
Vijay Kumar Sinha
@VijaySi51
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*Joint Secretry+life member Palamau Club * Treasurer+life member Palamau District Cricket Assosiation * Life member Red Cross society,Palamau,Jharkhand.
Daltonganj, India
Joined October 2017
𑂠𑂱𑂫𑂰𑂪𑂲 𑂍𑂵 𑂠𑂱𑂢 (𑂋𑂪) 𑂮𑂳𑂩𑂢 𑂍𑂲 𑂮𑂥𑂹𑂔𑂲 𑂎𑂰𑂢𑂰 𑂍𑂹𑂨𑂷𑂁 𑂃𑂢𑂱𑂫𑂰𑂩𑂹𑂨 𑂯𑂶 𑂞𑂷 𑂧𑂵𑂩𑂰 𑂧𑂰𑂢𑂢𑂰 𑂟𑂰 𑂍𑂲 𑂣𑂯𑂪𑂵 𑂍𑂵 𑂮𑂧𑂨 𑂧𑂵𑂁 𑂮𑂥𑂹𑂔𑂱𑂨𑂷𑂁 𑂍𑂵 𑂫𑂱𑂍𑂪𑂹𑂣 𑂥𑂯𑂳𑂞 𑂮𑂲𑂧𑂱𑂞 𑂯𑂳𑂄 𑂍𑂩𑂞𑂵 थे 𑂌𑂩 𑂊𑂮𑂵 𑂧𑂮𑂰𑂪𑂵 𑂫𑂰𑂪𑂲 𑂮𑂥𑂹𑂔𑂱𑂨
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तलब से लेकर तृप्ति तक का सफर है - दाल,भात,भुजिया और अचार। जब भूख जोरों पर होती है, और रसोई से दाल की महक आती है, तो मन बेसब्री से थाली की ओर खिंचता है। दाल की सादगी, चाहे वह अरहर हो, मूंग हो,चना हो या मसूर, उसमें माँ के हाथों का प्यार और मसालों का तड़का एक अनोखा स्वाद घोल देता है
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𑂧𑂯𑂰𑂣𑂹𑂩𑂰𑂝 𑂮𑂴𑂩𑂹𑂨𑂍𑂰𑂁𑂞 𑂞𑂹𑂩𑂱𑂣𑂰𑂘𑂲 '𑂢𑂱𑂩𑂰𑂪𑂰' 𑂣𑂹𑂩𑂱𑂨 𑂍𑂫𑂱 𑂄𑂔 𑂇𑂢𑂍𑂲 𑂣𑂳𑂝𑂹𑂨𑂞𑂱𑂟𑂱 𑂣𑂩 𑂇𑂢𑂹𑂯𑂵𑂁 𑂬𑂞-𑂬𑂞 𑂢𑂧𑂢 𑂌𑂩 𑂬𑂹𑂩𑂠𑂹𑂡𑂰𑂁𑂔𑂪𑂱 !!
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गाँव का खुला वातावरण और वहाँ की शुद्ध हवा इंसान को आज़ादी का असली मतलब समझा देती है 🌳🥰
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दोस्ती में ही तो ताकत है समर्थ को भी झुकाने की... वरना सुदामा की कहां औकात थी कृष्ण से पांव धुलवाने की... Good morning 🌹🌹🙏🙏
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𑂅𑂮 𑂧𑂷𑂥𑂰𑂅𑂪 𑂢𑂵..... 𑂃𑂥 𑂒𑂱𑂗𑂹𑂘𑂲𑂨𑂰𑂁 𑂄𑂞𑂲 𑂢𑂯𑂲, 𑂄𑂞𑂵 𑂢𑂯𑂲 𑂯𑂶 𑂞𑂰𑂩 𑂮𑂥 𑂓𑂱𑂢𑂹𑂢 𑂦𑂱𑂢𑂹𑂢 𑂍𑂩 𑂠𑂱𑂨𑂰,𑂅𑂮 𑂧𑂷𑂥𑂰𑂅𑂪 𑂢𑂵 𑂨𑂰𑂩𑃀 𑂅𑂞𑂢𑂰 𑂢𑂰 𑂄𑂏𑂵 𑂥𑂜𑂱𑂨𑂵 𑂦𑂰𑂫 𑂮𑂥 𑂎𑂷 𑂔𑂰𑂉 𑂮𑂁𑂫𑂵𑂠𑂢𑂰 𑂢 𑂯𑂷𑂏𑂲 𑂞𑂷, 𑂧𑂢 𑂍𑂷 𑂍𑂸𑂢 𑂦𑂰𑂉
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खेतों के बीच, पगडंडी पुरानी, बैलगाड़ी चली, जैसे कोई कहानी। हरे-भरे धान, और कच्चे मकान, जीवन का संगीत, कितना सुहाना। 🌾🏠🎶
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निमन हवा बेयार ना मिलल आपन केहू हमार ना मिलल जरुरत एहूजा किनाइल बाकि गाँव जइसे बाजार ना मिलल
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आप के घर में था क्या कटोरदान ! दादी मां के जमाने का पीतल से बना यह कटोरदान उनकी तिजोरी होता था इसमें गहने नगदी आदि रखते थे। अब तो इन चीजों के लिए बहुत कुछ आ गया, परंतु इस शाही कटोरदान की बराबरी आज भी नही ....
