उधर चन्द्रयान का सफल प्रक्षेपण हुआ और यहां तेज हवा के साथ बारिश होने लगी. मानो यान ने बादलों को चीर कर बारिश कराई हो.
मेरी पोती चिन्ना पांड़े मुझे बारिश में भीगने के लिए घसीट ले गयी.
राष्ट्रीय पोशाक में जो व्यक्ति है, वह मैं हूँ. 😀
#गांवदेहात
आज सवेरे पुष्कर जाते हुए प्रेम सागर को कुंचील नामक गांव में दो मुस्लिम महिलाओं ने रोका. कहा कि वे यहां से क्यों गुजर रहे हैं. उनकी लाल पोशाक से उनके बच्चे डर रहे हैं.
आनन फानन में 25-30 लोग जुट गए और प्रेम सागर को धमकाने लगे.
एक सज्जन रामस्वरूप गुर्जर उन्हें बचा कर निकाले.
मां-बेटी गंगा स्नान कर लौट रहे थे। मैने रास्ता देने के लिये साइकिल की घण्टी बजाई।
लड़की इधर उधर भागने लगी।
मां ने समझाया - समझ न आये तो चुपचाप खड़े हो जाओ। आने वाला निकल जायेगा।
मैं समझा - मन जब चंचल हो तो उसे स्थिर करो। विपदा अपने आप रास्ता ढूंढ निकल जायेगी।
#भ्रमणज्ञान
सवेरे 6:45 बजे गांव में सड़क के किनारे मास्टर साहब पढ़ा रहे थे। त्रिकोणमिति।
5 लड़कियां और 6 लड़के। अपनी अपनी बोरी/टाट पर बैठे।
चित्र लेने लगा तो मास्साब बोले - कोई गलती हुई क्या?
मैने कहा - नहीं आपका पढ़ाना बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं प्रभावित था पूरे दृष्य से।
#भ्रमणज्ञान
गंगा स्नान के बाद इस चबूतरे पर वह महिला झाड़ू लगाती है। तीन चार बोरियां बिछाती है और देवी जी को पत्र-पुष्प अर्पित कर पूजा करती है। अकेले। कोई और व्यक्ति देखने वाला नहीं।
धर्म वह है, जिसमें कोई शो-ऑफ नहीं।
कोई टीम टाम नहीं।
हिन्दुत्व यूं जिन्दा है!
#भ्रमणज्ञान
हमारे अधियारा ने बहुत कहने पर सरसों बोई. थोड़ी. उतने के लिए थ्रेशर वाले को बुलाना ठीक नहीं होता.
सो, तीन दिन में परिवार ने लग कर पिटाई की और अब एक चादर से हवा दे कर ओसाई कर सरसों के दाने अलग किए.
2000 साल पुरानी तकनीक!
#घरपरिसर #गांवदेहात
पिताजी सवेरे तीन बजे उठ गए. नींद जब खुले तभी जा कर मंजन कर आते हैं. दांत हैं नहीं, मसूड़ों पर मलते हैं टूथ पेस्ट.
उनके पैर घसीटने की आवाज से आज नींद खुल गई. बिस्तर पर बैठे देखा तो पूछा - कुछ दिक्कत?
नहीं.
चाय पीना है?
हाँ.
[...]
सवेरे की आकस्मिक चाय का अनुष्ठान.
#गांवदेहात
अरहर कट कर खलिहान में आ गई है. फसल अच्छी ही लगती है. दो साल पहले जब अरहर के कार्टेल ने दाम बढ़ाए थे तब युवराज जी "अरहर मोदी" का नारा लगा रहे थे. कार्टेल की कमर टूट गयी तो वे चुप हो गए.
युवराज जी के नारों की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है.
गांव में शिफ्ट होने के बाद 24 घंटे वातानुकूलित जीवन से 0 घंटे वातानुकूलन की आदत डाली. सबसे बड़ी समस्या बारिश की उमस में होती है. तीन साल निकल दिए बिना AC.
घर में धारी दार कच्छा और बनियान ड्रेस होती है.
इस साल लगता है बनियान को भी इन हाउस ड्रेस कोड से हटाना होगा.
#गांवदेहात
आठ सौ भेड़ों के समूह के साथ था अमरनाथ। अपने घर से चालीस किलोमीटर दूर। छ सौ रूपया रोज भेड़ बैठाने का और आठ सेर अनाज पाते हैं। जेठ भर ऐसे ही घुमंतू रहेंगे।
बोले -
@narendramodi
तक भेज दीजिए हमारे फोटो। क्या पता कुछ भला हो जाए।
वोट देने जाएंगे मोदी को 19मई को।
#भ्रमणज्ञान
गांव में घर बनाने और रहने का लाभ -
* सोशल डिस्टेंस के लिए घर के दरवाजे से बाहर का गेट 50 कदम दूर है.
* मानसिक शांति के लिए खूब हरियाली 24x7 उपलब्ध और घर में जीव जंतु, पक्षियों और कीट आदि की कम से कम 60 - 70 प्रजातियां विचरण करती हैं.
