शिव
@Shiv_G__
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कभी पत्रकार था।।दिल ढूँढता है, फिर वही,फ़ुर्सत के रात दिन।।जन्म से पहले अप्रकट थे और मृत्यु के बाद अप्रकट हो जाएंगे।।राधे राधे।।
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Joined February 2011
ऐसा कौन सा विस्तार हुआ है कि आज भी लगभग ६०% लोग बिहार से बाहर इलाज कराते हैं? पोस्टर पोस्ट करने से बेहतर होगा कि स्वास्थ्य व्यवस्था के गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान दिया जाए । जीवन का सवाल है, इसलिए इसको एडवर्टाइज मत कीजिए, व्यवस्था सुदृढ़ कीजिए पहले। सच सबको पता है ।
नीतीश सरकार में बिहार के हर नागरिक के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ सुनिश्चित की गई हैं। पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार गाँव-गाँव तक किया गया है। स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर आज बिहार निश्चिंत है, क्योंकि नीतीश जी का नेतृत्व भरोसे और सेवा का पर्याय बन चुका है।
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तीसरे तरह के भी पत्रकार होते हैं लटकन। मैं बताता हूं। जो पत्रकार हमेशा पूरी सब्जी की तलाश में रहता हैं। चुनाव जैसे समय में चूहा ढूंढता है। फिर उस पत्रकार की सारी भविष्यवाणी गलत हो जाती है। ऐसे कौन करता है पता है? जो लेजेंड पत्रकार होते हैं।
लखनऊ में दो तरह के पत्रकार हैं, एक वो जो कोई खबर या स्टोरी नहीं करते हैं, दिन भर बड़े लोगों से मिलने की जुगत में रहते हैं, और सरकारी आवास में रहते हैं, चार चक्का में घूमते हैं, दूसरे वो, जो दिन भर खबरों के पीछे भागते हैं, और पहले वालों की तरह बड़ा पत्रकार बनना चाहते हैं, इस
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मुझे नहीं ��गता है कि जब आपके माता जी और पीता जी पढ़ेंगे कि हमारा बेटा ऐसा "र#@बाज" लिखता है तो वो खुश होंगे। राजनीतिक मतभेद रखिए ना, कौन रोका है आपको। मगर जब आप किसी के मां बाप पर जाएंगे तो आप पर भी सवाल उठेंगे कि आपके पैरेंट्स ने आपको कैसे संस्कार दिए हैं?
मिलिए बिहार के नए नटवरलाल र#@बाज किशोर से। इसका बाप श्रीकांत पांडे बक्सर में फर्जी डॉक्टर था जो मानव अंग की तस्करी करता था। स्थानीय लोगों के अनुसार यह अनेकों लड़कियों का जीवन बर्बाद किया। इसी कारण से इसे विधालय से कई बार बाहर भी किया गया। इसलिए इसकी डिग्री में इतना गैप हैं।
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तुम भी कुछ नहीं है लटकन।मगर पूरी सब्जी तो खिलाया ना सबने।पता है,अगले चुनाव में फिर इसी जनसुराज पार्टी ऑफिस में पूरी सब्जी खाने आओगे।वो भी बिना १०००/– दिए। इसलिए यूपी पर ध्यान दे।बिहार हम देख लेंगे। हर बिहारी भाई भाई।मतभेद है,मनभेद नहीं। और हां,बेल्ट खरीद ले बे।अच्छा नहीं लगता है।
प्रशांत किशोर ना तो डॉक्टर हैँ, ना वकील, लेकिन उन्होंने लोगों से मिलने के लिए एक हज़ार रूपये की फीस निर्धारित की है, यानी की पहले एक हज़ार रूपये का टिकट कटाओ, तब मुलाकात होगी, लखनऊ में पांच साल पहले तक एक बहुत बड़े लीडर से मिलने के लिए पांच लाख का टिकट लगता था, लेकिन अब वहाँ
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जिस तरह से चुनाव के बाद जनता के वोट का सम्मान किया जाता है कि यह उनका चुनाव है कि वो किनको चुन कर सत्ता में लाए हैं, उसी तरह मंत्रालय का भी सम्मान किया जाना चाहिए। अगर तब शिकायत नहीं थी तो अब भी शिकायत नहीं होनी चाहिए। सब चंगा सी।
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आम लोग योग्यता साबित करते करते मर जाते हैं सर, मुश्किल से खाना और कपड़ा पूरा हो पता है जीवन भर। बात योग्यता कि है ही नहीं। बात सिर्फ नंबर्स की है। डर जीरो का है। बात आपके पास जो शक्ति है , उसके इस्तेमाल कि है जो आपने किया। मेहनत हार गई, किस्मत जीत गई। बस बात इतनी सी है।🙏
कल से मैं देख रहा हूं, हमारी पार्टी के निर्णय को लेकर पक्ष और विपक्ष में आ रही प्रतिक्रियाएं....उत्साहवर्धक भी, आलोचनात्मक भी..! आलोचनाएं स्वस्थ भी हैं, कुछ दूषित और पूर्वाग्रह से ग्रसित भी। स्वस्थ आलोचनाओं का मैं हृदय से सम्मान करता हूं। ऐसी आलोचनाएं हमें बहुत कुछ सिखाती हैं,
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१. चित्रा जी को पहले से पता है कि ऐसा क्यों किया गया। २. इस तर्क के हिसाब से परिवार, पार्टी और राजनीतिक सुरक्षा पहले। ३. अगर ऐसा है तो तो फिर पार्टी बनाना ही क्यों?परिवार ही पार्टी है और इसकी घोषणा कि जानी चाहिए।ताकि जनता भ्रम में ना रहे। ४. इसमें प्रश्न नहीं है, सिर्फ उत्तर है।
गज़ब! चित्रा जी ये कितना कठिन प्रश्न है? प्रश्न है या उत्तर है ये तय कर पाना मुश्किल है! उपेंद्र कुशवाहा ने अपने बेटे को मंत्री क्यों बनाया है इस पर मिर्च से भी ज्यादा तीखा प्रश्न... उफ्फ https://t.co/Je4ITAvUDt
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जाति विशेष के बाद लोग क्षेत्र विशेष के नेता का मंत्री बनने और ना बनने पर चर्चा कर रहे हैं। क्या हम यह विशेष से बाहर नहीं निकल सकते हैं? क्योंकि जो हम सोचते हैं, जिस पर चर्चा करते हैं उसका ही रिफ्लेक्शन समाज में दिखता है। सिर्फ "बिहार" विशेष है, ना कि जाति और ना क्षेत्र विशेष। 🙏
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It is always easier to fight for one’s principles than to live up to them.” —Alfred Adler
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सरकार से हर बात पे सवाल पूछना ही क्यों?काम हुआ और नहीं हुआ इसके लिए बार बार सवाल पूछना ही क्यों?सड़क,नाला,गंदगी,शिक्षा व्यवस्था,स्वास्थ्य व्यवस्था पर बार बार सवाल पूछना ही क्यों?क्या उनको हकीकत नहीं मालूम है?फिर वोट मांगते समय दहलीज दहलीज घूमते क्यूं हैं? क्यों, क्यों , क्यों?
