UttamsinghRUDRA Profile Banner
उत्तम सिंह 'रुद्र' Profile
उत्तम सिंह 'रुद्र'

@UttamsinghRUDRA

Followers
468
Following
2K
Media
23
Statuses
870

नीड़ से नीड़ के लिए आसमां रूपी मायावी संसार में भटकता नव किशोर जिज्ञासु परिंदा 😌...

आर्यावर्त📍
Joined February 2024
Don't wanna be here? Send us removal request.
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
2 months
मैं भी शायर बन जाता। गर तुम...!✍🏻
11
2
30
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
7 days
मन उदास,अस्थिर हो और ये अपने न हो फिर भी इनको गिनना पड़े...... !
2
0
4
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
19 days
ठहरना वहीं, जहाँ रूह मुस्कुरा दे 😌!
0
0
3
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
20 days
मां...🪷🙏🏻
2
0
4
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
23 days
(वो एक दीपक 😊) कल काशी में मां गंगा के पास खड़ा दूर मां गंगा के अंक में किसी के हाथों को आखरी स्पर्श के बाद अनंत काल के लिए अलविदा कहकर बिना किसी स्वार्थ के तन्हा ही उसकी मनोकामना को पूरी करने के लिए लहरों के बीच संघर्ष करके आगे बढ़ते हुए उस दीपक को मैं निहारते ही रह गया...!
3
0
4
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
26 days
एक सुबह सबको मोहब्बत हो जायेगी मुझसे! एक सुबह जब मैं नहीं उठूंगा अपनी नींद से! 😌
2
0
5
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
27 days
बहुत नज़दीक आते जा रहे हो, बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या ! - जौन एलिया
2
0
2
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
29 days
गर पुकारता है रांझा प्यासे अश्कों से तो हीर को भी दरिया में उतर जाना चाहिए - उत्तम सिंह 'रुद्र'
@divya_sabaa
Divya Seth
29 days
ghazal: कितने भी राह में हों ख़तर*, जाना चाहिए हो जाए जब ज़रूरी सफ़र, जाना चाहिए मंज़िल की है तलब तो बहानों से क्या ग़रज़ कोई न हमसफ़र हो, मगर जाना चाहिए ऐसे क़दम उठाओ कि ज़ंजीर टूट जाए दार-ओ-रसन* को चाप* से डर जाना चाहिए गुलशन के कार-ओ-बार से फ़ुरसत मिले तो फिर सहरा में भी
1
0
4
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
29 days
(आज अचानक इस गाने को गुनगुनाने लगा। क्या अद्भुत ग्रामीण छवि की प्रस्तुति का चलचित्र है देखते ही बनता है। उस पर ये गाना जिसमें संगीतकार ने भाव विभोर करने वाले शब्दों की माला पिरोई है ) मेरे प्रिय साथियों! क्या इस गाने का नाम अथवा इस गाने के साथ आपका क्या अनुभव है बता सकते हैं? 😊
4
1
9
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
30 days
जैसे मां बिना अपूर्ण है बच्चा वैसे ही हम अपूर्ण है बिना भावपूर्ण भाषा के जोकि हमारे जीवन के प्रथम मुख उच्चारण मां के रूप में निकलती है हमारा समाज बिना हिंदी के भावविहीन है आप सभी प्रियजनों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🥰 #हिंदी_दिवस
1
2
2
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
उनकी चाहत में हम पर बस इतना असर हुआ आंखे मिलने के बाद दवा, जाम सब जहर हुआ 😌 -उत्तम सिंह 'रुद्र'
@panjetagaurav68
रद्दी शायर 😔
1 month
जो कभी न भर पाए ....ऐसा भी एक ..."घाव"... है... जी हाँ उसका नाम ..."लगाव"...है...!!!
1
0
5
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिं�� 'रुद्र'
1 month
(अग्रलिखित पद्य में क्या बदलाव होना चाहिए अथवा त्रुटि बताने का कष्ट करें) हम तेरे रास्ते में आ गये फिर पता नहीं क्यों सदमे में आ गए बात तो होती थी आपसे कभी कभी फिर पता नहीं क्यों सपनों में आ गए कुछ रोज मैने उनकी इबादत की कुछ यूं हुआ कि हम भी मयखाने आ गए - उत्तम सिंह 'रुद्र'
3
1
3
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
बस एक तुम जो पूंछ लो हाल मेरा 🌿 . . तो घर में रखी सारी दवाएं फेंक दूं 😌
4
2
15
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
पुनर्जन्म झूठ है प्रिय, . . हम अनंतकाल के लिए बिछड गए 🌱
4
1
14
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
बस एक बार कोई लड़की कह दे अपना ख़्याल रखना कसम से, खुद को लिफ़ाफे में डाल कर अलमारी में रख लूंगा 🙈😂😂
2
0
9
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
काश हम भी खूबसूरत होते... तो हमें भी खोने से डरते लोग 😌
0
0
4
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
अनमोल थे वे सभी पुरुष जो अपने, निश्चल प्रेम में तिरस्कार पाकर भी, बिना कोई दुर्व्यवहार किए अपने, सर्वप्रिय के जीवन से अलग हो गए। 😌
0
0
5
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
1 month
ये वो जा है कि जहाँ मह्र-ओ-वफ़ा बिकते हैँ बाप बिकते हैँ और लख़्त-ए-जिगर बिकते हैँ कोख बिकती है दिल बिकते हैँ सर बिकते हैँ इस बदलती हुई दुनिया का ख़ुदा कोई नहीँ सस्ते दामोँ में हर रोज़ ख़ुदा बिकते हैँ...
1
0
6
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
2 months
लड़के वाले - हमारे लड़के की तरफ से हां है। लड़की वाले - हमारी लड़की की तरफ से hmmm है। 😂😂
2
0
6
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
2 months
मेरी धन्नो 🤩!
2
0
6
@UttamsinghRUDRA
उत्तम सिंह 'रुद्र'
2 months
मैं आया था यहां, कुछ ख़्वाब लेकर मेरे बीते लम्हों की एक किताब लेकर उस नन्ही परी की आंखो से छुपकर जब वो मुझको देख रही थी मानों मुझको रोक रही थी हाथों में कुछ अन्न के दानें लेकर।१ वो भी बैठी सिसक रही थी मेरे कपड़ों की सिलवट बदल रही थी मां के आंखो से ओझल होकर.. ~उत्तम सिंह रुद्र
@AbidZaidi1
Abid Zaidi
2 months
"मैं आया था यहाँ, कुछ ख़्वाब लेकर" • ये शेर अधूरा है...क्या आप पूरा करेंगे? इस पोस्ट के जवाब में 30.8.25 तक मुझे बताएं... और हाँ, सब से अच्छा लिखने वाले/वाली को एक पुस्तक, पुरस्कार स्वरूप, मेरी ओर से !
0
0
3