#गांवदेहात में बसो बंधु! 😊
रोज सवेरे साइकिल भ्रमण से लौट कर देखता था कि मेरा बिस्तर ठीक कर दिया गया है और रजाई लपेट कर रख दी गयी है।
आज देखा तो पाया कि पिताजी यह कर देते हैं।
चौरासी पार उम्र में एक नया काम अपने लिये थाम लिया है! मैने उन्हे मना नहीं किया। अच्छा ही लगा यह।
चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण पर घर में हलवा बन रहा है. देसी घी में.
आज सावन सोमवार को महिलाएं घर में व्रत पर हैं, इस लिए हलवा सिंघाड़े के का है.
और भी बेहतर.
बधाई इसरो. बधाई भारत, जय हो! 🙏
सग्गड़ (साइकिल ठेला) में कटहल लाद कर ये लोग कस्बे (महराजगंज) की सब्जी की दुकानों पर ले जा रहे थे.
कटहल अब पकने के कगार पर है.
भारत में लोग अगर कटहल को भोजन में सम्मान जनक दर्जा दें और उसके प्रिजर्वेशन का मुकम्मल इंतजाम हो तो कुपोषण की समस्या हल हो जाए भारत में.
#गांवदेहात
वे श्री चिंतामणि पाण्डेय हैं। मेरे पिता।
पर माँ के निधन के बाद लगता है वे मेरी माँ का रोल अदा कर रहे हैं। मेरे अस्वस्थ होने पर बार बार मेरा बदन पोंछते हैं। [...]
माँ नहीं रहीं, पर वे ही माँ हैं।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव:।
अम्माजी (मेरी सास) की तेरही पर मेरे साले विकास दुबे ने तय किया कि कोई प्लास्टिक या थर्मोकोल के ग्लास दोना पत्तल प्रयोग नहीं किए जाएंगे.
वह खोज कर यह प्लेटें लाया. सुपारी या अखरोट की लकड़ी की बनी. किसी परिचित के माध्यम से सवा चार रु प्लेट मिली.
कुछ मंहगा पर स्वागत योग्य.
अपने पुत्र के साथ। आज मन हुआ कि उसे भी एक साइकिल ले साथ चलने को कहूं; सवेरे साइकिल भ्रमण का साथी बनाने के लिये।
एक बार पहले ली थी। वह प्रयोग सफल नहीं हुआ। एक बार फिर सही!
वह सरल व्यक्ति है - मुझसे कहीं ज्यादा सरल।
हमारा वाहन चालक है अशोक दुबे.
चिन्ना पांड़े - मेरी पोती उसे अपना मित्र और शिष्य मानती है. उसका नाम पुकारती है - बुलबुल.
बोलती है - बुलबुल मेरा भाई है.
स्कूल में जो सीखती है, बुलबुल को पढ़ाती है. अशोक पूरी गंभीरता से पढ़ता है. 😁
#गांवदेहात
दो महीने से रह रही है. पहले पति पत्नी थे, अब बच्चे भी हो गये हैं. कोई किराया नहीं दिया. खाली भी नहीं करती. दूसरे किराएदार आना चाहते हैं. इंडियन रॉबिन देख देख कर जा रही है पर ये निकलती ही नहीं.
क्या करें, पुलिस बुलाएं? 😁
यह साधू मिला गंगा स्नान करता। लम्बा शरीर। शरीर पर मांस ज्यादा नहीं। दाढ़ी और सिर की जटायें बहुत लम्बी। खड़ा हुआ तो देखा, जटायें जमीन पर लटक रही थीं।
विलक्षण। स्थानीय नहीं है। कहीं बाहर से आया है यह साधू।
#भ्रमणज्ञान
गांव में मेरा यह घर अभी 4 साल का नहीं हुआ. पहले यह खेत में खड़ी एक साधारण सी इमारत लगता था. अब यह एक कगूरा रहित पैगोडा सा लगता है. यह वनस्पति से घिरा है और हरियाली उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है.
यहाँ रहते मुझे लगता है अगर वेदांत अध्ययन कर लूं तो छोटा मोटा ऋषि बन जाऊंगा! 😁
वह व्यक्ति अनुसूचित जाति का है। गंगाजी का पानी मटमैला है बाढ़ में, फिर भी नहा कर श्रद्धा से आचमन करता है। एक लोटा जल ले कर शंकर जी को, हनुमान जी को चढ़ाता है, पीपल पर लगा घण्टा बजाता है और धरती को नमन करता है।
अनेकानेक सवर्णों से गहन है उसकी श्रद्धा।
धर्म कहां है? यहां है!!!
दो किलो मटर छीली। पूरी बेगारी।
अब यह मैं अथॉरिटी से कह सकता हूं कि एक किलो मटर में 160 के आसपास छीमीयां होती हैं।
पूरी तन्मयता से, गिनते हुए मटर छीली। 😊
आज़म खान जी ने माफी मांगी. और सांसद ने उनकी माफी को स्वीकार कर लिया.
