A CIVIL ENGINEER BY PROFESSION AND A CREATIVE WRITER BY PASSION. PUBLISHED 4 GHAZAL BOOKS. GOT DUSHYANT AWARD FROM 'U P HINDI SANSTHAN' IN THE YEAR 2019.
एक बाहुबली को बचा के बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 2 लोकसभा सीटें जीतने का इंतज़ाम तो कर लिया लेकिन अन्य प्रदेशों में जीती हुई 200 लोकसभा सीटें हारने का इंतज़ाम भी कर लिया है।पहलवान बेटियों के साथ किए दुराचार के जख्म बहुत गहरे हैं।तानाशाह की समझ में बात नहींआएगी।
पीएम मोदी को 'मोदी तुम' कह के संबोधित करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा शायद ही कोई दूसरा नेता हो। पीएम से उम्र में 4 साल बड़े भी हैं, और सवाल भी वाजिब पूछा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू किसी दल की नहीं, देश की सर्वोच्च नेता हैं। संसद के नव निर्मित भवन को देश को समर्पित करने काअधिकार उनका है। यह भवन बीजेपी के पैसे से नहीं बना, जनता के टेक्स के पैसे बना है। यदि पीएम उदघाटन करते हैं तो यह देश के सर्वोच्च पद और हर नागरिक का अपमान होगा।
राजदंड (सेंगोल) न तो किसी देवता,न देवत्व, न ईश्वर का प्रतीक है न किसी मानवीय मूल्य से जुड़ा है,राजाओं के सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है, फिर प्रधान मंत्री इसके आगे लेट कर क्यों सम्मान प्रकट कर रहे हैं ? यह आचरण अज्ञानता का ही प्रतीक। क्या दक्षिणी राज्यों की जनता हंस नहीं रही होगी ?
जिस निशिकांत दुबे की फर्जी डिग्री के बारे में महुआ मोइत्रा ने 3 साल पहले सबूत के साथ शिकायत की उसकी जांच संसद की एथेक्स कमेटी ने आज तक शुरू नहीं की लेकिन महुआ के खिलाफ बिना किसी सबूत के निशिकांत दुबे ने जो आरोप लगाए उसकी जांच तुरंत शुरू होगई। अडानी फेक्टर का कमाल।
लज्जा नहीं आती इनको जजों के बारे में बोल क्या रहे हैं ? ये कानून की भाषा बोल रहे हैं या एक माफिया डॉन की !मंत्री बन गए हो तो उसकी गरिमा के अनुरूप आचरण करो। कैसे कैसे लोगों को इस सरकार में मंत्री बना दिया गया है !
राहुल के कंधे पर ममता बनर्जी ने हाथ ऐसे ही नहीं रख दिया है।इसके बहुत गहरे अर्थ हैं। शब्द जिस मन की बात को नहीं बोल पाते तस्वीर बिना शब्दों के बोल देती है। 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम अपने आप बता देंगे।
बीजेपी ने डराने धमकाने के लिए गलत व्यक्ति को चुन लिया है - इंडिया टुडे पर दिये अपने बोल्ड साक्षात्कार के बाद महुआ मोइत्रा ने निडर होकर कहा। देश में ऐसे कितने नेता हैं जो निडर होकर सच बोलने की हिम्मत कर सकें।
चित्र में हनुमान जी को किस के पांवों में बिठा दिया है ? अंध भक्तों की धूर्तता और मूर्खता की कोई सीमा नहीं। तमाम लोग आंखें बंद किए हुए इन तमाशों को होने दे रहे हैं। किसी को भी शर्म नहीं आ रही।
ये कायर और हीन भावना से ग्रस्त नस्ल के लोग हैं। इनके पास न अपना कोई सोच है कोई विवेक। ये बात सत्य है अगर इनके हाथ में सत्ता फिर आगई तो खड़े हो कर लोगों के सर पे मूतेंगे। आदमी को वक़्त रहते संभल जाना चाहिए वरना एक छोटी सी भूल पूरी ज़िंदगी बर्बाद कर देती है।
बीजेपी औरआरएसएस के संरक्षण में भारत के अल्पसंख्यक समुदायों के साथ मनुष्यता और संविधान का उपहास उड़ा कर जो भेदभाव और अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है उसे दुनिया देख रही है। यहाँ गोदी मीडिया को लगता है जो नफरत वे फैला रहा है उसे कोई देख समझ नहीं रहाहै, सब देख रहे हैं।
