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Kabir Das

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All About Kabir Das Ji's literature. He was an Indian mystic poet and saint. (1398 - 1518) #KabirDas

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Kabir Das
2 years
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
पत्थर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़, घर की चाकी कोई न पूजे, जाको पीस खाए संसार। - कबीर दास
40
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Kabir Das
1 year
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए, वैद बेचारा क्या करे, कहा तक दवा लगाए। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय, मेरी खल की साँस से, लोह भस्म हो जाए। ~ कबीरदास जी
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Kabir Das
1 year
साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं, धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
रात गंवाई सोए के, दिवस गवाया खाय, हीरा जन्म अनमोल था कोडी बदले जाए। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय ~ कबीरदास जी
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Kabir Das
2 years
साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥ ~ कबीर दास
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Kabir Das
2 years
जब मैं था, तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहि। सब अँधियारा मिटि गया, दीपक देख्या माहि।। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
साईं इतना दीजिए, जा में कुटुम समाय, मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय, जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय ~ कबीरदास जी
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Kabir Das
1 year
मांगन मरण समान है, मति मांगो कोई भीख, मांगन ते मरना भला, यह सतगुरु की सीख। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
सुख के संगी स्वारथी, दुःख में रहते दूर, कहैं कबीर परमारथी, दुःख सुख सदा हजूर। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
रात गंवाई सोय कर दिवस गंवायो खाय । हीरा जनम अमोल था कौड़ी बदले जाय ॥ - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
एकही बार परखिये ना वा बारम्बार । बालू तो हू किरकिरी जो छानै सौ बार॥
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Kabir Das
1 year
बुरा जो देखन में चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, तो मुझसे बुरा न कोय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढत बन माहि, ज्यो घट घट राम है, दुनिया देखे नाही। - कबीर दास
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Kabir Das
3 years
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार। तातें तो चक्की भली, पीस खाये संसार।।
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Kabir Das
1 year
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय, यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
कबीर तहां न जाइए, जहाँ सिद्ध को गाँव, स्वामी कहै न बैठना, फिर-फिर पूछै नाँव। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार, साधू वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
दोस पराए देखि करि, चला हसंत हसंत, अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
कहे कबीर कैसे निबाहे, केर बेर को संग, वह झुमत रस आपनी, उसके फाटत अंग। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
साधु भूखा भाव का धन का भूखा नाहीं । धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं ॥ - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
प्रीत करो तो ऐसी करो जैसी करे कपास। जीते जी या तन ढके मरे न छोड़े साथ॥ ~ कबीरदास
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Kabir Das
2 years
झूठे सुख को सुख कहे, मंत है मन मोद, खल्क चबैना काल का, कुछ मुंह में कुछ गोद। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ | मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ || ~ कबीर दास
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Kabir Das
1 year
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
बंदे तू कर बंदगी, तो पावै दीदार, औसर मानुष जन्म का, बहुरि न बारम्बार। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि, हिये तराजू तौलि के, ता मुख बाहर आनि। - कबीर दास
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Kabir Das
3 years
गुरू कुम्हार शिष कुंभ है, गढि़ गढि़ काढ़ै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट। #TeachersDay
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Kabir Das
1 year
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय, औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय। - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
कबीर हमारा कोई नहीं हम काहू के नाहिं । पारै पहुंचे नाव ज्यौं मिलिके बिछुरी जाहिं ॥ - कबीर दास
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Kabir Das
3 years
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान। मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान ।।
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Kabir Das
3 years
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।
3
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894
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Kabir Das
1 year
झूठे को झूठा मिले, दूंणा बंधे सनेह झूठे को साँचा मिले तब ही टूटे नेह ॥ - कबीर दास
5
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Kabir Das
2 years
हाड़ जलै ज्यूँ लाकडी, केस जलै ज्यूँ घास, सब तन जलता देखि करि, भय कबीर उदास। - कबीर दास
5
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Kabir Das
1 year
