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Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش Profile
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش

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Chief Editor कर्मवीर https://t.co/Po5QW6pO6J पूर्व संपादक नवभारत,नईदुनिया,नवप्रभात,प्रदेश टुडे. पूर्व प्रधान संपादक datelineindia,पूर्व एडिटर इन चीफ़ DNN चैनल।

Gwalior, India
Joined November 2015
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@DrRakeshPathak7
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4 months
♦️सॉरी सर, संघ तो स्वाधीनता संग्राम तक में शामिल नहीं था.! 🔸 'भारत छोड़ो आंदोलन' के समय अंग्रेजों के साथ था RSS 🔸संघ ने न संविधान स्वीकार किया था और न तिरंगा। 🔸आज़ाद भारत में देश और समाज विरोधी गतिविधियों के कारण तीन बार लग चुका है प्रतिबंध। 🔸फिर भी आप लाल किले से कसीदे
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
20 hours
▪️बंगाल की 'बूढ़ी गांधी' शहीद मातंगिनी हाजरा 'भारत छोड़ो आंदोलन' में अंग्रेजों की गोलियां खाकर भी नहीं छोड़ा तिरंगा और वंदे मातरम्। #प्रसंगवश: ▪️ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल नहीं हुआ था संघ। ▪️ श्यामप्रसाद मुखर्जी अंग्रेजों को चिट्ठी लिख कर इस आंदोलन को कुचलने के उपाय बता रहे
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@EpochTimes
The Epoch Times
3 months
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@DrRakeshPathak7
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1 day
सर, रिफ्रेंस ज़रूर होगा लेकिन इतिहास की किताबों में नहीं बल्कि उनके व्हाट्सएप विष'विद्यालय की किताबों में।
@irfhabib
S lrfan Habib एस इरफान हबीब عرفان حبئب
1 day
During the Vande Mataram debate today PM Modi claimed that Mahatma Gandhi saw it as 'national anthem' since 1905. But Gandhi was in South Africa, he arrives in India in 1915. Is there any reference which I seem to have missed?
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@DrRakeshPathak7
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1 day
▪️अगर आज़ादी के बाद दस बीस साल संसद में बताया गया होता कि सं घ ने आज़ादी की लड़ाई में गद्दारी की थी तो आज इनका नामो निशान नहीं होता..! 🔸 फिर भी अगर कुछ बच जाते तो उनकी अगली सात पीढ़ियों के माथे पर 'ग़द्दार' लिखा मिलता। ▪️ धन्यवाद मो दी जी, आपने एक बार फिर ये साबित करने का
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@DrRakeshPathak7
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1 day
ऐसे चुटकुले आप अपने व्हाट्सएप ग्रुप/ आईटी सेल में ही आगे भेजिए महोदय। यहां इसका कोई कद्रदान नहीं है। आभार।
@JMehta65
Jayesh Mehta
2 days
@DrRakeshPathak7 गांधीजी भी संघीय या महासभाईय थे क्या? अंग्रेज उनको भी अच्छी खासी पेंशन देते थे हर महीने।
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
1 day
आज प्रियंका गांधी ने संसद में 'एप्सटीन फाइल्स' का सवाल उठाया। इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले हमने वरिष्ठ पत्रकार @pkray11 के साथ लंबी चर्चा की थी। लिंक ये रही... https://t.co/qZ6sRlj3vp
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@DrRakeshPathak7
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2 days
पियूष जी, आपको आपके आईटी सेल ने बताया नहीं कि उसी मुस्लिम के साथ आपके वैचारिक पुरखे प्रांतीय सरकारों में शामिल रहे। आपको आपके व्हाट्सएप विष'विद्यालय ने आपको बताया नहीं कि भारत छोड़ो आंदोलन के समय आपके प्रो श्यामप्रसाद मुखर्जी बंगाल की सरकार में मंत्री बने बैठे थे और आंदोलन को
@PiyushGoyal
Piyush Goyal
2 days
कां��्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक कर वन्दे मातरम् के टुकड़े कर दिए...