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छोड़ चलो शहरों को तुमको गांव बुलाते है नीम की मंद बयार उसकी छांव बुलाते है क्य��� रखा शहरों की इन बेजान दीवारों में खेत खलिहान , पगडंडी नंगे पांव बुलाते है
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𑂩𑂯𑂢𑂵 𑂠𑂵 𑂄𑂮𑂧𑂰, 𑂔𑂺𑂧𑂲𑂢 𑂍𑂱 𑂞𑂪𑂰𑂬 𑂍𑂩, 𑂮𑂥𑂍𑂳𑂓 𑂨𑂯𑂲 𑂯𑂶, 𑂍𑂯𑂲 𑂌𑂩 𑂢 𑂞𑂪𑂰𑂬 𑂍𑂩. 𑂯𑂩 𑂄𑂩𑂔𑂺𑂴 𑂣𑂴𑂩𑂲 𑂯𑂷, 𑂞𑂷 𑂔𑂲𑂢𑂵 𑂍𑂰 𑂍𑂹𑂨𑂰 𑂧𑂔𑂺𑂰, 𑂔𑂲𑂢𑂵 𑂍𑂵 𑂪𑂱𑂉 𑂥𑂮 𑂉𑂍 𑂎𑂴𑂥𑂮𑂴𑂩𑂞 𑂫𑂔𑂯 𑂍𑂱 𑂞𑂪𑂰𑂬 𑂍𑂩, 𑂢𑂰 𑂞𑂳𑂧 𑂠𑂴𑂩 𑂔𑂰𑂢𑂰
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अपनी गलती पर पर्दा, डालने वाले लोगों जरा समझें। एक गलती को छिपाने के, लिए हज़ार झूठ बोलना होता है। एक नहीं दो नहीं अपनी ही नजर में, हज़ार बार खुद में ही मर जाना होता है। जिंदगी में कभी सुधरने की गुंजाइश नहीं रहती। गलतियां दिन व दिन बढ़ती ही चली जाती है, गलतियों के दलदल से वे
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मन की शांति के लिए भाव रूप से सब कुछ छोड़ना ही पड़ता है! जब तक किसी भी तरह की पकड़ है मन का शांत होना असंभव है !
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*समाज के तीन बकवास* *१.टीवी की बेमतलब की बहस* *२.राजनेताओ के जहरीले बोल, और* *३.कुछ दिग्भ्रमित लोगो के सोशल मीडिया के भड़काऊ मैसेज ।* *इनसे दूर रहें तो शायद बहुत हद तक तो समस्या हल हो ही जायें।* *जय हिन्द*
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𑂧𑂁𑂙𑂳𑂫𑂰 𑂔𑂱𑂮𑂵 𑂍𑂷𑂠𑂰, 𑂩𑂰𑂏𑂲, 𑂧𑂱𑂪𑂵𑂗 𑂍𑂯𑂞𑂵 𑂯𑂶𑂁 𑂉𑂍 𑂧𑂷𑂗𑂰 𑂃𑂢𑂰𑂔 𑂯𑂶,𑂣𑂯𑂰𑂚𑂲 𑂍𑂹𑂭𑂵𑂞𑂹𑂩𑂷𑂁 𑂔𑂶𑂮𑂵 𑂕𑂰𑂩𑂎𑂝𑂹𑂙, 𑂇𑂞𑂹𑂞𑂩𑂰𑂎𑂁𑂙, 𑂠𑂍𑂹𑂭𑂱𑂝 𑂦𑂰𑂩𑂞 𑂧𑂵𑂁 𑂇𑂏𑂰𑂨𑂰 𑂔𑂰𑂞𑂰 𑂯𑂶 𑂨𑂯 𑂥𑂯𑂳𑂞 𑂣𑂸𑂭𑂹𑂗𑂱𑂍 𑂌𑂩 𑂮𑂹𑂫𑂰𑂮𑂹𑂟𑂹𑂨
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𑂠𑂷𑂮𑂹𑂞𑂷𑂁 𑂨𑂵 𑂮𑂹𑂨𑂰𑂯𑂲 𑂍𑂲 𑂗𑂱𑂍𑂹𑂍𑂲 𑂍𑂱𑂮-𑂍𑂱𑂮 𑂍𑂷 𑂨𑂰𑂠 𑂯𑂶𑃀 𑂅𑂮𑂍𑂷 𑂐𑂷𑂪 𑂍𑂩 𑂮𑂹𑂨𑂰𑂯𑂲 𑂥𑂢𑂰𑂞𑂵 𑂟𑂵𑃀 𑂍𑂹𑂨𑂰 𑂍𑂦𑂲 𑂄𑂣𑂢𑂵 𑂦𑂲 𑂮𑂹𑂍𑂴𑂪 𑂍𑂵 𑂠𑂱𑂢𑂷𑂁 𑂧𑂵 𑂅𑂮𑂍𑂰 𑂅𑂮𑂹𑂞𑂵𑂧𑂰𑂪 𑂍𑂱𑂨𑂰 𑂟𑂰 ? 𑂧𑂶𑂁𑂢𑂵 𑂞𑂷 𑂍𑂱𑂨𑂰 𑂟𑂰 !
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