हीरा परखै जौहरी शब्दहि परखै साध । कबीर परखै साध को ताका मता अगाध ॥ - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत । प्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना भगवंत -कबीर दास
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Kabir Das
1 year
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। - कबीर दास
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807
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Kabir Das
1 year
जो हमारी निंदा करता है, उसे अपने ज्यादातर पास रखना चाहिए। वो तो बिना साबुन और पानी के हमारी कमियां बता कर स्वभाव को साफ करता है। - कबीर दास
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807
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Kabir Das
1 year
मन मैला तन ऊजला बगुला कपटी अंग । तासों तो कौआ भला तन मन एकही रंग ॥ - कबीर दास
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800
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Kabir Das
1 year
साईं इतना दीजिए, जा में कुटुम समाय, मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए। - कबीर दास
2
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798
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Kabir Das
1 year
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोय । दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय॥ ~कबीरदास
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Kabir Das
1 year
निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय, बिना पानी, साबुन बिना, निर्माण करे सुभाय। - कबीर दास
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789
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Kabir Das
2 years
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी,बहुरि करेगा कब॥ ~ कबीर दास
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Kabir Das
3 years
पानी केरा बुदबुदा, अस मानस की जात । एक दिना छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात ।।
1
77
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Kabir Das
3 years
मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार । तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुरि न लागे डारि ।।
3
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Kabir Das
2 years
जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय, जैसा पानी पीजिए, तैसी वाणी होय। - कबीर दास
3
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Kabir Das
1 year
कबीरा खड़ा बाजार में, सबकी मांगे खैर, न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर। - कबीर दास
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97
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Kabir Das
2 years
साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं, धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं। -कबीर दास
5
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Kabir Das
1 year
कबीर सोई पीर है जो जाने पर पीर । जो पर पीर न जानई सो काफिर बेपीर ॥ - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
जैसे तिल में तेल है, ज्यौं चकमक में आग, तेरा साईं तुझ में है, तू जाग सके तो जाग। - कबीर दास
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Kabir Das
2 years
संत न छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत, चंदन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत। - कबीर दास
5
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686
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Kabir Das
1 year
पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल। कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल ॥ - कबीर दास
5
61
675
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Kabir Das
2 years
यह तन विष की बेलरी, गुरू अमृत की खान, शीश दिए जो गुरू मिले, तो भी सस्ता जान..। - कबीरदास
3
76
642
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Kabir Das
1 year
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घडा, ऋतू आए फल होए। - कबीर दास
6
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Kabir Das
1 year
ऊंचे कुल क्या जनमिया जे करनी ऊंच न होय। सुबरन कलस सुरा भरा साधू निन्दै सोय ॥ - कबीर दास
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91
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Kabir Das
1 year
पढ़ी पढ़ी के पत्थर भया लिख लिख भया जू ईंट । कहें कबीरा प्रेम की लगी न एको छींट॥ - कबीर दास
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Kabir Das
1 year
मन मक्का दिल द्वारिका, काया कशी जान, दश द्वारे का देहरा, तामें ज्योति पिछान। - कबीर दास
4
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Kabir Das
1 year
दीपक सुंदर देख करि, जरि जरि मरे पतंग, बढ़ी लहर जो विषय की, जरत न मोरें अंग। - कबीर दास
2
50
576
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Kabir Das
1 year
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप। - कबीर दास
4
66
576
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Kabir Das
2 years
यह तन काचा कुम्भ है, लिया फिरे था साथ, ढबका लागा फुटिगा, कुछ न आया हाथ। - कबीर दास
4
77
577
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Kabir Das
2 years
जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय, जैसा पानी पीजिए, तैसी वाणी होय। -कबीर दास
4
76
571
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Kabir Das
2 years
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई, बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खायी। - कबीर दास
1
68
558
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Kabir Das
2 years
मन हीं मनोरथ छांडी दे, तेरा किया न होई, पानी में घिव निकसे, तो रुखा खाए न कोई। - कबीर दास
1
72