एक आम नागरिक इस तरह अगर कहता तो सांसद के मामले में वह आज जेल में होता. उसकी किसी माफी याचना का कोई मतलब नहीं होता.
यह देश आम और खास में बहुत भेद भाव करता है.
आठ साल पहले : कोलाहलपुर घाट पर नहा कर आये उस नौजवान से मैने पूछा था - क्या नदी गहरी है?
उसने लगभग फटकारते हुये मुझे जवाब दिया था - ये नदी नहीं हैं। ये गंगा माई हैं।
मेरे पिताजी डिमेंशिया से ग्रस्त हैं. दायाँ हाथ कांपता है. बोलने में लटपटाते हैं.
पर बहुत देर से टीवी के सामने बैठे हैं अटल जी की अंतिम यात्रा देखते हुए.
यह प्रमाण है अटल जी की लोकप्रियता का.
मेरी पत्नीजी कहती हैं कि चार बच्चों को पालती हैं वे। मेरे पिताजी (उम्र 85) उनके सबसे बड़े बच्चे हैं।
जब लगा कि सर्दियों में, उम्र के कारण, नहाने में कोताही कर रहे हैं तो धूप निकलने पर उन्हें (गर्म पानी से) नहलाया।
नहलाया उन्होने, कपड़े मेरे लड़के और मैने पहनाये।
#ग्राम्यजीवन
पिछली बार भाजपा के सांसदी उम्मीदवार को वोट दिये। वह जीत भी गया।
पांच साल में मैने उसकी शकल नहीं देखी। बताते हैं कि आता भी है तो अपनी बिरादरी के लोगों से मिल कर चला जाता है।
अब फिर चुनाव आसन्न हैं। फिर कोई गदहा-खच्चर खड़ा कर देंगे मोदी जी। फिर हम वोट देंगे और फिर जीत जायेगा।
हम जब मेरे रिटायरमेंट के बाद गांव में शिफ्ट हुए तो मैने 24 घंटे एयरकंडीशन वातावरण से 24 घंटे बिना एसी के रहने का निश्चय किया. चार गर्मियां और उमस के साल निकाल दिए हैं बिना वातानुकूलन के.
पर इस साल उमस के कारण अपनी घटी क्षमता का कष्ट हो रहा है.
संकल्प डिग सा रहा है.
कुम्हारों की बस्ती में यह गाय दिखी। एक दसना/कथरी उढ़ाई गयी थी उसे। अभी ज्यादा सर्दी नहीं है। और किसी गोरू को कथरी या बोरा उढ़ाये नहीं देखा।
गायवाला बड़े प्यार से रखता होगा गैय्या को।
#भ्रमणज्ञान
कैलाश नाथ मिश्र गंगा स्नान कर आ रहे थे.
बताया कि 30 सालों से नित्य कर रहे हैं. नौकरी करते थे तब भी गंगा स्नान के बाद ही काम पर मिर्जापुर जाते थे.
कैलाशनाथ जी 12 साल प्रयाग में कल्पवास भी कर चुके हैं माघ मास में.
उनका लड़का पहले अटेम्प्ट में IIT में आ गया है. बिना कोचिंग.
जब मैंने सेवानिवृत्त होने पर गांव में बसने का मन बनाया था तो दो कमरे की मड़ई बनाने का स्वप्न था। पर बनाने बनते वह इतनी साइज का बन गया। बिजली की कमी से सोलर पैनल, पानी के लिये 2000 लीटर का स्टोरेज, डाटा के लिये छतरी.. ये सब आ गये।
और अब इससे मोह हो गया है! :)
#रिटायरलाइफ
दस मिनट हो गए हैं सूर्योदय हुए. इसी घर पेड़ के पीछे हैं भगवान भास्कर.
आधे घंटे में वोट देने जाना है. उम्मीदवार थर्ड क्लास है. मजबूरी में वोट पार्टी को देना है.
चलें, तैयार हो लें.
कैंची स्कूल ऑफ साइकिल ड्राइविंग में यह बालक स्नातक दर्जा उत्तीर्ण हो गया है। विशेष योग्यता के साथ। सिंगल लेन की सड़क पर इतनी तेज कैंची चला रहा था कि ठीकठाक फोटो लेने में मुझे मशक्कत करनी पड़ी।
अब यह पैर कुदा कर जल्दी ही सीट पर बैठने लगेगा।
#गांवदेहात
किताब, नोटबुक, कलम, किंडल, टैब, अखबार और रेडियो के साथ छत पर धूप में अड्डा जमा लिया.
पत्नीजी एक खाट पर गेहूं भी सुखाने रख गईं. "छत पर बैठे हो तो गेंहू पर से कबूतर भी उड़ाते रहना."