साक्षी जोशी एक प्रसिद्ध जर्नलिस्ट हैं, उनको रात में पुलिस ने जंतर-मंतर पर पहलवान खिलाड़ियों से मिलने नहीं दिया, उनके कपड़े फाड़ दिये धक्के दिए और हिरासत में ले लिया। क्या इसी को लोकतंत्र और देश प्रेम कहते हैं कि सरकार महिलाओं पर अत्याचार करे।
कांग्रेस की कृया से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे बिना जनाधार वाले नेता प्रणब मुखर्जी की बेटी शरमिष्ठा मुखर्जीआजकल क��ंग्रेस और राहुल की छवि खराब करने की मुहिम में लगी हैं। तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद इनको सत्ता के लिए कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने जिम्मेदारी मिली है शायद।
नड्डा को पता है 300 आतंकबादीघुसने वाले हैं, और वे चुनावी सभा में इस बात की घोषणा कर रहे हैं। बॉर्डर पे जाके उनको रोकते क्यों नहीं ? हद है, कह रहे हैं-आतंकबादी घुसने वाले हैं इसलिए जनता एनडीए को वोट करे। लानत है।
एक जोकर आपका मनोरंजन ही कर सकता है, रोटी-रोजगार नहीं दे सकता। आपकी किसी समस्या का निदान नहीं कर सकता। मणिपुर में जब आग लगी हो और सत्ता के संसद में हंसी-मजाक चल रहे हों तो ऐसे हालात पर आप क्या कहिएगा।इनकी बेशर्मी की कोई हद नहीं।
इतना बुरा बरताव तो अंग्रेजों ने भी भारतीयों के साथ नहीं किया जितना बीजेपी विपक्षियों के साथ कर रही है।तमिलनाडु के मंत्री को तो रात में गिरफ्तार कर के ईडी वाले ले गए लेकिन गुजरात के मेहुल चौकसी और नीरव मोदी हजारों करोड़ मार के विदेश में छुट्टा घूम रहे हैं उनको क्यों नहीं पकड़ते ?
ज़ाहिर है बीजेपी ने सूरत में 6 निर्दलीय प्रत्याशियों को लोक सभा चुनाव से नाम वापस लेने के लिए मजबूर किया होगा। अब तो बीजेपी का नेशनल जनरल सेकरेटरी खुलेआम खुलासा कर रहा है। लोकतन्त्र में यह सत्ता का सबसे घृणित चेहरा है।
कारोनाकाल में सरकार की बद इंतजामी से 40 लाख लोगों की मौत हुयी। खूब हाइतौबा मची। लोग सब भूलभाल गए और उत्तर प्रदेश में फिर सरकार बन गई। मणिपुर की इन घटनाओं का 2-4 दिन बाद कोई नाम नहीं लेगा। बॉस को पता है यहाँ के आदमी की मेमोरी बहुत कमजोर है। बाक़ी हिन्दू-मुस्लिम ज़िंदाबाद !
अंधभक्तों को छोड़ दीजिये, देश का हर नागरिक इनकी असलियत को समझ गया है। कल पाँच राज्यों के विधान सभा के नतीजे इस बात की तसदीक करेंगे। बीजेपी पांचों राज्य हार रही है।
महाराष्ट्र के दिवंगत बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे की बीजेपी सांसद बेटी प्रीतम मुंडे और दूसरी बेटी पंकजा मुंडे खुल कर पहलवान बेटियों के समर्थन में आयीं। प्रीतम मुंडे ने पहलवान बेटियों के आंदोलन को सही बताया और कहा बेटियों के मामले पर गौर किया जाना चाहिए था। पंकजा ने नाराजगी प्रकट की।
इसमें क्या सोचने की बात है, हर कमी के लिए जब पीएम मोदी कांग्रेस और जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हैं तो इस भीषण रेल दुर्घटना के लिए भी वे ही जिम्मेदार हैं। रेल्वे के ब्रौड गेज का विस्तार तो कांग्रेस के राज में ही हुआ।
पूरा देश देख रहा है। आज राहुल एमपी बंगले की चाबी सरकारी कर्मचारियों को सौंप कर मां सोनिया गांधी के पास चले आए। बैंकों और सरकार के अरबों की चोरी और हेराफेरी करने वाले दोस्तों को बचा रहे हैं और एक ईमानदार और बेकसूर नेता को फंसा रहे हैं।अब जनता ही राहुल गांधी की लड़ाई को लड़ेगी।
सत्ता के मद में चूर एक व्यक्ति एक बेबस आदिवासी के मुंह पर खड़ा हो कर पेशाब करता रहे और वह बेचारा हाथों से अपने मुंह को ढंकने की कोशिश करता रहे, मनुष्यता को तार तार करने वाली ऐसी घृणित घटना मानव इतिहास में दूसरी नहीं मिलेगी। सत्ता के उन्माद में क्या क्या नहीं हो रहा ?
