दाल महिमा
कहा जाता है कि रावण की भोजनशाला में दाल नहीं बनती थी। लंका में केवल विभीषण की पाकशाला में ही दाल बनती थी। परन्तु विभीषण को यह दाल पचती नहीं थी, तो सुषेण वैद्य की सलाह पर दाल में हींग डालकर पकने लगी। दाल-भात या रोटी दाल यही हमारा असली भोजन है, सच मानिए तो जो चीज़ 1/2
हमें दुनिया के अन्य समुदायों से अलग करती है, वह है दाल। संस्कृत में दाल को सूप भी कहते हैं। दाल का इतना महत्व है कि संस्कृत में रसोइए को सूपकार कहा जाता है। समस्त भारत में जो चार वस्तुएँ सर्वत्र मिलती हैं वे हैं - चावल, दाल, दूध और मसाले। 2/2