#रिटायर्डआदमी चिड़िया उड़ाने के लिए ही है. 😁
#गांवदेहात
सवेरे गंगा स्���ान कर घर लौटता आदमी। एक डोलू में गंगाजल ले कर लौटना नित्य स्नान अनुष्ठान का अंग है।
हाथ में लाठी तो आवारा कुकुरों से बचाव के लिये है।
गंगा हैं, नित्य स्नान है, गंगाजल है।
तो हिंदुत्व यूं जिंदा है। बिना क्रांति, बिना मारकाट, बिना रक्तपात।
#भ्रमणज्ञान
महुआ के विशालकाय वृक्ष।
इस साल टपका नहीं महुआ। वर्ना इसके नीचे बच्चों की भीड़ रहती थी बीनने के लिये।
और महुये की गंध? जिसने वह गंध नहीं सूंघी, वह पुनर्जन्म लेगा, जरूर।
#गांवदेहात #भ्रमणज्ञान
वे केसरिया नहीं, सफेद कपड़ों में थे - श्वेतांबर जैन जैसे. एक बार मुझे लगा कि सेकुलर समाज ने हिन्दुत्व वादी गुट का कोई काउंटर ग्रुप तो नहीं बना लिया!
पर पता चला कि वे डाक बम हैं. नान स्टाप चलने वाले. केसरिया काँवरिये 5 दिन लगाते हैं पर ये 24 घंटे में विश्वनाथ जी तक पंहुचते हैं.
नया कपड़ा अंवासने (पहनना शुरू करने) पर घर में सभी बड़ों का पैर छूने की परम्परा थी. तब गांव था और कुटुंब था. बहुत से लोगों का चरण स्पर्श करना होता था.
अब परिवार नाभिकीय हो गए हैं. उम्र भी बढ़ गयी है.
आज एक नया कमीज अंवासने पर केवल पिताजी का चरणस्पर्श करना पड़ा.
बहुत मार्केट अन-फ्रेंडली पैकेजिंग की है भगवान जी ने हरे चने की.
एक एक दाने को निकियाते हुए खोलना और किसी किसी में तो पिद्दी सा दाना, बाकी हवा.
भगवान जी प्रकृति की संरचना पुनः करें तो एक पैकेजिंग एक्सपर्ट को कंसल्टेंट जरूर बना लें.
बेस्ट पैकेजिंग केले में है.
जै श्रीराम जी की!
वह नौजवान गंगा नहा कर करार चढ़ कर अपनी साइकिल के पास आया। ताला खोल खड़ा हो कर सुरती मसली और फिर मुझसे बोला - चच्चा, चूना होये?
मेरे पास तम्बाकू-चूना नहीं था। मैने मना किया। पर मुझे अच्छा लगा कि वह मुझे पर्याप्त देसी समझता है। चूना मांगने के लायक!
दामाद और बिटिया आए थे गांव पर. पगडंडी से शिव पूजा के लिए गए. शिवाला की सीढ़ियां भी काफी संकरी और स्टीप हैं. दोनों वहां हो आए, फिसले नहीं.
#गांवदेहात के प्रति यह भाव अच्छा लगा.
हर हर महादेव!
पांच साल होने को हैं यहां गांव में घर बनाये। इस परिसर में कोई पेड़ नहीं था। अब यह हरा भरा हो गया है और अब पक्षी भी बहुत आने-रहने लग गये हैं।
कुछ दिन पहले देखा कि पिछवाड़े लगाये नीम पर बया ने घोंसला भी बना लिया है!
धन्य हुआ #गांवदेहात में निवास।
दो महीने में एक बार काम पड़ता है सुन्दर नाऊ जी का. गिने चुने बाल बचे हैं. पत्नीजी चाहें तो काट सकती हैं पर वे करती नहीं.
बाल काट कर सुंदर बुलाते हैं - बहिन तनी देखि ल. ठीक कटा बा कि नाहीं.
सुंदर अभिन्न अंग हैं परिवेश के!
#गांवदेहात
हमारे मीडिया को हाहाकारकी बजाय दिखाना चाहिये कि कोरोनावायरस से लड़ने के लिये तैयारी कैसे हो रही है। कौन इण्डस्ट्री मास्क, वेण्टीलेटर, पहनने के लबादे और अन्य मेडिकल उपकरण बना रही है? उनकी राष्ट्रीय जरूरत कितनी है।
सिनिसिज्म से अवसाद बढ़ने की बजाय बेहतर पक्ष दिखायें भाई लोग।
हम दंपति को दो टीके लगवाई हो गई.
बिना टीके के कोरोना संक्रमण की संभावना 1000 में 1 की थी, अब आंकड़ों के अनुसार 10,000 में 3 की हो गई है.
बाकी कसर मास्कवाद के अनुयायी बन कर करेंगे.
पूरी स्ट्रेटेजी बना लिए हैं. डेढ़ महीने का राशन पानी घर में जमा है. 😊
कल्लू यादव से पूर्व परिचय नहीं था। गन्ने की कटाई करते उनका चित्र लेते बातचीत हुई। वे मुझे अपने घर ले गये जहां बैलों के गन्ना-कोल्हू से रस निकालने की प्रक्रिया दिखाई। दो गिलास ताजा रस पिलाया और परिवार के लिये एक डोलू रस मेरे साइकिल पर लटका भी दिया!