543
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Kabir Das
1 year
तू-तू करू तो निकट है, दूर-दूर करू तो हो जाए, ज्यौं गुरु राखैं त्यौं रहै, जो देवै सो खाय। - कबीर दास
2
51
522
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Kabir Das
1 year
कही बार परखिये ना वा बारम्बार । बालू तो हू किरकिरी जो छानै सौ बार॥ - कबीर दास
1
37
523
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Kabir Das
1 year
जल में कुम्भ कुम्भ में जल है बाहर भीतर पानी । फूटा कुम्भ जल जलहि समाना यह तथ कह्यौ गयानी ॥ - कबीर दास
8
57
521
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Kabir Das
2 years
कबीर प्रेम न चक्खिया, चक्खि न लिया साव, सूने घर का पाहूना, ज्यूँ आया त्यूं जाव। - कबीर दास
5
56
521
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Kabir Das
1 year
गुरु गोबिंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय, बलिहारी गुरु आपके, गोविन्द दियो मिलाय। - कबीर दास
3
34
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Kabir Das
2 years
कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई, बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खायी। - कबीर दास
4
56
502
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Kabir Das
1 year
तन को जोगी सब करें, मन को बिरला कोई, सब सिद्धि सहजे पाइए, जे मन जोगी होई। - कबीर दास
1
75
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Kabir Das
1 year
बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय । जो घर देखा आपना मुझसे बुरा णा कोय॥ - कबीर दास
2
57
491
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Kabir Das
1 year
जो कोशिश करते है वो कुछ-न-कुछ जरुर पा लेते है पर जो कोशिश नहीं करता उसे कुछ नहीं मिलता। - कबीर दास
0
58
495
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Kabir Das
1 year
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट, पाछे पछतायेगा, जब प्राण जाएंगे छूट। - कबीर दास
3
49
481
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Kabir Das
3 years
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय॥ #GuruPurnima2021
0
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478
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Kabir Das
1 year
झूठा सब संसार है, कोउ न अपना मीत, राम नाम को जानि ले, चलै सो भौजल जीत। - कबीर दास
2
44
467
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Kabir Das
1 year
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाही, सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही। - कबीर दास
2
63
467
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Kabir Das
1 year
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार, तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार। - कबीर दास
4
79
462
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Kabir Das
1 year
या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत, गुरु चरनन चित लाइए, जो पूरण सुख हेत। - कबीर दास
2
52
462
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Kabir Das
2 years
यह तन विष की बेलरी, गुरू अमृत की खान, शीश दिए जो गुरू मिले, तो भी सस्ता जान..। -कबीरदास
1
52
458
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Kabir Das
1 year
मन के हारे हार है मन के जीते जीत । कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत ॥
3
62
454
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Kabir Das
1 year
माला फेरत जग भय, फिर न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। - कबीर दास
6
34
438
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Kabir Das
1 year
करता था तो क्यूं रहया, जब करि क्यूं पछिताय । बोये पेड़ बबूल का, अम्ब कहाँ ते खाय ॥ - कबीर दास
4
57
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Kabir Das
1 year
न तो ज्यादा बोलना अच्छा है और न ज्यादा चुप होना अच्छा है। - कबीर दास
0
57
433
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Kabir Das
2 years
झिरमिर-झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह, माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह। - कबीर दास
4
35
430
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Kabir Das
1 year
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय। - कबीर दास
2
43
431
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Kabir Das
1 year
दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय, मेरी खल की साँस से, लोह भस्म हो जाए। - कबीर दास
3
46
421
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Kabir Das
1 year
तरवर तास बिलम्बिए, बारह मांस फलंत । सीतल छाया गहर फल, पंछी केलि करंत ॥ - कबीर दास
5
46
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Kabir Das
1 year
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँवन तर होय, कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय। - कबीर दास
2
46
427
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Kabir Das
2 years
कहत-सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन, कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन। - कबीर दास
1
43
408
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Kabir Das
2 years
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ - कबीरदास
2
61
420
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Kabir Das
1 year
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय। - कबीर दास
1
64
415
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Kabir Das
10 months
प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरूँ, प्रेमी मिलै न कोइ। प्रेमी कूँ प्रेमी मिलै तब, सब विष अमृत होइ॥ - कबीर दास
3
61
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