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@DrRakeshPathak7
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2 days
▪️'वंदे मातरम्' गाने पर अंग्रेज कोड़े मारते थे..! 🔸 स्वामी विवेकानंद के भाई भूपेंद्रनाथ दत्त ने वंदे मातरम् गाने पर चालीस कोड़ों की सजा पाई थी। ▪️अंग्रेजों के पिट्ठुओं ने डर के मारे कभी नहीं गाया वंदे मातरम्। #वंदे_मातरम् #VandeMataram150
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
2 days
जिन तीन प्रांतों में हिंदू महासभा लीग के साथ सरकार में शामिल थी उनमें से एक प्रांत सिंध में पृथक देश पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित हुआ था। सिर्फ औपचारिकता के लिए महासभा के मंत्री,विधायक उस समय सदन से बाहर गए लेकिन सरकार में बने रहे वंदे मातरम् को राष्ट्र गीत के रूप में मान्यता
@gurdeepsappal
Gurdeep Singh Sappal
2 days
मुस्लिम लीग द्वारा वंदे मातरम के विरोध के बाद और क्या क्या हुआ? बात 1937 की है। ब्रिटिश इंडिया में चुनाव हुए। कुल 11 राज्य थे। इनमें कांग्रेस ने 7 राज्यों में सरकार बनाई। मुस्लिम लीग ने एक राज्य भी नहीं जीता था। फिर मुस्लिम लीग को ताक़त किसने दी? 1937 के चुनाव के बाद, 1937
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@DrRakeshPathak7
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2 days
अपने पितृ संगठन RSS का नाम कैसे ले सकते हैं..! देश अच्छी तरह जानता है कि मोदी जी के वैचारिक पुरखों और उनके पितृ संगठन का स्वतंत्रता संग्राम में रत्ती भर योगदान नहीं था। आपने हीनता बोध को छुपाने के लिए नेहरू और कांग्रेस के नाम की माला जपते हैं।
@SupriyaShrinate
Supriya Shrinate
2 days
नरेंद्र मोदी किसी विषय पर बोलने के समय पंडित नेहरू और कांग्रेस का नाम कितनी बार लेते हैं 👇🏼 ⦁ ऑपरेशन सिंदूर- पंडित नेहरू का नाम 14 बार, कांग्रेस का नाम 50 बार ⦁ संविधान की 75वीं वर्षगांठ- पंडित नेहरू का नाम 10 बार, कांग्रेस का नाम 26 बार ⦁ 2022 में राष्ट्रपति अभिभाषण-
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@DrRakeshPathak7
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2 days
🕳️ तब इस कुनबे ने 'वंदे मातरम्' को चिमटे से भी नहीं छुआ था आज छाती कूट रहे हैं। ▪️ जब 'वंदे मातरम्' राष्ट्रगीत बना तब नेहरू की कैबिनेट में प्रो श्यामप्रसाद मुखर्जी शामिल थे। 🔸 वंदे मातरम् गाने या नारा लगाने पर अंग्रेज कोड़े बरसाते थे इसलिए डर के मारे संघ,हिंदू महासभा ने कभी
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@DrRakeshPathak7
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2 days
त्रिपाठी जी, आपके मातृ संगठन की पोल खुल जाएगी कि जब देश स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम् गा रहा था,नारे लगा रहा था तब आपके वैचारिक पुरखे झूठे मुंह भी वंदे मातरम् नहीं गाते थे। कि जब पूरा देश आज़ादी की लड़ाई में जुटा था तब आपके वैचारिक पुरखे अंग्रेजों के साथ खड़े थे। वैसे ये
@MediaHarshVT
हर्ष वर्धन त्रिपाठी 🇮🇳Harsh Vardhan Tripathi
2 days
संसद में वंदेमातरम पर चर्चा से Fraud Secularism की बुनियाद ध्वस्त होगी
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@DrRakeshPathak7
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2 days
जी भाई लेकिन यह भी सौ टंच सच है कि स्वतंत्रता संग्राम में जब पूरा देश वंदे मातरम् गा रहा था तब RSS और हिन्दू महासभा के लोगों ने झूठे मुंह भी नहीं गाया। गाते भी कैसे उनके मालिक अंग्रेज लोग बुरा मान जाते ना..! और आप तो जानते ही हैं कि संघीयों और महासभाईयों को अंग्रेजों के डंडे से
@semeerc
sameer chougaonkar
2 days
वंदे मातरम् हर कसौटी पर सौ टंच खरा उतरता है। वंदे मातरम् के पहले दो पद तो ऐसे है कि जिन्हें भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी राष्ट्र अपना राष्ट्रगीत घोषित कर सकता है।इस अर्थ में वंदे मातरम् विश्व गीत हैं। वंदे मातरम् में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे मुसलमान विरोधी या इस्लाम विरोधी कहा
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@DrRakeshPathak7
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2 days
जिस कुनबे ने स्वतंत्रता संग्राम में 'वंदे मातरम्' का 'व' भी नहीं उच्चारा वो आज इस पर छाती पीट रहा है। कृपया इन लोगों का ऐसा टेस्ट न कीजिए।
@ashutosh83B
ashutosh
2 days
कितने राष्ट्रवादी सांसदों और राष्ट्रवादी एंकरो�� को वंदे मातरम याद है ? एक टेस्ट तो बनता है ?
