शास्त्रों में छह वेदांग, चार वेद, मीमांसा, न्याय, पुराण और धर्मशास्त्र आदि इन चौदहों को ही विद्या कहा गया है। जहाॅ ये विद्याएं न पढाई जाती हों उसे विद्यालय कहना अनुचित है।
उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज