Dr. Rajsharan Shahi
2 years
भारत को अभिमान तुम्हारा, तुम भारत के अभिमानी,
पूज्य पुरोहित थे हम सबके, रहे सदैव समाधानी।
तुम्हें कुशल याचक कहते हैं, किंतु कौन तुम सा दानी,
अक्षय शिक्षा सत्र तुम्हारा, हे ब्राह्मण, ब्रह्म ज्ञानी।
स्वयं मदन मोहन की तुममें, तन्मयता है समा गई...(1/3)