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@DrRakeshPathak7
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2 days
प्रिय संबित जी, आपको आपके व्हाट्सएप विष'विद्यालय में ये नहीं बताया गय��� कि... १) सरदार पटेल 1931 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और आजीवन कांग्रेसी रहे। 2) सरदार पटेल अपने जीवन की अंतिम सांस तक पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपना नेता मानते रहे। ३) नेताजी सुभाषचंद्र बोस और पंडित नेहरू
@sambitswaraj
Sambit Patra
2 days
बाबा साहेब को नेहरू ने बार-बार अपमानित किया! और आज उनके द्वारा निर्मित संविधान को हाथ में लेकर नेहरू का परपोता सत्ता की कुर्सी हथियाने की कोशिश कर रहा है।
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@DrRakeshPathak7
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2 days
सर, संबित पात्रा को उनके व्हाट्सएप विष विद्यालय में ये नहीं बताया गया कि... १) सरदार पटेल 1931 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और आजीवन कांग्रेसी रहे। 2) सरदार पटेल अपने जीवन की अंतिम सांस तक पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपना नेता मानते रहे। ३) नेताजी सुभाषचंद्र बोस और पंडित नेहरू अनन्य
@irfhabib
S lrfan Habib एस इरफान हबीब عرفان حبئب
2 days
It is the guilt of being away from the freedom struggle that compels you all to peddle lies about our freedom fighters. All those mentioned here had huge respect for each other, they had differences as they were thinking people. Don’t malign them on this count.
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@DrRakeshPathak7
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4 days
आप जिन सज्जन (?) से 'राजधर्म' निभाने की आशा कर रहे हैं उन्होंने राजधर्म कभी नहीं निभाया। जब वे सूबे के मुखिया थे तब देश के मुखिया ने उनसे राजधर्म निभाने को कहा था तब इन सज्जन ने उन्हें भी असभ्यता से जवाब दे दिया था। अस्तु इन को 'धर्म' के नाम पर धंधा करना आता है, उसके बल पर
@ashutosh83B
ashutosh
4 days
नेता विपक्ष को न बुलाना, राजधर्म को नहीं निभाना है ।
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
5 days
बढ़िया खोज ख़बर रूबी जी।
@arunruby08
Ruby Arun रूबी अरुण
6 days
अब आप "शिव सहगल" के बारे में जान लीजिए. ये शिव सहगल किसके पुत्र हो सकते हैं ये आप समझ चुके होंगे. #Shiv_Sehgal उत्तराखंड के देहरादून में रजिस्टर्ड ऑनलाइन/बेटिंग गेम के मालिक हैं. गेम का नाम है #IVAK_ENTERTAINMENT_GAMES_LLP शिव सहगल के अन्य पार्टनर्स में हैं आकाश खंडूजा और इवनिश
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
5 days
गांधी के दक्षिण अफ्रीका से विदा होने पर जनरल स्मट्स ने कहा था कि आज एक संत दक्षिण अफ्रीका के तट से विदा हो गया।
@RebornManish
Manish Singh
7 days
गांधी का वह विराट शत्रु, जिसे उन्होंने चप्पलों से मारा।। बात जनरल स्मट्स की है। जॉन स्मट्स उस दौर के एक दुर्लभ व्यक्तित्व थे। केम्ब्रिज टॉपर, बोअर कमांडो, पॉलिटिशियन, ब्रिटिश साम्राज्य के कैबिनेट मंत्री, दार्शनिक, वकील, वैज्ञानिक और राजनेता। वे 20वीं सदी के पहले भाग के सबसे
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@DrRakeshPathak7
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5 days
सही बात सर। सच्चाई यही है कि ख़ुद संघ परिवार कुछ दशक पहले तक सावरकर का नाम भी नहीं लेता था क्योंकि गांधी जी की हत्या के मामले में उन पर मुकदमा चला था। अदालत में पीछे की बैंच पर बैठे सावरकर की फोटो तब देश के मानस में ताजा थी। तब संघ चिमटे से भी सावरकर को नहीं छूता था। आज़ादी
@TheTribhuvan
Tribhuvan_Official
6 days
@NayakRagini बात थोड़ी पुरानी है। मैं उस समय पत्रकारिता में आया ही था। 1985 के आसपास। हमने एक ख़बर संघ और भाजपा के विद्यार्थियों, शिक्षकों और राजनेताओं के बीच कि सावरकर कौन हैं? उस समय हमें 95 प्रतिशत ने जवाब दिया था कि या तो गावस्कर के पिता हैं या फिर उनके कोई रिश्तेदार! ये तो लेफ़्ट के
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@DrRakeshPathak7
Dr.Rakesh Pathak डॉ. राकेश पाठक راکیش
5 days
अब ये किस बला का नाम है डॉक्टर..?🤔
@kiranpatel1977
Dr. Kiran J Patel
6 days
Pratik Doshi..!!
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