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Murlidhar (مرلی دھر طالب) Profile
Murlidhar (مرلی دھر طالب)

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Student of Urdu Poetry ॥ वरक़ माज़ी का हो जाना है इक दिन/ त’अज्जुब है कि मुस्तक़बिल यही है || Insta: murli72dhar||

Kolkata, India
Joined October 2021
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@MurlidharTaalib
Murlidhar (مرلی دھر طالب)
7 hours
मुझ से ऊँचा तिरा क़द है, हद है .फिर भी सीने में हसद है? हद है !!. मेरे तो लफ़्ज़ भी कौड़ी के नहीं .तेरा नुक़्ता भी सनद है, हद है !!. तेरी हर बात है सर आँखों पर .मेरी हर बात ही रद है, हद है !!. 'इश्क़ मेरी ही तमन्ना तो नहीं .तेरी निय्यत भी तो बद है, हद है !!. जीम जाज़िल.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
2 days
दवा-ए-दर्द-ए-ग़म-ओ-इज़्तिराब क्या देता .वो मेरी आँखों को रंगीन ख़्वाब क्या देता !!. मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ .वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता !!. वो जिस ने देखा नहीं इश्क़ का कभी मकतब .मैं उस के हाथ में दिल की किताब क्या देता !!. अफ़ज़ल इलाहबादी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
3 days
किसको ये फ़िक्र है कि क़बीले का क्या हुआ,.सब इस पे लड़ रहे हैं कि सरदार कौन है ॥. सब कश्तियाँ जला के चले साहिलों से हम,.अब तुम से क्या बताएँ कि उस पार कौन है॥. ये फैसला तो वक़्त भी शायद न कर सके,.सच कौन बोलता है , अदाकार कौन है !!. ~ मेराज फ़ैज़ाबादी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
4 days
हर ख़्वाब काली रात के साँचे में ढाल कर.ये कौन छुप गया है सितारे उछाल कर !!. ऐसे डरे हुए हैं ज़माने की चाल से.घर में भी पाँव रखते हैं हम तो सँभाल कर !!. झुलसा गया है काग़ज़ी चेहरों की दास्ताँ.जलती हुई ख़मोशियाँ लफ़्ज़ों में ढाल कर !!. ~आदिल मंसूरी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
6 days
बने-बनाए से रस्तों का सिलसिला निकला,.नया सफ़र भी बहुत ही गुरेज़-पा निकला !!. न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही,.जिसे क़रीब से देखा वो दूसरा निकला !!. हज़ार तरह की मय पी हज़ार तरह के ज़हर,.न प्यास ही बुझी अपनी न हौसला निकला !!. ~ ख़लील-उर-रहमान-आज़मी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
9 days
अपनी मिट्टी को सर-अफ़राज़ नहीं कर सकते .ये दर-ओ-बाम तो पर्वाज़ नहीं कर सकते !!. हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है .आप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते !!. शहर में एक ज़रा से किसी घर की ख़ातिर .अपने सहराओं को नाराज़ नहीं कर सकते !!. ~ रईस फ़रोग़.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
11 days
ये नहीं है कि तुझे मैं ने पुकारा कम है .मेरे नालों को हवाओं का सहारा कम है !!. इस क़दर हिज्र में की नज्म-शुमारी हम ने .जान लेते हैं कहाँ कोई सितारा कम है !!. इतनी जल्दी न बना राय मिरे बारे में .हम ने हमराह अभी वक़्त गुज़ारा कम है !!. बासिर सुल्तान काज़मी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
13 days
मैं उसे वो मुझे देखता रह गया,.आईना फिर कहाँ आईना रह गया !!. फेंक दूँ या किसी के हवाले करूँ.दिल में सामान जो आप का रह गया !!. दोस्ती दुश्मनी में बड़ा फ़र्क़ है.ज़िंदगी में ये इक वाहिमा रह गया !!. ~मुरलीधर तालिब #HappyFriendshipDay2025.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
13 days
हाल पूछा न करे हाथ मिलाया न करे .मैं इसी धूप में ख़ुश हूँ कोई साया न करे !!. मैं भी आख़िर हूँ इसी दश्त का रहने वाला .कैसे मजनूँ से कहूँ ख़ाक उड़ाया न करे !!. मुझ से रस्तों का बिछड़ना नहीं देखा जाता .मुझ से मिलने वो किसी मोड़ पे आया न करे !!. काशिफ़ हुसैन ग़ाएर.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
19 days