गांव का आतिथ्य!
आज कटहल खरीदा. चालीस रुपया किलो. आधा किलो लिया. एक बड़ी सी पंहसुल से सब्जी वाले ने उसका छिलका उतार कर टुकड़े दिए.
उसका दूध उसके हाथ में लंबे अर्से तक चिपचिपाहट न करे, उसने सरसों के तेल को हाथ पर लगाया.
झंझट है कटहल बेचना, खरीदना और उसकी सब्जी बनाना.
#अलोकप्रिय #सब्जी
राम स्वरुप गुर्जर जी ने बताया कि कुंचील में 50 घर गुर्जर हैं और 2000 घर मिंया बस्ती है. प्रेम सागर गूगल मैप पर बताये पैदल रास्ते चल रहे थे और मिंया बस्ती से गुजरना हुआ.
प्रेम सागर का कहना है कि वे लोग धमकाने लगे - ये रोड मोदी या मोदी के बाप की नहीं है.
दुखद प्रकरण. 😒
कल मेरी पुत्रवधु बबिता का जन्म दिन था। मेरे पिताजी को उसने कहा - लीजिये बाबा, खीर खाइये। जन्मदिन का पैसा तो आपने दिया नहीं!
पिताजी ने जवाब दिया - आशिर्वाद दिया था। वह काफी नहीं है क्या?
पिताजी से पैसे निकालना आसान काम नहीं है! 😀
मेरी पत्नीजी मेरे पिताजी की सेवा वैसे करती हैं, जैसे कोई अपने बच्चे की करता हो. पिताजी का मल मूत्र साफ करने में मुझे शायद कुछ अरुचि हो, उन्हें बिल्कुल नहीं.
और पिताजी को डांटती भी वैसे हैं, जैसे अपने बच्चे को डांटती हों.
कुछ लोग यह भाव समझ नहीं पाते.
#SuryaTraumaCenter
#Aurai
मेरे बिट्स पिलानी के दो बैच मेट्स ने मुझसे Whatsapp पर संपर्क किया. मैंने उन्हे चहक कर बताया कि मैं एक गांव में रह रहा हूँ.
वे परदेस में हैं. उनके नंबर से लगता है कि अमेरिका में.
गांव सुन कर वे वापस नहीं आये. उन्हे लगा होगा कि मेरा करियर डीरेल हो गया होगा - तभी गांव में हूं.
कल से सर्दी में क्वाण्टम जम्प हुआ है। पिताजी बगल के तख्त पर रहते हैं। उन्होने गर्म कपड़े एक बार फिर सहेज लिये।
सर्दी तापने के लिये सिगड़ी का इन्तजाम हो गया है। कोयला लाना बाकी है।
दोपहर में रजाई ओढ़े पिताजी नें ज्ञान बांटा - "पास में पईसा हो तो सर्दी कम लगती है।"
#ग्राम्यजीवन
आज जुकाम है. सर्दी लग गई है. घूमने जाना रुक गया है. तो दाढ़ी बनाने की कवायद भी नहीं हुई.
मुंह भी फीका लग रहा है. गरम हलवा बने तो गले को आराम आए.
#आजसवेरे
गांव में रहने का एक फायदा है। आप बिना किसी से मिले, बिना 10 - 20 फिट से ज्यादा नजदीकी में आए, ढाई से चार किलोमीटर दूर गंगा तट का सूर्योदय या सूर्यास्त देख कर आ सकते हैं।
बस आप और आपका बटोही (आपकी साइकिल)।
सोशल आइसोलेशन का पूरा ध्यान रखते हुए फोटो भी ले सकते हैं।
#भ्रमणज्ञान
घर में बारिश से दूब बहुत बढ़ गई है. मेदिनीपुर के ये बच्चे आ कर दूब उखाड़ कर ले जा रहे हैं. उनके मां पिता इसे छाँट कर गट्ठर बना बनारस ले जाएंगे.
विश्वनाथ मंदिर में दूब की बहुत जरूरत होती है.
बेलपत्र और दूब को बनारस जा कर बेचने में 15 - 20 परिवारों की जीविका चलती है.
#गांवदेहात
मैं स्वयं ईद पर अपने ड्राईवर रफीक की मीठी सिवंईयों की आतुरता से प्रतीक्षा करता था. पर मैं पंड़िज्जी की स्वच्छ और उपयुक्त व्यक्ति द्वारा भोजन परोसने की इच्छा का भी समर्थन करूंगा.
हिन्दुस्तान पंड़िज्जी का भी है.
मेरे यौवन के समय तक 100-200 लोगों का कुटुंब था. अब बिखर रहा है. नाभिकीय परिवार बन रहे हैं. फिर भी अभी कहीं पुराने बॉन्ड कायम हैं.
उन्हीं को पुष्ट करने वाली यात्रा थी सिरसा, प्रयागराज की.
यह 59 वर्ष की मेरी पत्नीजी (कुटुंब) के अपने 8 महीने के देवर के साथ.
#साझापरिवार
मानस पाठ शुरू कर दिया गया है. कल अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के पहले 'खींच' देंगे पाठ.
जहां देखो वहां राम हैं. जहां देखो वहां वातावरण केसरिया है. अभूतपूर्व. ऐसा पहले नहीं देखा था.
राम लला की जय हो! जय श्री राम!
दो महिलायें लगीं पांच दिन तक, हमारी खेत की अरहर की सफाई, धुलाई और दलाई में। दो दिन से नयी अरहर की दाल खाने को मिल रही है।
साथ ही अरहर की पर्याप्त चूनी भी निकली है। दो दिन से उसको आटे में सान कर चूनी की रोटी का भी आनंद मिल रहा है।
यह मजा शहराती लोगों को नसीब नहीं हो सकता। :)
यू ट्यूब पर एक महिला चार ठो पूरी बिना तेल की एयर फ्रायर में बना कर दिखा रही हैं।
चार पूरी के लिये इतना टिटिम्मा। पहले इडली स्टैण्ड में स्टीम करो फिर एयर फ्रायर में तलो।
यहां घर में पांच लोग 12-12 पूड़ी के लीस्ट-काउण्ट से खाना शुरु करते हैं।
हो चुका उनका नाश्ता।
#स्नॉबरी
गाँव देहात और गंगा तट का एकांत
"सुबह शाम सूरज की किरणें, गंगा नदी का बहाव, बबूल के झुरमुट और उनके झाड़ों पर उखमज (पतिंगे) वैसे ही हैं, जैसे थे। किसी आयरस-वायरस का कोई प्रभाव नहीं।"
रात भर बारिश होती रही. शहर होता तो पानी से भरी सड़कों का चित्र लेता. गांव में तो यह परिवार दिखा जो धान की बुआई की तैयारी कर रहा था.
बच्चे बचपन से ही धान की खेती का अनुशासन सीख जाएंगे.
#गांवदेहात
उस रोज #भ्रमणज्ञान के सवेरे के दौर में ये सारंगी वाले नाथ पंथी साधू दिखे. आपस में धान की फसल की बातचीत कर रहे थे. पूरी मौज में.
ये फक्कड सन्यासी हैं और इन्ही की बिरादरी का एक मुख्यमंत्री है. हाथ की लकीरें सही रहीं तो वह शायद कभी प्रधानमंत्री भी बन जाए.
पंड़िज्जी रुद्र अभिषेक के बाद उठे थे। ढाई घंटा अनवरत सस्वर पाठ के बाद।
मैने पूछा, गले के लिए क्या करते हैं?
"सवेरे काली मिर्च पाउडर में सेंधा नमक घी में मिला कर सवेरे चाटता हूँ। गले में कैसी भी खराश हो दूर हो जाती है।"
कोरोना सिंड्रोम वाले ध्यान दें इस टिप पर!
#गांवदेहात
#अगियाबीर में मेरे मित्र हैं गुन्नीलाल पांड़े। उस शाम उनके यहां दूध नहीं था, सो नीम्बू वाली चाय पिलाई और उसके बाद तुरन्त गाय लगा कर दूध निकाला। ताजा दूध गर्मा कर एक गिलास आग्रह कर पिलाया भी।
ऐसा आतिथ्य शहरी जीवन में कहां होगा!
यही प्रिय है गांव के जीवन में, मुझे।
#ग्राम्यजीवन
काशीनाथ स्थूल था. 8 किलो वजन घटाया. बताया कि शाम एक चम्मच जीरा एक ग्लास पानी में भिगो रखता है. सवेरे छान कर पानी शहद मिला पी जाता है. तीन महीने में इतना फर्क़ पड़ा.
मैने भी यह टोटका आजमाया. शहद के बिना.
महीना भर हुआ, टोटका कारगर होता नजर आ रहा है.
#गांवदेहात
मोदी जी के लॉन में दो इन्टरयू हुए जो हाल ही में टीवी पर आये.
दोनों क��� देख कर मेरी पोती चिन्ना पांड़े (उम्र 5+) कहती हैं कि उसे प्रधानमंत्री का घर देखना है.
@narendramodi
जी हफ्ते में एक आध दिन बच्चों को वहां देखने की व्यवस्था कर दें तो आनंद.
चिन्ना में सपने उगें इससे!
आज दोपहर में घर में हलवा बना. काजू किशमिश बादाम - जो भी घर में था, डाल कर बनाया गया.
पड़ोस में भी एक कटोरी भेजा.
चुनाव इससे बढ़िया सम्पन्न नहीं हो सकता था.
यह पिलवा महराजगंज के तिराहे पर अकेला कूं कूं कर रहा था. पत्नीजी बाजार में थीं और यह अशोक (वाहन चालक) को पछियाये चल दिया. उसे घर ला कर दूध दिया पीने को.
