 
            
              kishor barthwal
            
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              मैं किसी को प्रसन्न या हताश करने हेतु नही लिखता हूं, मैं वही लिखता हूं जो मुझे ठीक लगता है, आवश्यक नही कि कोई उस से सहमत अथवा असहमत हो...
              
              Somewhere in Great Bhaarat
            
            
              
              Joined May 2009
            
            
           सपा में कितने दलित सांसद, प्रदेश अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष या महानगर अध्यक्ष हैं? क्या समाजवादी पार्टी अपने संगठन में दलितों के साथ अन्याय करती है? आखिर क्यों नही दलितों को सपा में स्थान मिलता? 
           जिनकी संख्या ‘नौ दहाई’ उनका हिस्सा एक तिहाई भाजपा राज में 90% पीडीए के साथ नाइंसाफ़ी का आँकड़ा। SIR में लगे सरकारी कर्मियों का आँकड़ा चुनाव आयोग से मिलते ही प्रकाशित किया जाएगा। साथ ही यह भी बताया जाएगा कि किस समाज के लोगों को ख़ासतौर से रखा गया है और किसको ख़ासतौर से हटाया 
            
                
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             भारतीय फेमिनिस्ट हिंदू बालिका को सिखाता है कि उसे स्वच्छंद (स्वतंत्र नहीं) होना चाहिये, लेकिन यही फेमिनिस्ट उन बालिकाओं की कभी आवाज़ नहीं बनता जिन्हें पिता की छाया नहीं बल्कि दास बना कर रखा जाता है, उन्हें एक कपड़े में रहने को को प्रेरित किया जाता है। फेमिनिस्ट महिला अधिकार के 
          
          
                
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             बिहार में सीता माता का मंदिर बनने से केवल धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं बल्कि पर्यटन और आर्थिक परिदृश्य में बहुत बड़ा अंतर आयेगा। चाणक्य की धरती अपनी परंपराओं को पुनर्स्थापित करेगी। 
          
                
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             जातिवाद का विष फैलाने का प्रयास इसीलिये किया जा रहा है ताकि हिंदू समाज को विभाजित कर सत्ता हासिल की जा सके, वरना ये स्पष्ट है कि निःशुल्क राशन, आयुष्मान, आवास, ऋण सुविधा, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि सभी चीजे बिना जाति देखें दी जा रही हैं और उनके उपयोग के लिये किसी जाति पर रोक भी नहीं 
           मोदी सरकार ब्राह्मण, बनिया, राजपूत को आगे करके पिछड़ों को पीछे धकेलने का प्रयास कर रही है राजकुमार भाटी जी ने उसे बहुत ही सरल तरीके से बताया है। राजकुमार भाटी जी बताते हैं OBC वर्ग की कटऑफ EWS से ऊपर है। ओबीसी वर्ग आज मोदी जी की कृपा से, मोदी जी के षडयंत्रों की वजह से, ओबीसी 
            
                
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             सर्वे और सूत्र ऐसे शब्द हो चुके हैं जिन्हें अपनी बात को वजन देने के लिये उपयोग किया जाने लगा है। इनमें सर्वे और सूत्र अनाम कंपनी और अनाम व्यक्ति होता है, ना डेटा साइज होता है, ना ही सर्वे का हेतु पता होता है, ना ही उसका डेटा कभी बताया जाता है। मुख्य बात ये है कि ये सर्वे और 
           एक सर्वे के अनुसार 87% लोग मानते है ॥ लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने वोट चोरी ना की होती आज राहुल गांधी जी देश के पीएम होते ॥ कितने % लोग इस बात से सहमत हैं?? 
            
                
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             अराष्ट्रीय लोगों को अभी तक लगता है कि हिंदू होने का अर्थ मुस्लिम विरोधी होना है। नाम यदि कलाम जी की स्मृति में हो, कबीर जी की स्मृति मे हो तो कोई हिंदू मना नहीं करता। समस्या तब है जब बाबर, अब्दाली, अकबर को अपना पुरखा समझने वाले भारतीय मुस्लिमों को अपनी जायदाद समझकर उन्हें अपने 
           मुस्तफ़ा पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ का नाम है और कबीर अल्लाह के 99 नामों में से एक नाम है जिसका ज़िक्र कुरान में भी आता है। मैं हमेशा कहता हूं जो भी बोलो सोच समझ कर बोलो और पढ़ा लिखा होना बहुत जरूरी है। भक्त बिना मतलब के खुश हो रहे हैं। मुसलमान तब भी खुश था आज भी खुश है। 
            