अगर सीधे शब्दों में कहा जाये तो पिछले दस साल की सत्ता नफरत, झूठ और भ्रष्टाचार की सत्ता है। मुखौटे के पीछे किसकी ताक़त है यह कोई रहस्य नहीं हैं, दुनिया जानती है।
भारत को एक ऐसे प्रधानमंत्री की ज़रूरत है जो जनता के दुख दर्द भी सुनता हो प्रेस -मीडिया का सामना कर सकता हो, ऐसे पीएम की नहीं जो केवल अपने मन की बात करता हो और जनता की समस्याओं से भागता हो !
जो चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव में बीजेपे ने किया और जो अब जो हिमाचल और उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव के समय किया, क्या इस देश की जनता उसका समर्थन करती है ? क्या जनता संविधान को ऐसे ही नष्ट होते हुए देखती रहेगी?
जो व्यक्ति अमेरिकी संसद को बताता है लोकतंत्र हमारे डीएनए में वही भारत की संसद में जवाब देने से भागता है, विपक्षी दलों के संगठन के नाम I.N.D.I.A. की तुलना आतंकवादी संगठन से करताहै, हर विपक्षी नेता को भ्रष्ट बाताता है, उसकी 2024 में जमानत जब्त होगी। जनता सब देख रही है।
अंध भक्तो !सुन लिया आपने, हरियाणा के मुख्य मंत्री का बयान, 2.70 करोड़ आबादी की सुरक्षा पुलिस नहीं कर सकती, तो आपको लगता है 56 इंच वाले 142 करोड़ आबादी को दंगों की आग में झोंकने के बाद आपको पुलिस सुरक्षा प्रदान करेंगे? इन सबके बच्चे विदेश में है, सोच लीजिये मारे कौन जाएंगे ?
जिस जनता ने इनको सिर पर बैठाया वही इनको धूल में मिला देगी। जो चुनाव आयोग सत्ता के आगे समर्पण कर चुका हो उससे यह उम्मीद करना कि वह पे एम के खिलाफ कोई कार्यवाई करेगा, बबूल पर आम आने जैसा ही है।
सतपाल मालिक ने अपना ज़मीर नहीं बेचा, वे तब भी बोल रहे थे जब बीजेपी राज में कई राज्यों के गवर्नर थे।किसान आंदोलन के समर्थन में भी उनहों ने आवाज़ उठाई। पुलवामा और बालाकोट के फसानों के बीच बीजेपी को 93 करोड़ में से 22,8 करोड़ वोट मिले थे।2024 में अंधभक्तों के 10 करोड़ वोट मिलने हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि आज चंद्रयान की जिस सफलता का जश्न मनाया जा रहा उसका पूरा श्रेय इसरो की नींव रखने वाले, वैज्ञानिक सोच के महान नेता जवाहर नेहरू की नीतियों और हमारे वैज्ञानिकों की साधना को ही है। सत्ता में बैठे लोग तो मंदिरों और मूर्तियों और महलों की चमक-दमक में ही लगे हुए हैं।
अपने दम पर लोकसभा की दस सीट भी जीतने की हैसियत नहीं रखते वाले प्रादेशिक विपक्षी दल इंडिया गठबंधन में पलीता लगाने को तैयार बैठे हैं और यह नहीं समझ पा रहे कि अगर अब भी नहीं चेते तो उनका हाल बसपा जैसा होने जा रहा है। आगे बाकी जो होगा सो होगा।
नये संसद भवन के लोकार्पण होने के दूसरे दिन क्या राष्ट्रपति और उपराराष्ट्रपति वहां पिकनिक मनाने जाएंगे। लोकार्पण के बाद वहां कोई भी जाए उससे क्या फर्क पड़ता है। कौन देवी है और कौन देवता जनता सब जानती है।
कुछ ही समय में रवीश कुमार के 'यू ट्यूब' चैनल 'RAVISH KUMAR OFFICIAL' के 60 लाख सब्सक्राइब हो गये हैं, इस उपलब्धि पर यू ट्यूब ने उनको 'गोल्ड बटन' भेज कर सम्मानित किया है। तानाशाही और निरंकुशता के इस दौर में रवीश निष्पक्ष टीवी पत्रकारिता के मानक के रूप में जाने जाते हैं। बधाई!
