परिव्राजक
@jiwan_sameer
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I hate politics. विचरण मन का आचरण तन का,कल हों न हों.श्रीकृष्ण का दीवाना भावनाओं का पथिक- पहाड़ी! यादों के गलियारे से!!रमता जोगी!मीडिया में झांकें
विलीन- अल्मोडा उत्तराखण्ड
Joined January 2017
बह चली बयार लुट न जाये सिंगार उड़ा न ले कहीं बेताब वो तैयार बांध लो आंचल कहीं छूट न जाये शीशे की दीवार चलना हुआ दुश्वार संभलना जरा गिरे हो हर बार थाम लो जिगर कहीं टूट न जाय हर गली में तैयार बैठे हैं चितचोर बिखरे हैं इधर तार-तार बेजार बेदर्द जमाना है यह कहीं लूट न जाय...
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नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने । बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ।। __________ 💫🍃 नीलाचल पर्वत पर निवास करने वाले, नित्य और परमात्मा स्वरूप भगवान जगन्नाथ को, बलभद्र और सुभद्रा के साथ मेरा नमन है 🙏 #जय_जग्गनाथ_प्रभु #राधे_कृष्णा #महादेव #माधव_मेरे #मणिकर्णिका #बज़्म
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शुद्ध ह्रदय..... निश्छल मन में बचपना सदा ही जीवित रहें। शुभ शिशुवत ......रहो आह्लाद उन्मुक्त।। _अंकिता🍁 #बाल_दिवस #बचपना
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रेशेरेशे पत्तेपत्ते तुम्हें ढूँढते हरलम्हे हरदिन तुम्हें ढूँढते लौटआओ कि बुलाता कोई भटका हुआ मिलाता कोई चकौरसा मन डुलाता तुमको पागल कबसे पुकारता तुमको दीप बुझे प्रज्वलित करदो भीत भीतकी विर्दीर्ण करदो अंधेरों कोलिए आता कोई नैराश्य कोदिये जाता कोई पिहू-पिहू सा गान सुनातातुमको पा..
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उसकी सांसों की तपिश हवाओं की दिशा तय करती है ! वो रति की भाँति श्रेष्ठ है मन से और तन से भी.!! _अंकिता🍁
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ज़िंदगी तेज़ भाग रही है ऐसे कोई सफर ए राह पर रेलगाड़ी हो जैसे खड़े हुए है कुछ लोग कतार में ,,, उन्हें मंज़िल पर पहुँचने की जल्दी ना हो जैसे ___ अधूरे ख्वाब से ये छूटते स्टेशन आपाधापी में गुज़र रहे है ऐसे हम खड़े है इत्मीनान ए सुकून में हमें यही बस , वक़्त गुजारना हो जैसे
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हाथ से छूटी और रेज़ा-रेज़ा बिखर गई ए ज़िन्दगी तू इतनी नाज़ुक कब से हो गई !! #बज़्म #बर्फ़ी
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@AreSunoTo #पिता 🌼 मेरी दुनियां की सबसे अमूल्य धरोहर जिसका होना मेरे लिए वरदान के समान है और जिनकी कमी ने मुझे रिक्त कर दिया... समस्त जीवन के लिए.. पिता मेरे समस्त अर्जित पुण्यों का फल और मेरी अंतिम श्वास की एकमात्र अभिलाषा पिता 🌼 #बर्फी 🌼
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अधिकतर मैं दुनिया में कम ख्यालों में मिलती हूं। जवाबों में कम सवालों में मिलती हूं। हल कर दूसरों की मुसीबतें खुद बवालों में मिलती हूं। गुत्थी सुलझाने की कला रखने वाली मैं खुद जंजालों में मिलती हूं।💞💞🌹🌹 शुभ रात्रि नमन जय श्री कृष्णा 🙏♥️🙏
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रोज़मर्रा की धूल में दिल ख़ुद को संभाल लेता है, लेकिन तेरे बग़ैर बहुत भारी पड़ता है इतवार। #शुभ_रात्रि 🥹