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है,.ज़मीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है !!. मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफ़ाज़त कर,.सँभल के चल तुझे सारा जहान देखता है !!. कनीज़ हो कोई या कोई शाहज़ादी हो,.जो इश्क़ करता है कब ख़ानदान देखता है !!. ~ शकील आज़मी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
20 days
तेरे हाथों में मेरे हाथ का मतलब क्या है.यूँ अकेले में मुलाक़ात का मतलब क्या है !!. एक भूके ने खिलाया मुझे अपना खाना .तब समझ आया कि सादात का मतलब क्या है !!. उसने हँस कर कहा औक़ात में रहना सीखो .पर बताया नहीं औक़ात का मतलब क्या है !!. असद तस्कीन.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
24 days
वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है,.मैं कुछ कहूँ तो तराज़ू निकाल लेता है !!. वो फूल तोड़े हमें कोई ए'तिराज़ नहीं,.मगर वो तोड़ के ख़ुशबू निकाल लेता है !!. मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ ,.तू झूट बोल के आँसू निकाल लेता है !!. ~अहमद कमाल परवाज़ी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
28 days
सलीक़े से अगर तोड़ें तो काँटे टूट जाते है,.मगर अफ़्सोस ये है फूल पहले टूट जाते है !!. बिछड़ कर आप से ये तजरबा हो ही गया आख़िर,.मैं अक्सर सोचता था लोग कैसे टूट जाते है !!. सितम ये है मैं उस रस्ते पे नंगे पैर चलता हूँ.जहाँ चलते हुए लोगों के जूते टूट जाते है !!. वसीम नादिर.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
यूँ ही बोला नहीं अपनों को पराया मैंने,.वक़्त पर होते जुदा देखा है साया मैंने !!. याद आए तो समंदर-सा उछल जाता हूँ,.तेरे गालों का नमक कैसे चुराया मैंने !!. इन सितारों को कहो उतरे ज़मीं पर देखे.फ़र्श पर पेड़ उजालों का लगाया मैंने !!. ~मुरली धर तालिब.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
फ़र्ज़-ए-सुपुर्दगी में तक़ाज़े नहीं हुए,.तेरे कहाँ से हों कि हम अपने नहीं हुए !!. अच्छा हुआ कि हम को मरज़ ला-दवा मिला,.अच्छा नहीं हुआ कि हम अच्छे नहीं हुए !!. इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गए,.और फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए !!. ~विपुल कुमार.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
दीवार किसी और की दर और किसी का .महसूस ये होता है नगर और किसी का !!. कैसा है तिरे शहर में मे’यार-ए-फ़ज़ीलत .दस्तार किसी और की सर और किसी का !!. है पेश-ए-नज़र कोई सिला माँगने वाला .लेकिन पस-ए-पर्दा है हुनर और किसी का !!. इक़बाल नदीम.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले,.दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले !!. इश्क़ पहले भी किया हिज्र का ग़म भी देखा,.इतने तड़पे हैं न घबराए न तरसे पहले !!. हम किसी दर पे न ठिटके न कहीं दस्तक दी,.सैकड़ों दर थे मिरी जाँ तिरे दर से पहले !!. ~ इब्ने इंशा.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
न हारा है इश्क़ और न दुनिया थकी है,.दिया जल रहा है हवा चल रही है ॥. चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं,.नया है ज़माना नई रौशनी है ॥. मिरे राहबर मुझ को गुमराह कर दे,.सुना है कि मंज़िल क़रीब आ गई है ॥. ~ख़ुमार बाराबंकवी.
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Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
बड़ा एहसान हम फ़रमा रहे हैं,.कि उन के ख़त उन्हें लौटा रहे हैं !!. यक़ीं का रास्ता तय करने वाले,.बहुत तेज़ी से वापस आ रहे हैं !!. किसी सूरत उन्हें नफ़रत हो हम से,.हम अपने ऐब ख़ुद गिनवा रहे हैं !!. वो पागल मस्त है अपनी वफ़ा में,.मिरी आँखों में आँसू आ रहे हैं !!. ~जॉन एलिया.
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@MurlidharTaalib
Murlidhar (مرلی دھر طالب)
1 month
इतनी जल्दी तो तेरे फ़न में नहीं आ सकते,.हिज्र के खेल लड़कपन में नहीं आ सकते !!. हम से पागल को समझ पाना तिरे बस का नहीं,.हम वो दरिया हैं जो बर्तन में नहीं आ सकते !!. ये मेरे ग़म तो किसी और पे जचने से रहे,.ये वो कपड़े हैं जो फैशन में नहीं आ सकते !!. सलमान सईद.
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