रूठे सुजन मनाइए, जो रुठे सौ बार
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार
भावार्थ:
यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए, क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लिया जाता है
शुभ रात्रि 🙏
#GoodNightX