shabdsar Profile Banner
शब्दसार Profile
शब्दसार

@shabdsar

Followers
107K
Following
7K
Media
1K
Statuses
15K

साहित्य | संगीत | कला

India
Joined September 2019
Don't wanna be here? Send us removal request.
@shabdsar
शब्दसार
2 years
Never complain never explain...🙌
2
57
252
@shabdsar
शब्दसार
2 months
आदमी बुलबुला है पानी का और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है, फिर उभरता है, फिर से बहता है, न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है, वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का। ~गुलज़ार #जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं 🌸
0
2
7
@RadhaGlory
Radha 𝑪𝒐𝒏𝒔𝒄𝒊𝒐𝒖𝒔𝒏𝒆𝒔𝒔 ✨
2 months
सबसे जल्दी उन्नति प्राप्त करनी हो.. ये दो बात पकड़ ले
4
435
3K
@shabdsar
शब्दसार
3 months
चिंतन 'प्रसाद' ने अधिक किया। काव्य 'निराला' का श्रेष्ठ है। शब्द का ज्ञान 'पंत' का सबसे सूक्ष्म है। प्रसाद पढ़ाए जाएँगे। पंत से सीखा जाएगा। निराला पढ़े जाएँगे। ● अज्ञेय
0
0
7
@shabdsar
शब्दसार
3 months
1
2
10
@shabdsar
शब्दसार
3 months
इतना कुछ था दुनिया में लड़ने झगड़ने को पर ऐसा मन मिला कि जरा-से प्यार में डूबा रहा और जीवन बीत गया ~कुँवर नारायण
0
3
20
@shabdsar
शब्दसार
3 months
सुबह चली जाती है और फिर लौटती है । दिन जाता है और फिर आता है बारी आने पर । रात जाती है और लौट आती है फिर दिन ढलने पर । सिर्फ़ आदमी — आदमी जाते हैं तो लौटकर नहीं आते । ~काएसिन कुलिएव
1
2
10
@shabdsar
शब्दसार
3 months
.... और एक सुबह मैं उठूँगा मैं उठूँगा पृथ्वी-समेत जल और कच्छप-समेत मैं उठूँगा मैं उठूँगा और चल दूँगा उससे मिलने जिससे वादा है कि मिलूँगा। ~ केदारनाथ सिंह
0
1
6
@shabdsar
शब्दसार
3 months
कमजोरियाँ तुम्हारी कोई नहीं थीं मेरी थी एक मैं करता था प्यार... ~ ब्रेख़्त
0
0
12
@shabdsar
शब्दसार
3 months
एक दिन पाने की विकलता और न पाने का दुख दोनों अर्थहीन हो जाते हैं! ~श्रीकांत वर्मा
2
6
19
@shabdsar
शब्दसार
3 months
ऐसा सफ़र है जिस की कोई इंतिहा नहीं ऐसा मकाँ है जिस में कोई हम-नफ़स नहीं ~मुनीर नियाज़ी
0
2
8
@shabdsar
शब्दसार
3 months
प्रेम दरअसल पीठ की वो दुखती रग है जिसके ��ौन में सिहरन है समय असमय किसी ऊँगली के निमिष स्पर्श तले भभक पड़ती है फिर उसी ज्वार के अनुनाद को नहीं तो फिर से जड़ अकेली चिर परिचित पीड़ा के निनाद का अहसास लिए कील की तरह अड़ी रहती है -Anjana Tondon
0
1
3
@shabdsar
शब्दसार
3 months
मैंने ऐसे आदमी देखे हैं, जिनमें किसी ने अपनी आत्मा कुत्ते में रख दी है, किसी ने सूअर में। अब तो जानवरों ने भी यह विद्या सीख ली है और कुछ कुत्ते और सूअर अपनी आत्मा किसी आदमी में रख देते हैं। ~ हरिशंकर परसाई
1
3
12
@shabdsar
शब्दसार
3 months
हम जिनके अफ़साने पढ़कर रो देते है हाए! उन किरदारों पर क्या गुज़री होगी -राजेश रेड्डी
1
4
28
@shabdsar
शब्दसार
3 months
तन ओढ़े चूनर प्रेम की मन वैरागी भस्म रमाये... ❤️
0
0
6
@shabdsar
शब्दसार
3 months
माथा चूमना आत्मा को चूमने जैसा है कौन देख पाता है आत्मा के गालों को सुर्ख होते! -गीत चतुर्वेदी
0
1
19
@shabdsar
शब्दसार
3 months
वो लड़कियाँ जो रोना चाहती हैं खुलकर किसी कांधे पर सिर रखते हुए अक्सर तकिए पर सिसकती हुई पायी जाती हैं! ~vanish
0
2
15
@shiveshkrjha98
शिवेश
6 months
"तुम हमेशा जीत जाते हो," मैंने चिड़चिड़ाते हुए कहा। "क्योंकि मैं चालों से ज्यादा तुम्हारी आँखों में देखता हूँ," उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। "तो हार क्यों नहीं जाते एक बार?" "ताकि तुम हमेशा खेलते रहो," उसने प्यादे को आगे बढ़ाते हुए कहा। ~शिवेश
0
2
5
@shabdsar
शब्दसार
3 months
पूर्णिमा की चाँदनी में क्या दिखता है जाते बुद्ध पीछे से आती ��वाज़ फिर नहीं आती ठिठक जाती क्या छोड़ आए नाथ क्या छूट गया नाथ Unknown
0
1
3
@shabdsar
शब्दसार
3 months
बड़े बड़ाई ना करै, बड़ो न बोलै बोल रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल...!! ~ रहीम
0
2
20
@shabdsar
शब्दसार
3 months
खैर, ख़ून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे ना दबैं, जानत सकल जहान॥ ~ रहीम
0
3
19