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टूटना भी एक अद्भुत रसायनिक कला है, मन के कण–कण में छिपी कोई सूक्ष्म ज्वाला है। जब बिखरती है अस्थियाँ–सी उम्मीदों की परत, तो दर्द धधकता है जैसे कोई दहकती ज्वाला है। आँसू की चमक में घुली धूप का कण–कण, मानो सूर्य ने ही पलकों पर अपना रसायन उजाला है। टूटना सिर्फ़ बिखरना नहीं, यह
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कभी कभी लगती , शाम वीरानी क्यों है कोई कहानी जानी हुई अनजानी क्यों है बहती हुई नदिया की हर धारा रूमानी क्यों है जो चले गए उनकी याद आनी क्यों है ...?? सोचती हूँ अक्सर बैठी हुई साहिल के किनारे पर ______ डूबते हुए सूरज की एक नई कहानी क्यों है ✍️ #मणिकर्णिका ✍️ #शुभसाँझ #बज़्म
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"भूल जाती हूं जो जरूरी हो बहुत, और याद रह जाता हैं जिसे भूलना जरूरी था, अच्छा हैं कि याद हैं मुझको अब तक मेरी आइने पार की उस क़ैद की वरना मैं आज भी गुनहगार हूं !" © नयनिम
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🍁🍁🍁 बहुत सी चिताएं जली हैं ,, मेरे अंदर इसलिए मैं #मणिकर्णिका की... राख बन बैठी हूँ .....///*** 🍁🍁🍁 #मणिकर्णिका🦋 #बज़्म
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@komalTripathi__ संध्या होते ही चाय नहीं, सुकून बुलाने लगता है। चाय तो सिर्फ़ पेय नहीं, हमारा दैनिक इश्क़ है। और मेरा? मेरा भी इश्क़—चाय और ठंडी हवा में खोए पल। शुभ संध्या 🙏🌼
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मैं वो स्त्री हूँ जो विद्रोह भी गरिमा से करती है। महोदय, सम्मान गिरवी रखकर मिली जगह मेरे कदमों के लायक नहीं होती। #WomenPower #BoldAndFearless #TrendingNow
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#चांद_और_तुम चांद रात भर मेरे साथ चलता रहा पर दिल की राहें तुमसे ही रौशन होती हैं वो दूर आसमान में ठहरा रहता है और आप... मेरी धड़कनों के बिल्कुल पास रहते हो चांद की अदा और तुम्हारी-- फर्क बस इतना है वो ऊपर से चमकता है और आप… मेरी रूह को रौशन किए हो🌹 #बज़्म #परिंदा #शबनम🌸✍️
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जिसका अहित होने वाला है, यदि आपको लगता है कि हो ही जायेगा पर उस अहित को रोकने के लिए आपको ज्यादा ही ताकत लगाना पड़ेगा तब निश्चित तौर पर वह अहित नहीं होगा.... तो याद रखना, इस स्तर के अहित को होते देख कभी मत रोकना ,खासकर अकेले.... क्योंकि वह नियति है, उसका घटना निश्चित है! +
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हमें दफनाओं तो लाइब्रेरी में दफ़नाना कमबख़्त हम किताब-ए-इश्क में मरेंगे।। 🤌🏻🖤
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रेशेरेशे पत्तेपत्ते तुम्हें ढूँढते हरलम्हे हरदिन तुम्हें ढूँढते लौटआओ कि बुलाता कोई भटका हुआ मिलाता कोई चकौरसा मन डुलाता तुमको पागल कबसे पुकारता तुमको दीप बुझे प्रज्वलित करदो भीत भीतकी विर्दीर्ण करदो अंधेरों कोलिए आता कोई नैराश्य कोदिये जाता कोई पिहू-पिहू सा गान सुनातातुमको पा..
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