अब मुख्य समस्या है कि पाले कौन?
पत्नीजी पालने को बिल्कुल राजी नहीं हैं - अशोक के पीछे आया है, अशोक पाले.
देखें आगे क्या होगा!
गांव में तेज बारिश और हवा के साथ बिजली चली गई है. सवेरे 36 घंटे से ज्यादा हो चुका था. गांव के बच्चे आने लगे थे (अपना मोबाइल और चार्जर लेकर) मोबाइल चार्ज करने का अनुरोध करते हुए.
आधा दर्जन मोबाइल चार्ज करने का पुण्य लाभ होता है.
#गांवदेहात
प्रधानमन्त्री सड़क योजना की सड़क का शानदार उपयोग - जवान इस पर दण्ड-बैठक लगा रहा था।
इस व्यक्ति को कई दिन से देख रहा हूं। चलती साइकिल से कल फोटो ले पाया। :-)
अगले दिन नाम बताया अभय सिंह।
भगवान करें बन्दे की आर्मी में नौकरी लग जाये।
#भ्रमणज्ञान
ये हैं ईश्वर चन्द्र (बांये) और विद्यासागर विश्वकर्मा. दोनों भाई हैं. मेरे घर कारपेंटरी का कुछ काम करने आए हैं. कुशल कारीगर.
उनके पिताने बड़े साध से समाज सुधारक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की याद में उनका नाम रखा है.
अन्यथा गांव में ढूँढी, सेमरू, गोला छाप नाम हुआ करते थे/हैं.
पचासी के हो रहे हैं पिताजी. पर अपना बिस्तर उठ कर लगा देते हैं. यह अलग बात है कि कुछ ही समय बाद फिर सोने लगते हैं उसपर.
उनका यह रूटीन देख अपने लउधर (फूहड़) पने पर शर्म सी आती है कई बार.
आम तौर पर मेरा बिस्तर भी वे ठीक कर देते हैं. नौकरानी का इन्तजार नहीं करते.
चिन्ना पांड़े की परीक्षाएं चल रही हैं. वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से परीक्षा के लिए जाने के पहले प्रणाम करती है.
"प्रणाम बाबा, प्रणाम दादी; जै श्रीराम!"
उसे हिदायत दी जाती है - दही चीनी खा कर जाना. पेपर को एक बार रिवाइज जरूर कर लेना.
इन्टरनेट ने दूरी मिटा दी है.
जय श्रीराम!
आज सवेरे साढ़े पांच बजे चाय पीते समय मन में विचार था कि सम्भवतः 35 गो वेन्ट गॉन हो जाएगा.
अंदाज नहीं था कि पूरा 370 साफ होने का मुहुर्त है.
बढ़िया रही नागपंचमी. 🐍
सवेरे की एक लोटा चाय थर्मस में। साथ में चना जोर गरम के दो टुकड़े।
घर में कोई और उठा नहीं है। सूर्योदय को अकेले निहारते और चाय पीते सोशल डिस्टेंसिंग/जनता कर्फ्यू पर सोच विचार।
उम्र 64+ की हो गई है। तुम्हें सतर्क रहना है, जी डी!
सुप्रभात। दिन मंगलमय हो!
कल चुनाव का दिन है. आज सवेरे गुन्नी लाल पाण्डेय जी और बसंत कन्नौजिया घर आए और अपने अपने आकलन दे रहे हैं.
बसंत ने कहा कि पहले लकड़ी का कोयला लाते थे प्रेस करने के लिए. अब वह खरीदना बंद कर दिया है. अब बिजली दगा नहीं देती.
गुन्नीलाल जी कह रहे हैं भाजपा 300 पार जाएगी! 😁
अस्पताल में 1 महीने में सबसे अच्छा कॉम्प्लीमेन्ट दिया बेसमेंट में बिलिंग सेक्शन में.
वे आपके पिताजी हैं?
जी.
बहुत अच्छा कर रहे हैं आप. लोगों के 4-4 बच्चे होते हैं. संपन्न. पर यह पता नहीं होता कि शाम का खाना कौन देगा. इलाज कौन कराता है.
#SuryaTraumaCenter
#Aurai
ऑटोरिक्शा खराब होने पर गंगास्नान से लौटती महिलायें सडक किनारे गुड़ का लेडुआ खा रही थीं।
चित्र लेते देख एक गौरवर्णी ने हंस कर कहा - ले लो, चाहे जितना ले लो फोटो।
बीस साल पहले होता यह निमन्त्रण तो साइकिल रोक उनसे बोलता बतियाता। अब तीसरेपन में क्या रसिकता!? 😁
#मकरसंक्रांति
ये गिरगिट परसाद ह���ं। मेरे घरेलू मित्र। सवेरे दस बजे आ जाते हैं इस गमले में धूप सेंकने के लिये। मुझसे डरते-लजाते नहीं। ज्यादा पास जाने पर थोड़ा सरक जाते हैं, बस। गर्मी के मौसम में पास की तुलसी की झाड़ियों में रहते हैं।
ये एक्सीडेण्टल गिरगिट हैं; आदमी भी हो सकते थे।
#ग्राम्यजीवन
लॉकडाउन हटा। सबेरे राजेश महीना भर बाद अपनी समोसा-जलेबी-मिठाई की गुमटी खोलने की तैयारी करने लगा।
"बरतन मांजि लेई, धूल गर्दा साफ करे पर काम शुरू होये।"
वह समोसा बनाना कल से शुरू करने की कह रहा था, मैंने कहा - कल काहे, आज संझा से ही श्रीगणेश करो!
