
उत्तम सिंह 'रुद्र'
@UttamsinghRUDRA
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नीड़ से नीड़ के लिए आसमां रूपी मायावी संसार में भटकता नव किशोर जिज्ञासु परिंदा 😌...
आर्यावर्त📍
Joined February 2024
मन उदास,अस्थिर हो और ये अपने न हो फिर भी इनको गिनना पड़े...... !
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(वो एक दीपक 😊) कल काशी में मां गंगा के पास खड़ा दूर मां गंगा के अंक में किसी के हाथों को आखरी स्पर्श के बाद अनंत काल के लिए अलविदा कहकर बिना किसी स्वार्थ के तन्हा ही उसकी मनोकामना को पूरी करने के लिए लहरों के बीच संघर्ष करके आगे बढ़ते हुए उस दीपक को मैं निहारते ही रह गया...!
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एक सुबह सबको मोहब्बत हो जायेगी मुझसे! एक सुबह जब मैं नहीं उठूंगा अपनी नींद से! 😌
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बहुत नज़दीक आते जा रहे हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ! - जौन एलिया
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गर पुकारता है रांझा प्यासे अश्कों से तो हीर को भी दरिया में उतर जाना चाहिए - उत्तम सिंह 'रुद्र'
ghazal: कितने भी राह में हों ख़तर*, जाना चाहिए हो जाए जब ज़रूरी सफ़र, जाना चाहिए मंज़िल की है तलब तो बहानों से क्या ग़रज़ कोई न हमसफ़र हो, मगर जाना चाहिए ऐसे क़दम उठाओ कि ज़ंजीर टूट जाए दार-ओ-रसन* को चाप* से डर जाना चाहिए गुलशन के कार-ओ-बार से फ़ुरसत मिले तो फिर सहरा में भी
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(आज अचानक इस गाने को गुनगुनाने लगा। क्या अद्भुत ग्रामीण छवि की प्रस्तुति का चलचित्र है देखते ही बनता है। उस पर ये गाना जिसमें संगीतकार ने भाव विभोर करने वाले शब्दों की माला पिरोई है ) मेरे प्रिय साथियों! क्या इस गाने का नाम अथवा इस गाने के साथ आपका क्या अनुभव है बता सकते हैं? 😊
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जैसे मां बिना अपूर्ण है बच्चा वैसे ही हम अपूर्ण है बिना भावपूर्ण भाषा के जोकि हमारे जीवन के प्रथम मुख उच्चारण मां के रूप में निकलती है हमारा समाज बिना हिंदी के भावविहीन है आप सभी प्रियजनों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🥰 #हिंदी_दिवस
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(अग्रलिखित पद्य में क्या बदलाव होना चाहिए अथवा त्रुटि बताने का कष्ट करें) हम तेरे रास्ते में आ गये फिर पता नहीं क्यों सदमे में आ गए बात तो होती थी आपसे कभी कभी फिर पता नहीं क्यों सपनों में आ गए कुछ रोज मैने उनकी इबादत की कुछ यूं हुआ कि हम भी मयखाने आ गए - उत्तम सिंह 'रुद्र'
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बस एक तुम जो पूंछ लो हाल मेरा 🌿 . . तो घर में रखी सारी दवाएं फेंक दूं 😌
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पुनर्जन्म झूठ है प्रिय, . . हम अनंतकाल के लिए बिछड गए 🌱
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बस एक बार कोई लड़की कह दे अपना ख़्याल रखना कसम से, खुद को लिफ़ाफे में डाल कर अलमारी में रख लूंगा 🙈😂😂
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काश हम भी खूबसूरत होते... तो हमें भी खोने से डरते लोग 😌
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अनमोल थे वे सभी पुरुष जो अपने, निश्चल प्रेम में तिरस्कार पाकर भी, बिना कोई दुर्व्यवहार किए अपने, सर्वप्रिय के जीवन से अलग हो गए। 😌
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ये वो जा है कि जहाँ मह्र-ओ-वफ़ा बिकते हैँ बाप बिकते हैँ और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैँ कोख बिकती है दिल बिकते हैँ सर बिकते हैँ इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीँ सस्ते दामोँ में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैँ...
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लड़के वाले - हमारे लड़के की तरफ से हां है। लड़की वाले - हमारी लड़की की तरफ से hmmm है। 😂😂
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मैं आया था यहां, कुछ ख़्वाब लेकर मेरे बीते लम्हों की एक किताब लेकर उस नन्ही परी की आंखो से छुपकर जब वो मुझको देख रही थी मानों मुझको रोक रही थी हाथों में कुछ अन्न के दानें लेकर।१ वो भी बैठी सिसक रही थी मेरे कपड़ों की सिलवट बदल रही थी मां के आंखो से ओझल होकर.. ~उत्तम सिंह रुद्र
"मैं आया था यहाँ, कुछ ख़्वाब लेकर" • ये शेर अधूरा है...क्या आप पूरा करेंगे? इस पोस्ट के जवाब में 30.8.25 तक मुझे बताएं... और हाँ, सब से अच्छा लिखने वाले/वाली को एक पुस्तक, पुरस्कार स्वरूप, मेरी ओर से !
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