
Ayush Sharma
@ayusharma_bh
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सैकड़ों मन सैकड़ों विचार। आपको किसी विषय पर क्या लगता है, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है। उस विषय को ठोस आधार प्राप्त होना चाहिए तभी वह मान्य है।. ऐसा है, वैसा नहीं है. किसके आधार पर? मन के? आपका मन हम क्यों मानें? शास्त्रों के आधार पर चर्चा हो या भौतिक-जीवादि विज्ञान ही मानें।.
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अब प्रेमानंद जी महाराज को घेरा जा रहा है। विचित्र दशा है कि समाज की यथास्थिति कहना पर विरोध हो रहा है। आज भी भारत की वृद्ध माताएँ यही कहेंगी जो दोनों ने कहा है।.
अनिरुद्धाचार्य के बाद लड़कियों के चरित्र पर ये क्या बोल गए प्रेमानंद महाराज . #Premanand | #Aniruddhacharya
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शास्त्र के अनुपालन का क्या अर्थ है?. पुण्य की प्राप्ति और पाप के भय से प्रमादरहित होकर अपना कर्म करें, नारकीय यातना के भय से अधर्म ना करें, कंठ से गाली बोलकर सरस्वती जी का अपमान ना करें। सतयुग में इसी दृढ़ मान्यता के कारण कोई शासक (राजा) नहीं होता है।.
कोई भी शासन या शासक आए, प्रजा कुछ ही समय में उससे ऊब जाती है इसलिए शास्त्र का अनुपालन आवश्यक है।. किसी शासन या शासक की नहीं अपितु शास्त्र की प्रधानता हो। जब जनमानस शास्त्र का अनुपालन नहीं करते हैं तब शासक का उदय होता है।.
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इसलिए पूज्यपाद कहते हैं। पुनः श्रवण करें।.
हिन्दू अभी बहुत कष्ट पाएगा, इसको सब रौंधेंगे। सभी अवश्य सुनें। .Follow @govardhanmath and it's YouTube channel. 🙏🙇🚩
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इनसे अधिक साहस रुचिका शर्मा के पास है। वह शिक्षण संस्थान में अध्यापिका के रूप में नौकरी करती हैं फिर भी सरकार की शक्ति, जन सामान्य की भावना जानते हुए भी अपना धाराविरुद्ध मत रखने से पीछे नहीं हटती हैं।. नौकरी जाएगी, ग्राहक नहीं मिलेंगे, चंदा नहीं आएगा. कोई भय नहीं!.
जिसमें त्याग का बल होगा, वह राज करेगा। वीर भोग्या वसुंधरा।. अनिरुद्धाचार्य जी को भय है कि कहीं कथा मिलना बन्द ना हो जाए, कहीं विरोध प्रदर्शन होने से आश्रम में जन आगमन बन्द ना हो जाए, कहीं दान में कमी ना आ जाए।. यही कारण है कि अपने सत्योचित मत पर अडिग नहीं रह पाए।.
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