मछलियों को लगता था
के जैसे वे तड़पती हैं पानी के लिए
पानी भी उनके लिए
वैसा ही तड़पता होगा।
लेकिन जब खींचा जाता है जाल
तो पानी मछलियों को छोड़कर
जाल के छेदों से निकल भागता है।
पानी मछलियों का देश है
लेकिन मछलियां अपने देश के बारे में
कुछ नहीं जानतीं।
◆ नरेश सक्सेना
ये सुनने के बाद मुझे थोड़ा ताज्जुब होता है किसी संगीतकार ने परिणीति चोपड़ा को फिल्मों में क्यों नहीं गवाया है अभी तक। अलग से जानकारी दे दूं वो हिंदुस्तानी क्लासिकल सिंगिंग में बी.ए.ऑनर्स भी हैं।
कक्षा के सबसे
उद्दंड लड़कों को कक्षा की सबसे
शांत लड़कियों से प्रेम होता है
सबसे शांत लड़कियाँ प्रेम में पड़कर
उद्दंड हो जाती हैं
सबसे उद्दंड लड़के
प्रेम में पड़कर शांत हो जाते हैं ।
~ देवेंद्र दांगी |
@iamdevendradang
"तन कोमल मन सुन्दर
हैं बच्चे बड़ों से बेहतर
इनमें छूत और छात नहीं, झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तक़रार नहीं, मज़हब की दीवार नहीं
इनकी नज़रों में एक हैं, मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
बच्चे मन के सच्चे ..."
◆ साहिर लुधियानवी
केवल अशोक लौट रहा है
और सब
कलिंग का पता पूछ रहे हैं
केवल अशोक सिर झुकाए हुए है
और सब
विजेता की तरह चल रहे हैं
केवल अशोक के कानों में चीख़ गूँज रही है
और सब
हँसते-हँसते दोहरे हो रहे हैं
केवल अशोक ने शस्त्र रख दिये हैं
केवल अशोक लड़ रहा था !!
◆ श्रीकांत वर्मा
एक बार मैं एक पुस्तकालय में गया और क्लर्क से पूछा, "क्या आपके पास आत्महत्या पर कोई किताब है..." थोड़ी देर की चुप्पी के बाद, उसने कहा:
"हाँ, लेकिन वापस कौन लाएगा..?"
◆ फ़्योदर दस्ताएवस्की
जब मैं उदास होता हूँ तो गाना शुरू कर देता हूँ, तब मुझे एहसास होता है कि मेरी अवाज़ मेर�� हालात से भी ज्यादा ख़राब है; इसलिए मैं मुस्कुराने लगता हूँ।
◆ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ
बत्तीस साल की
कुँवारी लड़की
अपने बारे में जितना नहीं सोचती
उससे ज़्यादा
उसकी माँ सोचती है
उसकी शादी के बारे में
उसके पड़ोसी सोचते हैं
उसके चरित्र के बारे में
उसके दफ़्तर के लोग सोचते हैं
उसके कुँआरेपन के बारे में....
◆ देवांशु पाल
त्यौहार मनाने
घर आया लड़का नहीं बताता
वह बीमार पड़ा था बहुत
पिछले दिनों।
घर आए लड़के को नहीं बताया जाता
मां ने अपनी अंतिम सोने की चूड़ी बेच दी
पिछले दिनों।
◆ चंद्रशेखर साकल्ले
'कोई आपसे प्रेम कर रहा है इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपसे कुछ चाह ही रहा है। संभव है कि वह आपको सुन्दर करने आया हो....आत्मा से पवित्र।'
●◆ शिवेश कुमार झा |
@shiveshkrjha98
'मगर ये हो न सका
और अब ये आलम है
के तू नहीं, तेरा ग़म,
तेरी जुस्तजू भी नहीं।
गुज़र रही है कुछ इस
तरह ज़िन्दगी जैसे इसे
किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं।'
◆ साहिर लुधियानवी
मलाल है मगर इतना मलाल थोड़े है
ये आँख रोने की शिद्दत से लाल थोड़े हैं
मज़ा तो तब है कि हम हारकर भी हँसते रहे
हमेशा जीत ही जाना कमाल थोड़े है
◆ परवीन शाकिर