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तथाकथित किसान आंदोलन में मरने वाले देश विरोधी खालिस्तान समर्थक नकली किसान थे लेकिन गांधी जी की हत्या के बाद चितपावन ब्राह्मणों का, करपात्री महाराज के साधुओं का, 1984 में सिखों का तथा 1990 में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार असली था जिसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।