मन प्रसन्न हुआ गुमटी खुलने पर!
मेरे गांव के किनारे बैंक। भीड़ है। अच्छा है कि लोग बैंक का इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी बात यह है कि भीड़ में काफ़ी संख्या में महिलायें हैं।
उनकी संख्या पिछले दो-तीन साल में बढ़ी है।
यह वास्तविक वीमन-एम्पावरमेण्ट है।
#ग्राम्यजीवन
तेइस को निर्बाध टीवी दर्शन की प्लानिंग बनने लगी है। भोजन बनाने के लिए भी ज्यादा उठना न पड़े।
"मैं सोचती हूँ सवेरे सवेरे फुलौरी कढ़ी बना लिया जाए उसके बाद चावल बनाने में टाइम नहीं लगेगा"।
यह डिकलेयर कर दिया गया है कि उस दिन कोई कार्टून चैनल नहीं लगेगा।
😁
एग्जिट पोल वालों से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। अब लोग चाहते हैं कि वे उनकी कंस्टीटुएन्सी का या उनके कस्बे /गांव/मुहल्ले का भी प्रॉजेक्शन बताया करें।
"मोदी त ठीक बा, पर ई रंगनथवा केतना वोट पाए, गुरू? इहउ बतावई के रहा।"
घर में लंगड़ा का पेड़ है है और दशहरी का भी. मेरी कोई विशेष च्वाइस नहीं पर मेरी पत्नीजी घनघोर लंगड़ावादी हैं.
आज एक लंगड़ा सेवन किया. मोटू राम पेट के बीच ज्यादा ही पक गए थे. बेकार. जायका ठीक करने के लिए एक दशहरी सेवन किया. अद्वितीय!
आज से मेरा क़ीमती वोट दशहरी दल को! पक्का! 😁
बारिश के मौसम का लाल मखमली कीड़ा, आज मुझे दशकों बाद दिखा। यह प्रदूषण के चपेट में गायब था। शहर में तो बचपन के बाद कभी दिखा ही नहीं। यहां गांव में पांच साल में पहली बार गंगा तट पर नजर आया।
शायद लॉक डाउन का प्रभाव है कि न दिखने वाली प्रजातियां भी दिख रही हैं।
#भ्रमणज्ञान
कैलाशनाथ मिश्र जी आज आग्रह कर घर ले गये। पानी पीने को पिटऊरा, लेडुआ और पेड़ा रखा। साथ थैले में बांध दिये - "घर का बना है; बाद में खाइयेगा"।
उनकी बिटिया ने कहा - "द्वारिकापुर हो आइये। संक्रान्ति स्नान करने वालों का फोटो लेने को मिलेगा। मेला भी लगा होगा।"
#ग्राम्यजीवन
गाँव के घर में कई प्रकार की चिड़ियां आने लगी हैं. बहुत सी ऐसी हैं जिनके जाति नाम नहीं मालूम. पर उन्हें देखना अच्छा लगता है. उनके चित्र लेने के अच्छे उपकरण मेरे पास नहीं हैं.
ये कुचकुचवा (उलूप) जी सागौन के पेड़ पर रहते हैं और सवेरे घर की मुंडेर पर बैठे पाए जाते हैं.
#गांवदेहात
शरीफा। सीता फल। यह लातिनी अमेरिका का फल है पर पुरातात्विक खोज में चुनार के आसपास इसके अवशेष मिले हैं - 2-3 हजार साल पहले।
वे सिर खुजा रहे हैं कि अमेरिकी महाद्वीप से कोलंबस के पहले यहां आया कैसे!
आज उमरहा गांव में एक जगह गुड़ बन रहा था। एक बच्चा, गुड़ खाने के लिये, पास बैठा था मचिया पर।
बटोही (साइकिल) किनारे लगा मैंने फोटो लिये वहां के।
गुड़ बनाने वाले ने एक गरम भेली मुझे भी दी।
चॉकलेट सी लगी खाने में।
#गांवदेहात
पिताजी के साथ हॉस्पिटल में रहने का एक पक्ष यह है कि बहुत सी जद्दोजहद/सफलता के पोटेंशियल की स्टोरीज दिख रही हैं.
यह दीपक है. छ से दस और तीन से आठ तक यह चाय बेचता है. बीच में कोचिंग क्लास जाता है. 9वीं का छात्र है.
चाय की गुणवत्ता और सर्विस के प्रति सजग.
#SuryaTraumaCenter