समय आने दीजिये, मई 2024 दूर नहीं है, इस देश को देश की जनता ही अपने वोट से बचाएगी। सुप्रीम कोर्ट की एक सीमा है, वह क़ानून की जांच कर सकता है, क़ानून बना नहीं सकता। इस सत्ता को बेदख़ल जनता का वोट ही करेगा।
एक डालर 82 रुपए का हो गया। ठीक ही तो कह रहे हैं जो कांग्रेस 60 साल में नही कर पाई उसे बीजेपी सरकार ने 9 साल में कर दिखाया यानी देश के साम्प्रदायिक वातावरण और देश की अर्थव्यस्था को बर्बाद करके रख दिया। वैश्विक संस्थाओं द्वारा स्थापित सभी मानकों पर भारत निचले स्तर पर पहुंच गया।
ब्रजभूषण सिंह को अरेस्ट नहीं किया,खेल खेलने की पूरी छूट दी ग��।आखिर नाबालिग बेटी के पिता ने दबाव में शिकायत वापस ले ली। बेटी को कहां कहां किस किससे बचाता जब सामने सत्ता का बाहुबली खड़ा हो। सारा खेल खत्म।साक्षी मलिक,विनेश फोगट बैठी रहें धरने पर,क्या होना है ! बीजेपी का राम राज है।
जिस सरकार के पास करोना से मारे गए 40 लाख लोगों का कोई आंकड़ा नहीं उसके पास कश्मीर घाटी में आतंकी घटनाओं में 42 हजार नागरिकों की हत्या का पक्का आंकड़ा है। गृह मंत्री इन हत्याओं के लिए गांधी,अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को दोषी ठहरा रहे हैं। पीएम को दी गई गालियों का आंकड़ा भी है।
पता नहीं क्यों विपक्षी दलों के नेता इन गोदी मीडिया के तथाकथित पत्रकारों के खिलाफ। मुकदमे दर्ज नहीं कराते वरना सबको उस कैद की सजा हो सकती है। इनके विरुद्ध देश का साम्प्रदायिक वातावरण नष्ट करने के अनगिनत सबूत उपलब्ध हैं।
जिन पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाए, ईडी, सीबीआई के छापे डलवाए सब को पार्टी मे शामिल कर लिया,पद दे दिए। यही लोकतंत्र है? भ्रष्टाचार खत्म करने और अच्छे दिन लाने का वादा करके सत्ता में आए लेकिन 9 साल सत्ता में रहने के बाद भी न भ्रष्टाचार खत्म हुआ न अच्छे दिन आए।
अगर इतनी ही शर्म होती तो क्या गोधरा कांड होता,क्या पुलवामा में 40 सैनिकों को जान देनी पड़ती,क्या 80 करोड़ जनता 5 किलो राशन की मुहताज होती, क्या करोड़ों बेरोजगार ऐसे ही सड़कों पर घूम रहे होते, क्या मंहगाई से त्रस्त जनता यूं ही त्राहि त्राहि कर रही होती,क्या ब्रजभूषण छुट्टा घूमता?
8 नवंबर 2016 को इन्होंने 50 दिन मांगे थे, आज 6 साल 6 महीने और 11 दिन हो गए, क्या नोटबंदी से आतंकवाद और कालाधन खत्म हो गए? क्या भ्रष्टाचार खत्म हो गया ? बेरोजगारी और मंहगाई से त्रस्त जनता पूछ रही है क्या इन्ही अच्छे दिनों के सपने दिखाए गए थे?
अब आप समझ लीजिए, सवा सौ करोड़ लोगों को ये घर की चाबी सौंप चुके हैं जब कि ये वीडियो 2022 से पहले का है। झूठ बोलने की कोई तो सीमा होगी! 140 करोड़ की कुल आबादी है, चार लोग एक परिवार में हों तो पूरे भारत में मकान ही 35 करोड़ होंगे। इनका हर आंकड़ा झूठा, जनता को बेवकूफ समझते हैं क्या?
