@avtansa
Abhishek Avtans अभिषेक अवतंस 🌐
2 years
दाल महिमा कहा जाता है कि रावण की भोजनशाला में दाल नहीं बनती थी। लंका में केवल विभीषण की पाकशाला में ही दाल बनती थी। परन्तु विभीषण को यह दाल पचती नहीं थी, तो सुषेण वैद्य की सलाह पर दाल में हींग डालकर पकने लगी। दाल-भात या रोटी दाल यही हमारा असली भोजन है, सच मानिए तो जो चीज़ 1/2
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Replies

@avtansa
Abhishek Avtans अभिषेक अवतंस 🌐
2 years
हमें दुनिया के अन्य समुदायों से अलग करती है, वह है दाल। संस्कृत में दाल को सूप भी कहते हैं। दाल का इतना महत्व है कि संस्कृत में रसोइए को सूपकार कहा जाता है। समस्त भारत में जो चार वस्तुएँ सर्वत्र मिलती हैं वे हैं - चावल, दाल, दूध और मसाले। 2/2
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@Anand371317
Anand
2 years
@avtansa मतलब रामायण काल मैं श्री लंका के , कंधार के साथ व्यापारिक संबंध थे । पता नहीं, अब क्या हुआ जो लंका ग़रीब हो गयी ।
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@anujgupta00078
Anuj gupta
2 years
@avtansa हींग भी मध्य एशिया से ही आती होगी। जान पड़ता है कि उस समय भी वैश्विक व्यापार बढ़िया चलता होगा
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@LuckyKantSharm2
Lucky Kant Sharma🙏
2 years
@avtansa अमीर आदमी हो क्योंकि तुम्हारी प्लेट में तो नींबू हैं
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@dadhichiagastya
वन्देभारतमातरम्🚩
2 years
@avtansa जग में चार पदारथ भारी। दाल भात रोटी तरकारी।। -अज्ञात दाल की अपनी विशेष फसल भी है-दलहन
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@mePrabodhKant
Prabodh Kant
2 years
@avtansa Please Paapad ke oopar pyaj, vagairah nahin rakhein... Paapad khaane layak nahin bachega...
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@iamPunam
पूनम 🇮🇳
2 years
@avtansa जय सनातन 🚩
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