली बार अगर आपसे कोई हाथ मिलाने की जगह नमस्ते करे तो समझ जाइएगा छूआछूत और जातिवाद का ज़हर समाज में कितना फैला हुआ है।
जो भेदभाव सौ साल पहले अफ्रीका में होता था वो आज भी भारत में हो रहा है। मेरे दोस्त कमलेश को उसकी जाति के कारण पटना वाली ट्रेन से उतार दिया गया।
सबूत ये रहा
अगर आपको लगता है की भीम बहुत अच्छा है तो सोचिये कि क्या वो इस जादूगरनी से कभी शादी कर सकता है? या ये अधिकार सिर्फ इंदुमती और चुटकी जैसी ऊँची जातियों लड़कियों के पास ही है ?
अगर भीम सच में जातिवादी नहीं है तो इस से शादी करके दिखाए!
एक ओर हिंदूवादी, लाखों भगवा झंडे बाँट कर भी देश का भगवाकरण नहीं कर पाए वहीँ दूसरी तरफ बाबासाहेब के नील ने करोड़ों घरों में बिना किसी प्रचार के जगह बना ली है।
देश ने भगवा नफरत को ठुकरा कर भीम के रंग को अपनाया है
पहले मेट्रो में सीट एक बराबर हुआ करती थीं लेकिन भगवा सरकार ने उसको भी ऐसा बना दिया की कोई व्यक्ति किसी को छू भी ना पाए।
ये सरकार के पैंतरे हैं जातिवाद को बढ़ावा देने के।
अगर आपको लगता है की ये लोग बदल गए हैं तो किसी कांवड़िये से पीने के लिए कांवड़ वाला पानी मांग के देख लेना।
मैंने माँगा था, नहीं दिया |
यही अमृतकाल है जहाँ हमे आज भी पानी नहीं दिया जाता |
This movie was flag bearer of Brahmanism in 2006.
• Groom side didn't chose sister of Poonam as she wasn't fair. Promotes Racism!
• Marriage done through unscientific rituals instead of oath of constitution. Promotes superstition!
But people like this movie, you know why!
नारंगी सरकार देश को 50 साल पीछे ले जा चुकी है।
आज मेरे दोस्त ने पार्क में लड़की को छू दिया तो उसे मारा गया।
पहले पानी नहीं छूने देते थे अब इंसान भी नहीं छू सकते।
पहले लोग restaurants में ख़ुशी ख़ुशी जग से पानी पीते थे पर अब उनको भी जातिवादी ग्राहकों की वजह से बोतल रखनी पड़ रही हैं क्योंकि आमतौर पर छोटी जाती के लोग उन जगों में पानी भरते थे।
वो चाँद पर पानी खोजते हैं पर किसी ख़ास जाती का छुआ हुआ पानी नहीं पी सकते...
मैंने पहले ही बताया था इन्हे हमसे नफरत है इसलिए ट्रेनों से नीला रंग हटाकर उनका भगवाकरण किया जा रहा है।
सरकार ने मिटटी का तेल भी इसलिए देना बंद कर दिया क्योंकि उसका रंग नीला होता है।
जिस समाज के लोगों ने हमे हज़ारों साल पानी पीने का अधिकार नहीं दिया वो सिर्फ एक दिन बिना पानी के रहने के लिए नगर निग्गम का टैंकर डकार रहे हैं।
फिर यही लोग पूछते हैं की आरक्षण की क्या ज़रूरत ...
Vinod is a mulnivasi from tribal community. Upper Caste(Pandey) Pradhan of the village arrogated his land. He is not allowed in the temple nor given benefits of govt schemes.
Thanks to efforts of Banrakas, his voice is being heard....
पुराने ज़माने में सवर्ण लोग प्याऊ लगवाते थे ताकि छोटी जाति के लोग कुएं तक ना जाएँ और उनका कुआं हम लोगों से 'सुरक्षित' रहे।
प्याऊ मतलब ��ातिवाद का अड्डा, अब समझ जाइये देश के कोने-कोने में ये लोग प्याऊ क्यों लगवाते थे।
नफरती सवर्ण लोग चमड़े की बनी चीज़ों का इस्तेमाल इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें पता है की इसको बनाने वाला कोई छोटी जाति से होगा ।
पहले ये लोग मजबूरी में खरीद लेते थे लेकिन अब इनका भी असली चेहरा सामने आ रहा है...
सवर्ण फिर से रो रहे हैं कि cutt off फिर से high गया है।
कोई इन् मूर्खों को समझाओ कि ज़्यादा नंबर लाने से ही तो cutt off ज़्यादा होता है। खुद कि वजह से cutt off ज़्यादा होती है और हमें दोषी ठहराते हैं...🤷♀️