अभी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी वाले नामर्द ही कह रहे हैं, देखते जाइए मध्य प्रदेश के विधान सभा चुनाव में हार मिलते ही इनको क्या क्या कहा जाएगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया 'सत्ता ही सर्वोपरि' की विचारधारा वाले नेता हैं जिनकी जड़ बीजेपी में नहीं है। कुगति होने वाली है।
जवाहर लाल नेहरू वर्ल्ड लीडर थे।उनको समस्याओं से जूझता एक उजड़ा हुआ भारत विरासत में मिला था। हज़ार नरेंद्र मोदी मिलकर भी उनको योग्यता, दृष्टि, उनके विजन,देश के निर्माण में उनके योगदान की बराबरी नहीं कर सकते।
असली घुसपैठिया तो ये है जो साम्प्रदायिक माहौल खराब कर रहा है। इस आदमी ने क्या उत्तराखंड बीजेपी सरकार से खरीद लिया है? किस हैसियत से देश के नागरिकों को वहां से भगा रहा है? इसको पकड़ के अंदर क्यों नहीं किया जाता?
पीएम के यूएसए के पहले स्टेट विजिट की शुरुआत क्या ऐसे ही होनी थी? आशुतोष यूएसए में ही हैं,ने बताया वहां के मीडिया में इस विजिट का कोई जिक्र नहीं है। यहां गोदी मीडिया ने तो आसमान सर पे उठाया हुआ है है। अंधभक्त अपनी फजीहत खुद ही करवाते हैं। जरा जरा सी बात ढोल पीटते हैं।
सूप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस पर तो इस निर्णय से कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन 2024 के चुनावों पर फर्क पड़ेगा। इसीलिए सत्ता द्वारा मर्यादाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुल मिला कर जवाब तो इन को इस देश की जनता ही देगी।सत्ता केअच्छे दिनों काअंत मई 2024 में होना सुनिश्चित है।
मणिपुर में एक लाख नागरिकभी दंगों की भेंटचढ़ जाए तो यही कहेगा कोई नहीं मरा।ये तो जनता करोना काल में देख चुकी है कि देश का प्रधानमंत्री कितना संवेदनहीन है जो लाखों आदमियों की मृत्यु के बादभी यही कहता रहा देश में कारोन से कोई मौत नहीं हुई। ऑक्सीज़नऔर दवाओं की कोई कमी नहीं थी।
दुनिया भारत के बाज़ार को देख रही है, हिन्दुत्व को नहीं। ��ुनिया का कौन सा देश है जो भारत की ओर देख रहा है ? भारत के सिर पर 155 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज़ है। दुनिया ये देख रही है कर्ज़ वापस मिलेगा या नहीं।
आम जनता ऐसे बेनर पोस्टर के माध्यम से सत्ता के प्रति अपने गुस्से को ज़ाहिर करती है। ये अंधभक्त टाइप के लोग नहीं होते बल्कि वे ठगे हुए लोग होते हैं जिनको सत्ता ने बड़े बड़े सपने तो दिखाए लेकिन 9 साल बाद उन को हासिल कुछ नहीं हुआ। यह इस बात का संकेत है लोग बदलाव चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को जिन संजय मिश्रा ई डी के सेवा विस्तार को ही अवैध करार दिया था और 31 जुलाई को रिटायर करने का आदेश दिया था, केंद्र सरकार ने फिर उसी ईडी की सेवाओं को 15 अक्तूबर तक बढ़ाने की गुहार लगाई।आज कोर्ट ने 15 सितंबर की आधी रात तक छूट दी।आगे कोई रियायत नहीं।
अपराधी कोर्ट से क्लीन चिट लेकर कुर्सियों पर बैठे हैं। अगर ये झूठ बोल रहे हैं तो सरकार इनके विरूद्ध कार्यवाई क्यों नहीं करती ? गोधरा हत्याकांड का सच जानने वाले अभी बहुतसे गवाह जिंदा हैं। कुछ दिनों बाद ये नहीं रहेंगे। ये वीडियो भी सोशल मीडिया में मर जाएगे। जागिए,जागिए,जागिए।
देश की संसद में भी ऐसे ही बोलती हैं जैसे एकता कपूर के सीरियल में किरदार निभा रही हों। संसद की एक मर्यादा होती है इस बात का एहसास इनको 2024 का चुनाव हारने के बाद ही होगा।
ये किसान और जाट महोदय तब कहाँ थे जब देश के 700 जाट किसानों की जान चली गई, साल भर कृषि कानून रद्द करवाने के लिए आंदोलन किया और सड़क पर बैठे रहे। तब कहाँ थे जब बेचारी पहलवान बेटियों की इज्ज़त तार तर होती रही, पुलिस उनको घसीटती रही ?