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abhishek tiwari

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Master of Business Administration (MBA), Politician, Writer, Spokesperson, BJP, RSS, ABVP, Follow Hinduism Rashtrahit Sarvopari हर हर महादेव, जय श्री राम,

Lucknow, India
Joined November 2021
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@abhisektiwariup
abhishek tiwari
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अगली सुबह श्रीकृष्ण के पिता वसुदेवजी ने प्राण त्याग दिए। अर्जुन ने विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया। वसुदेवजी की पत्नी देवकी, भद्रा, रोहिणी व मदिरा भी चिता पर बैठकर सती हो गईं। इसके बाद अर्जुन ने प्रभास तीर्थ में मारे गए समस्त यदुवंशियों का भी अंतिम संस्कार किया। सातवे दिन.
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वसुदेवजी की बात सुनकर अर्जुन ने दारुक से सभी मंत्रियों को बुलाने के लिए कहा। मंत्रियों के आते ही अर्जुन ने कहा कि मैं सभी नगरवासियों को यहां से इंद्रप्रस्थ ले जाऊंगा, क्योंकि शीघ्र ही इस नगर को समुद्र डूबा देगा। अर्जुन ने मंत्रियों से कहा कि आज से सातवे दिन सभी लोग इंद्रप्रस्थ के.
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अर्जुन तुरंत ही अपने मामा वसुदेव से मिलने के लिए द्वारका चल दिए। अर्जुन जब द्वारका पहुंचे तो वहां का दृश्य देखकर उन्हें बहुत शोक हुआ। श्रीकृष्ण की रानियां उन्हें देखकर रोने लगी। उन्हें रोता देखकर अर्जुन भी रोने लगे और श्रीकृष्ण को याद करने लगे। इसके बाद अर्जुन वसुदेवजी से मिले।.
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तब श्रीकृष्ण को उसे आश्वासन दिया और अपने परमधाम चले गए। अंतरिक्ष में पहुंचने पर इंद्र, अश्विनीकुमार, रुद्र, आदित्य, वसु, मुनि आदि सभी ने भगवान का स्वागत किया।.इधर दारुक ने हस्तिनापुर जाकर यदुवंशियों के संहार की पूरी घटना पांडवों को बता दी। यह सुनकर पांडवों को बहुत शोक हुआ।.
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जिस समय भगवान श्रीकृष्ण समाधि में लीन थे, उसी समय जरा नाम का एक शिकारी हिरणों का शिकार करने के उद्देश्य से वहां आ गया। उसने हिरण समझ कर दूर से ही श्रीकृष्ण पर बाण चला दिया। बाण चलाने के बाद जब वह अपना शिकार पकडऩे के लिए आगे बढ़ा तो योग में स्थित भगवान श्रीकृष्ण को देख कर उसे अपनी.
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वन में जाकर श्रीकृष्ण ने देखा कि बलरामजी समाधि में लीन हैं। देखते ही देखते उनके मुख से सफेद रंग का बहुत बड़ा सांप निकला और समुद्र की ओर चला गया। उस सांप के हजारों मस्तक थे। समुद्र ने स्वयं प्रकट होकर भगवान शेषनाग का स्वागत किया।.बलरामजी द्वारा देह त्यागने के बाद श्रीकृष्ण उस सूने.
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द्वारका आकर श्रीकृष्ण ने पूरी घटना अपने पिता वसुदेवजी को बता दी। यदुवंशियों के संहार की बात जान कर उन्हें भी बहुत दुख हुआ। श्रीकृष्ण ने वसुदेवजी से कहा कि आप अर्जुन के आने तक स्त्रियों की रक्षा करें। इस समय बलरामजी वन में मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं, मैं उनसे मिलने जा रहा हूं। जब.
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यदुवंशी भी आपस में लड़ते हुए मरने लगे।.श्रीकृष्ण के देखते ही देखते सांब, चारुदेष्ण, अनिरुद्ध और गद की मृत्यु हो गई। फिर तो श्रीकृष्ण और भी क्रोधित हो गए और उन्होंने शेष बचे सभी वीरों का संहार कर डाला। अंत में केवल दारुक (श्रीकृष्ण के सारथी) ही शेष बचे थे।. श्रीकृष्ण ने दारुक से.
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अपने पुत्र और सात्यकि की मृत्यु से क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने एक मुट्ठी एरका घास उखाड़ ली। हाथ में आते ही वह घास वज्र के समान भयंकर लोहे का मूसल बन गई। उस मूसल से श्रीकृष्ण सभी का वध करने लगे। जो कोई भी वह घास उखाड़ता वह भयंकर मूसल में बदल जाती (ऐसा ऋषियों के श्राप के कारण हुआ.
