आँखो मे नमी लेकर होठों से मुस्कुराती हुँ मैं,
दिल मे दर्द लेकर फिर भी गुनगुनाती हूँ मैं,
कोई क्या जानेगा मेरे अंदर छिपे दर्द को,
बाहर से तो सब को खुश नजर आती हूँ मैं।
एक स्त्री बहुत मौक़े देती है
पुरूष को पुकारती है कई बार
चीखती है
कभी हौले से, कभी आंँखों से
कई बार दिखाती है उदारता
कई बार करती है माफ़
और कई बार
अनदेखा कर देती है
उसकी बेख़याली को
एक स्त्री बहुत मौक़े देती है...!!
@Navneeta51
बहुत सुंदर और अनुभव की बात की आप नीता जी। समय बहुत बुरा है हर कोउ आपकी कमजोरी का लाभ उठाने की तांक में रहता है । जिसके कारण आदमी किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहा है । लेकिन अच्छे लोग भी तभी दुनिया चल रही है ।
जिंदगी मे हमेशा सबकी "कमी"बनो
पर कभी किसी की "जरुरत" नहीं, क्यूंकि "जरुरतें "तो हर कोई पूरी कर सकता हैं, पर किसी की कमी " कोई पूरी नहीं कर सकता.
Good morning friends
❣️❣️❣️