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@PK230290 Let’s increase the inspiration of Biharis to the basic level, which includes 10 th education and health needs/ care to the poorest section of society 🥲🥲🥲 distress migration needs to be addressed immediately! We know all these will heartbreak for many but we need to address
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इसी बकैती की वजह से बिहार का ये हाल है। ऐसे व्यक्ति खुद अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाएगा,इलाज सरकारी अस्पताल में नहीं कराएगा लेकिन खुश सिर्फ इस बात से है कि मंत्री इनके प्रदेश से है।करते रहिए यही सब।बिहार विकास कर जायेगा।भूखे रह लेंगे मगर चरण वंदना नहीं छोड़ेंगे।
आज अंगिका भाषियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है। 2 Dy CM और दो महिला मंत्री के साथ अंग प्रदेश पूरे बिहार की कमान संभालने जा रहा है। वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव जी एवं और बिहार के सुपर CM ललन जी भी अंग प्रदेश से ही हैं। कुल मिलाकर नए सरकार में पूरा दबदबा रहेगा अंग प्रदेश का!
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बिहार जैसे राज्य में, जहां बुनियादी चीजें आजतक दुरुस्त नहीं हुई है,वहां इस तरह की राजनीति हमें किसी तरह से भी लाभ नहीं पहुंचाएगी। जहां बात व्यक्तिगत राजनीतिक स्वार्थ छोड़ कर विकास और समृद्धि की होनी चाहिए वहां परिवार सेटलमेंट योजना चल रही है।ऐसी राजनीति बिहार के लिए खतरनाक है।👎
शायद इसी को कहते हैं भाग्य का जीत जाना और मेहनत का हार जाना। :– सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं , उम्मीद रखिए कि अच्छा काम करेंगे।
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मतलब उद्योग विभाग ही अपशकुन है बिहार के लिए? गजब। फिर तो विभाग का नाम बदलिए सबसे पहले ।
बिहार का ये बहुत ही जरुरी विभाग बहुत ही अपशकुन साबित हो रहा अपने मंत्रियों के लिए. जो इस विभाग का मंत्री बनता है, उसका भविष्य गड़बड़ा जा रहा है. #NitishKumar #BiharCabinet #NitishCabinet
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शायद इसी को कहते हैं भाग्य का जीत जाना और मेहनत का हार जाना। :– सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहे हैं , उम्मीद रखिए कि अच्छा काम करेंगे।
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एक टेर यूँ भी एक सिद्धान्त थियोसोफोस भी है। आइंब्लिकस, कहते हैं कि चौराहे पर खड़े होकर जिधर मुँह उठे उसी और चल देना चाहिए क्योंकि वही रास्ता है | अब जिस राह से गुजरें बस वाह .. अहो.. वाह का मन्त्र जाप वाले अनुयायी आनन्द बाँटने को खड़े होंगे | यह कालखंड जो दुर्भिक्षता से शापित
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आनंद इस बात पर नहीं आना चाहिए कि देश और राज्य से विपक्ष खत्म हो जाए। आनंद इस बात पर भी नहीं आना चाहिए कि सत्ता और सिस्टम से अब कोई सवाल भी ना पूछे,कोई समाज के लिए खड़ा भी ना हो क्योंकि सब चंगा सी।अगर यही आनंद है तो फिर सरकार से किसी भी तरह कि शिकायत भी नहीं होनी चाहिए।
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ढेर सारी बधाइयां।🙏 नई सरकार से उम्मीद है कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर जोड़ दिया जाएगा। स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर कि जायेगी। पलायन रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। बाढ़ पर भी सोचा जाएगा।अभी नहीं तो कभी नहीं। बुनियादी चीजों को दुरुस्त करेंगे तो राज्य खुद व खुद विकास करेगा।
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क्या ऐसी स्थिति में हमारे बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ पाएंगे? बिहार में प्रति व्यक्ति दैनिक आय लगभग ₹183 है, जो 2023-24 में ₹66,828 की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय पर आधारित है, और यह लगभग ₹188 की अनुमानित दैनिक आय है, जो कि ₹69,321 की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय पर आधारित है।
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