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सात्यकि को अकेला देख श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न उसे बचाने दौड़े। सात्यकि और प्रद्युम्न अकेले ही अंधकवंशियों से भिड़ गए। परंतु संख्या में अधिक होने के कारण वे अंधकवंशियों को पराजित नहीं कर पाए और अंत में उनके हाथों मारे गए।.
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गांधारी के श्राप को सत्य करने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण ने यदुवंशियों को तीर्थयात्रा करने की आज्ञा दी। श्रीकृष्ण की आज्ञा से सभी राजवंशी समुद्र के तट पर प्रभास तीर्थ आकर निवास करने लगे।.प्रभास तीर्थ में रहते हुए एक दिन जब अंधक व वृष्णि वंशी आपस में बात कर रहे थे। तभी सात्यकि ने.
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जब श्रीकृष्ण ने नगर में होते इन अपशकुनों को देखा तो उन्होंने सोचा कि कौरवों की माता गांधारी का श्राप सत्य होने का समय आ गया है। इन अपशकुनों को देखकर तथा पक्ष के तेरहवें दिन अमावस्या का संयोग जानकर श्रीकृष्ण काल की अवस्था पर विचार करने लगे। उन्होंने देखा कि इस समय वैसा ही योग बन.
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इसके बाद द्वारका में भयंकर अपशकुन होने लगे। प्रतिदिन आंधी चलने लगी। चूहे इतने बढ़ गए कि मार्गों पर मनुष्यों से ज्यादा दिखाई देने लगे। वे रात में सोए हुए मनुष्यों के बाल और नाखून कुतरकर खा जाय�� करते थे। सारस उल्लुओं की और बकरे गीदड़ों की आवाज निकालने लगे। गायों के पेट से गधे,
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मुनियों के श्राप के प्रभाव से दूसरे दिन ही सांब ने मूसल उत्पन्न किया। जब यह बात राजा उग्रसेन को पता चली तो उन्होंने उस मूसल को चुरा कर समुद्र में डलवा दिया। इसके बाद राजा उग्रसेन व श्रीकृष्ण ने नगर में घोषणा करवा दी कि आज से कोई भी वृष्णि व अंधकवंशी अपने घर में मदिरा तैयार नहीं
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ऋषियों ने जब देखा कि ये युवक हमारा अपमान कर रहे हैं तो क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दिया कि- श्रीकृष्ण का यह पुत्र वृष्णि और अंधकवंशी पुरुषों का नाश करने के लिए एक लोहे का मूसल उत्पन्न करेगा, जिसके द्वारा तुम जैसे क्रूर और क्रोधी लोग अपने समस्त कुल का संहार करोगे।.केवल श्रीकृष्ण व
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महाभारत युद्ध के बाद जब छत्तीसवां वर्ष आरंभ हुआ तो तरह-तरह के अपशकुन होने लगे। एक दिन महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका गए। वहां यादव कुल के कुछ नवयुवकों ने उनके साथ परिहास (मजाक) करने का सोचा। वे श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और
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एक माता गांधारी द्वारा श्री कृष्ण को दिया गया श्राप और दूसरा ऋषियों द्वारा श्री कृष्ण पुत्र सांब को दिया गया श्राप।.महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठर का राजतिलक हो रहा था तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया की जिस
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abhishek tiwari
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पढ़िए रिपोस्ट करियेगा 🙏🙏🙏.क्यों कब और कैसे डूबी द्वारिक. ??. श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका महाभारत युद्ध के 36 वर्ष पश्चात समुद्र में डूब जाती है। द्वारिका के समुद्र में डूबने से पूर्व श्री कृष्ण सहित सारे यदुवंशी भी मारे जाते है। समस्त यदुवंशियों के मारे जाने और द्वारिका के
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abhishek tiwari
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रिपोस्ट साथियों 🙏🏿 .श्री मान @GujaratPolice , @dcp_z4 @AhmedabadPolice @dgpgujarat. पता - 100 फ़ीट रोड सैटेलाइट अहमदाबाद गुजरात.Postal Code - 380015. मोबाइल नंबर : डीएम करे 🙏🏻. एक्स नाम - निखिल चावड़ा.ओरिजिनल नाम - हँसमुख भाई . महोदय, इस व्यक्ति द्वारा हिंदू धर्म हिंदू देवी
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abhishek tiwari
11 hours
सादगी सरलता की पहचान पूरे उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा चर्चित @brajeshpathakup ज़ी .जनता दर्शन पर जिनके दरवाजे पे प्रतिदिन लगभग 500 लोगो कि भीड़ लगी हो और और सबकी बात सुनके उनके कार्यों का निस्तारण कराना .अन्य मंत्रियों कि तरह ना कोई भौकाल ना कोई प्रोटोकॉल ऐसे
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