                
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             विश्व के निकृष्टतम सामाजिक व्यवस्था वाले देश, गरीबी से घिरे हुए देश, आतंकवादी देशों में भी तथाकथित ब्राह्मणवाद नही है। यदि ब्राह्मणवाद विकास ना होने के लिये दोषी है तो फिर इन गरीब, आतंकी और बर्बाद सामाजिक व्यवस्था के लिये कौन दोषी है? कुतर्क करके हर परिस्थिति में भारतीय समाज 
          
          
                
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             क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री स्वयं को राजा नहीं, सेवक कहते हैं। 
           American people are on roads to protest #NoKings against #DonaldTrump! Why Indians don’t have such a courage? 
            
                
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             उत्तराखंड के पौड़ी नगर में लोअर चोपड़ा में दूर दूर के गांवों से बहुत लोग एक चर्च में आए हुए हैं, उन्हें वहीं रुकवाया ज रहा है। धर्मांतरण है या सेवा.. इसकी जांच जरूरी है। @ukcmo @BajrangDalOrg @VhpUttarakhand कृपया संज्ञान लें। 
          
                
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             संघ और भाजपा विरोध में व्यक्ति इतना पतित हो चुका है कि वह स्वदेशी उत्पादों को हतोत्साहित करने के लिये कुछ भी कह सकता है। 
          
          
                
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             इस बालक द्वारा की गयी असभ्यता में सिर्फ माँ पिता ही नहीं बल्कि इसका स्कूल और इसके शिक्षक भी दोषी हैं जो इसे सभ्य नहीं बना सके। जब से शिक्षकों के हाथों से दंड देने का अधिकार छीन लिया गया है, तब से विद्यार्थियों में अधिक असभ्यता पनपने लगी है। क्या किसी को पता है ये किस स्कूल का 
          
                
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             प.बंगाल में फोटो एडिट करने पर एक नागरिक को महीनों के लिये जेल डाल दिया गया था, फोटो एडिट/पोस्ट करने पर ही कन्हैया लाल का गला रेत दिया गया था। क्या किसी सपा के नेता ने कभी कोई आवाज उठायी थी? 
           सऊदी अरब से सीएम योगी की एक फोटो एडिट कर दी थी, गाजियाबाद आते ही योगी पुलिस ने लंगड़ा कर दिया फोटो एडिट करना इतना बड़ा गुनाह है कि किसी को लंगड़ा कर दिया जाय ये सरकार पूरी तरह अमानवीय हो चुकी है 
            
                
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             Start using Ulaa browser today, has many features, find it great... One must try it.... Great swadeshi product. Thanks to @ZohoCares
          
          
                
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             मुस्लिमों को सोचना होगा कि आखिर उन पर विश्वास क्यों कम हो रहा है। मदरसा छाप मौलवी इसके लिये हिंदुत्व और राजनीति को दोष देंगे लेकिन वास्तविकता ये है कि पूरे विश्व में मुस्लिमों के कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई हैं और उनका विरोध करने की बजाय मुस्लिम विद्वान उन्हें न्यायोचित ठहराते 
           लीजिये अब एक मुस्लिम डॉक्टर कह रहे हैं कि पेशेंट ने उनका धर्म जानकर उनसे इलाज नहीं करवाया… सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक व्यक्ति अपना नाम डॉक्टर ज़ुल्फ़ेकार बता रहा है। उनके मुताबिक मरीजों कि लाइन में खड़े एक व्यक्ति ने दूसरे मरीज से डॉक्टर का नाम पूछा, जैसे ही 
            
                
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             ये है मूर्ख बनाने का तरीका... 2020 में नीट की परीक्षा पास की और मात्र 5 साल में ये न्यूरो सर्जन भी बन गयी... डॉक्टर बनना मदरसे की शिक्षा नही है, मुस्लिम महिलाओं को सच में आगे बढ़ाना चाहते हो तो चपटी धरती, आसमानी ज्ञान, तलाक, हलाला से मुक्ति दिला कर विज्ञान पढाओ, वो अपने आप आगे 
           ये डॉ. मरियम अफीफा अंसारी हैं। भारत की पहली महिला न्यूरो सर्जन है। 2020 में आयोजित NEET की परीक्षा में 137वीं रैंक हासिल की थी। मरियम ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मालेगांव के एक उर्दू माध्यम स्कूल से ली। इसके बाद वह हैदराबाद आ गईं। यहां आकर उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की। जहां 10वीं 
            
                
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