
रूह
@mrs_jesal
Followers
2K
Following
7K
Media
2K
Statuses
200K
शब्दों का सागर है मेरे मन में अक्सर, भीतर शब्दों का शोर और बाहर मौन.....🧡
Joined August 2023
....❤️ हर किसी में अच्छा इंसान मत ढूंढो कभी खुद ऐसा बन कर देखो शायद किसी की ज़िंदगी को तुम्हारी ज़रूरत हो..!! #राधे_राधे 🙏 #रूह💫
46
57
100
...🤎 प्रेम के #खेल में क्या शय और मात हर दिल का होता है अलग हालात कभी जीत तो कभी हार का मंजर कभी खुशी के पैमाने तो कभी दर्द का सफर, आशाओं की बिसात पर बिछते हैं मोहरे यहां भावनाओं के संग संजोते हैं सपने और अपने ख्वाबों को ताक पर रखकर खेलता है हर दिल यहां.. #छोटा_दरवाज़ा #रूह💫
10
18
35
...🤎 प्रेम के #खेल में क्या शय और मात हर दिल का होता है अलग हालात कभी जीत तो कभी हार का मंजर कभी खुशी के पैमाने तो कभी दर्द का सफर, आशाओं की बिसात पर बिछते हैं मोहरे यहां भावनाओं के संग संजोते हैं सपने और अपने ख्वाबों को ताक पर रखकर खेलता है हर दिल यहां.. #छोटा_दरवाज़ा #रूह💫
10
18
35
....❤️ हर किसी में अच्छा इंसान मत ढूंढो कभी खुद ऐसा बन कर देखो शायद किसी की ज़िंदगी को तुम्हारी ज़रूरत हो..!! #राधे_राधे 🙏 #रूह💫
46
57
100
कुछ पल जो थम से गए कुछ लम्हें जो खामोश रहे हम पास होकर भी एक लंबा #अंतराल जीते रहे,, बात होती रही पर भाव छूटते गए हंसी के बीच अनकहे दर्द के ठहाके गूंजते रहे,, बिना स्पर्श याद जिंदा रही मुलाकात अधूरी रही लगता है वो अंतराल हमारे बीच नहीं हमारे भीतर थ��... #छोटा_दरवाज़ा #रूह
5
12
23
कुछ पल जो थम से गए कुछ लम्हें जो खामोश रहे हम पास होकर भी एक लंबा #अंतराल जीते रहे,, बात होती रही पर भाव छूटते गए हंसी के बीच अनकहे दर्द के ठहाके गूंजते रहे,, बिना स्पर्श याद जिंदा रही मुलाकात अधूरी रही लगता है वो अंतराल हमारे बीच नहीं हमारे भीतर थे... #छोटा_दरवाज़ा #रूह
5
12
23
...🤎 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।। #जय_श्री_राम 🚩 #रूह💫
20
22
39
...🤎 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।। #जय_श्री_राम 🚩 #रूह💫
20
22
39
...🤎 आंखों में नींद नहीं शायद कोई दरवाज़ा है जहां हर सांस एक पर्दा सरकाती है कोई अनदेखी रौशनी भीतर धड़कनों को थामे बुलाती है, एक छोर से धीरे-धीरे खुद को उतार रही हूं मैं #गिरह नहीं खुलती बल्कि खुद ही उसमें बंध रही हूं मैं बिना स्पर्श से सुलझने की तलाश में.. #छोटा_दरवाज़ा #रूह
4
12
23
...🤎 आंखों में नींद नहीं शायद कोई दरवाज़ा है जहां हर सांस एक पर्दा सरकाती है कोई अनदेखी रौशनी भीतर धड़कनों को थामे बुलाती है, एक छोर से धीरे-धीरे खुद को उतार रही हूं मैं #गिरह नहीं खुलती बल्कि खुद ही उसमें बंध रही हूं मैं बिना स्पर्श से सुलझने की तलाश में.. #छोटा_दरवाज़ा #रूह
4
12
23
....❤️ स्वर्ग भी तू नरक भी तू है इन दोनों का फर्क भी तू है तांडव में रौद्र रूप है तू ध्यान में शांत धर्म भी तू है, भोले! तू ही सृष्टि के सृजन और विनाश का कारण हर सांस का मर्म भी तू है...!! #हर_हर_महादेव 🙏 #रूह💫
47
51
102
....❤️ स्वर्ग भी तू नरक भी तू है इन दोनों का फर्क भी तू है तांडव में रौद्र रूप है तू ध्यान में शांत धर्म भी तू है, भोले! तू ही सृष्टि के सृजन और विनाश का कारण हर सांस का मर्म भी तू है...!! #हर_हर_महादेव 🙏 #रूह💫
47
51
102
💐जयपुर के आराध्य प्रभु 💐 💐ठाकुर श्री राधागोविन्द देवजी💐 के आज आषाढ़ मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्थी तिथि, विक्रम संवत् २०८२ दिनांक २९.०६.२०२५ (29-06-2025) के अलौकिक, मनोहारी मंगला आरती दर्शन🙏 ठिकाना जयपुर,राजस्थान❤️ जय श्री राधे🙏 "ॐ श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
148
132
204
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज | अहं त्वं सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच।। ये ही हैं, प्रेम और विश्वास के योग्य तुम इस माया जगत में और किसी को मत खोजो सच्ची कह रही हूँ। Love u कृष्ण हमारी शिवि @ShivinaSaksena के गोपाल 💞💞💞 #मेरे_राम #शरणागत_बच्छल_भगवाना
1
4
13
#बीता_हुआ_कल एक किताब बनकर हर पन्ना कुछ सिखा गया कुछ सपने अधूरे रहे कुछ रिश्ते बदले पर हर मोड़ इस सफर को समझा गया, #आने_वाला_कल अब सिर्फ़ सवाल नहीं उम्मीदों की नई मंज़िल है हर थकन में भी छिपा यक़ीन का इक साहिल है ज़िंदगी आज और कल के बीच अपने सफर पर चल रही है #छोटा_दरवाज़ा #रूह
8
15
44
#बीता_हुआ_कल एक किताब बनकर हर पन्ना कुछ सिखा गया कुछ सपने अधूरे रहे कुछ रिश्ते बदले पर हर मोड़ इस सफर को समझा गया, #आने_वाला_कल अब सिर्फ़ सवाल नहीं उम्मीदों की नई मंज़िल है हर थकन में भी छिपा यक़ीन का इक साहिल है ज़िंदगी आज और कल के बीच अपने सफर पर चल रही है #छोटा_दरवाज़ा #रूह
8
15
44
मैंने कब कहा कोई मेरे साथ चले चाहा जरुर! अक्सर दरख्तों के लिये जूते सिलवा लाया और उनके पास खड़ा रहा वे अपनी हरीयाली अपने फूल फूल पर इतराते अपनी चिड़ियों में उलझे रहे मैं आगे बढ़ गया अपने पैरों को उनकी तरह जड़ों में नहीं बदल पाया यह जानते हुए भी कि आगे बढ़ना निरंतर कुछ खोते
9
16
66