Manish Mishra
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Worked as an SEO content writer/editor.A blogger, a motivator, a teacher, a poet, a social activist, an astrologer and a philosopher.
Delhi
Joined December 2019
जागना नहीं होता रातों को... सोने के लिए कहता कौन है..) -मनीष मिश्रा✍️
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नशेमन के निकलने से मिली जो ये धूप आफ़ताब की.. न जाने होगी कैसी इससे पहले की दुनिया..) नशेमन -घर, निवास आफ़ताब - सूरज -मनीष मिश्रा✍️
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आलम खुशी का हो जाने से किसी के... मातम मनाओ अगर आए कोई नया जहां में..) -मनीष मिश्रा✍️
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बंद कर लिया ड्योढ़ी ताकि घर की बात घर में रह जाए.. गलिबन बात बाहर न आती अगर रखा होता जो दरवाज़ा खुला..) ड्योढ़ी - दरवाज़ा गलिबन - शायद -मनीष मिश्रा✍️
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तस्वीरें जो मुझे देखा करती हैं... और एक मेरा तग़ाफ़ुल करना खत्म नहीं होता..) तग़ाफ़ुल - अनदेखा करना -मनीष मिश्रा✍️
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बैठता हूं जब कभी तारीक में तन्हा... जाने क्यों दिखने लगता है काफी कुछ..) तारीक- अंधेरा -मनीष मिश्रा✍️
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इंतिखाब क्या ही करना जाकर बाज़ार में... आ जाती है कमी रौनक में वहां के इतना करने से..) -मनीष मिश्रा✍️
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मुबारक हो एक और शाम हुई है आज की.. काश मयस्सर हो कल की एक सुबह भी..) -मनीष मिश्रा✍️
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दौड़कर आना क्यों हुआ यूं... कौन सा जल्दी पहुंच जाते..) -मनीष मिश्रा✍️
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इबादत करते रहते हो उस खुदा की, कि वो आए.. एक हम हैं इतना सा काम करते हैं कि कुछ मांगते नहीं..) -मनीष मिश्रा✍️
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सुना है तोड़कर लाए हो फूल तोहफे में... यकीं नहीं होता मुनासिब कितना होगा जुड़ना..) -मनीष मिश्रा✍️
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गिरकर चलना सीखा रहे हैं नशे में वो... और तुम हो कि बदनाम किए जा रहे हो उन्हें..) -मनीष मिश्रा✍️
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यक़ीनन मुलाक़ात ही थी वो... जानना न हो सका बस..) -मनीष मिश्रा✍️
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ऐ खुदा कहने के लिए तुझे भी खुदा, एक फ़कीर चाहिए..फ़कीर रहा कैसे वो भला..) -मनीष मिश्रा✍️
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दुआ करो गिरूं मैं तो चोट आए मुझे... अंदाज ये अच्छा है मेरी सलामती का खुदा से..) -मनीष मिश्रा✍️
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मुलाक़ात न जाने थी वो कैसी, ना वो जान पाए बारे में हमारे और न हम..) -मनीष मिश्रा✍️
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कर डाला है खामोशी का एक सवाल... अक्लमंद की इस दुनिया में..) -मनीष मिश्रा✍️
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ऐ खुदा कहने के लिए तुझे भी खुदा, एक फ़कीर चाहिए.. फ़कीर कैसे रहा वो भला..) -मनीष मिश्रा✍️
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बचते कैसे झूठ बोलने से... अगर बोला न होता झूठ..) -मनीष मिश्रा✍️
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इस बार कांटों ने चुभन बयां किया.. लगने से इंसान के..) -मनीष मिश्रा✍️
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