Chārans have significantly contributed to the historical narratives of Rajasthan and Gujarat, playing diverse roles. This serves as a concise overview, and I plan to delve deeper into these topics in future threads. Source citations will be provided in the concluding tweet.
सब कर रहे है तो...
Surajmal sandu surrounded by mlechhas in Chandni chowk. When 400 rajputs fought under the leadership of Raghunath Bhati to cover the great escape of Durgadas ji and Ajeet Singh ji.
निहसे खळा नवल रो, अग्गे दळा दुझाल।
हिच पड़ीयो रज रज हुवे, सांदु सुरजमाल।।
अफसरों में भी जातिवाद का एक उदाहरण:
रविंद्र सिंह ने कुछ साल पहले जयपुर में बड़ी रैली की थी जिसको देख के प्रशासन आश्चर्यचकित था। परंतु एक समाज के कुछ SHO ने मिलकर बिना बात कुछ युवाओं को पीटा और थाने ले गए। उस समय जयपुर में 3 चारण SHO थे(जालुपुरा, शास्त्री नगर, विधायकपुरी) और +
Ras की विज्ञप्ति आ गईं है। समाज के लोग जो एलिजिबल है और इसकी तैयारी कर रहे है वे अब युद्धस्तर पर शुरू करदे। पिछली बार 900 में से 30 थे इस बार 50+ की उम्मीद करते है। मैटेरियल और कोर्स के लिए एक दूसरे की मदद करे या मुझे मेसेज करे कोशिश करूंगा। सभी को शुभकामनाए। जय माता जी री 🙏
आप इसे अंधविश्वास कहे, संयोग कहे या जो भी कहे वो आपकी मर्जी। पर लोगो की आस्था और विश्वास इससे जुड़ा है। मेरी मम्मी जब ज्योत करके बाहर जाती है और अगर उन्हें चील के दर्शन हो जाए तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं। ऐसे ही गांव में बलि के समय या देवी से संबंधित के किसी भी आयोजन में चील
@jrathore_
Alwar maharaja k sath esa hi hua kisi bulle fakir ne shrap diya k apni dadhi se masjid saaf kar nhi to mar jaega. Baadme tabiyat kharab Hui or devi ke chamtkar etc ki story hai jo kabhi or bataunga. par sahi hone ke baad unhone 140 fakiro k kaan-naak kaat k alwar se nikal Diya.
टीकम जी कविया
ये मारवाड़ में शेरगढ़ के पास में जागीरदार तोळे जी राठौड़ के सेनापति थे। इन्होंने तोळे जी की एक शेर को मारकर जान बचाई थी जिनके लिए इन्हे बिराई गांव दिया गया।
इनका विवाह मालण माता से हुआ था जो आल्हा बारहठ की पौत्री थी जिन्होने मंडोर के राव चुंडा को शरण दी थी।
राजपूती के गुण सिर्फ राजपूत जन्म लेने से नही आते। क्योंकि राजपूती रखना कोई आसान काम नही है
रजपूती चढ़ती रति,सदा दुहेली जोय।
ज्यु ज्यु छड्जे सेलणा, त्यो त्यो उजळ होय।
अर्थ- रजपूती को रखना बहोत दुष्कर कार्य है जैसे जैसे तलवारों से छिदेगी, वैसे वैसे रजपूती उज्ज्वल होती है।
A medieval charan's life consisted of the following:
>Worshipping the Mother Goddess (Shakti)
>Composing poetry in honor of fallen heroes and to laud the gods
>Engaging in battle when necessary
>Consuming opium and reciting Dingal geets with their peers for amusement
लमाओ डेड
भाई 50 गुर्जर युधाओ का नाम बताना? इतने तो में चारणो के ही बतादू जबकि जनसंख्या केवल राजस्थान की 0.2% है।
1921 के सम्मेलन में खुद कोटा महाराव और डूंगर सिंह भाटी ने हमें क्षत्रीय कहा, अमरकोट के राणा ने क्षत्रीय कहा फिर भी हमने क्लेम नही किया ये टैग तुम केसे ले रहे हो?
Aurangzeb's armies arrived in 1680 to destroy the Jagdish temple Udaipur.
To defend it, 21 Rajputs made the decision to battle.
They were seated inside the temple when the enemy arrived with an army. One of them came out to defend the temple, engaged the enemy, killed/2
चोटिला के दरबार का सर जूनागढ़ नवाब के सैन्य सरदार ने काट दिया था। इसका बदला लेने के लिए उनके मित्र चारण वाशिआंग राबा ने भरे बाजार में उसका सर काटकर चोटिला की रानी के चरणों में रख दिया था।
ये विहल राबा के पुत्र थे, जो अपनी शपथ के लिए अपने 10 भाईयो के साथ जूनागढ़ की सेना से लड़े
चारण विहलदेव राबा और उनके 10 भाईयो के वीरगति स्मारक।
विहल राबाआंबरड़ी समेत 7 गावों के जागीरदार थे। उनका एक प्रण था की वे देवी और अपनी तलवार के अलावा किसी के भी सामने सर नही झुकाएंगे।
इसकी शिकायत किसी चारण ने तत्कालीन अहमदाबाद के सुल्तान को करदी।
आसाडी बाड़मेर प्रकरण
सर्व समाज का महापड़ाव
1- बिना वजह निलंबित अधिकारियो को बहाल करे
2- निर्दोष लोगो के खिलाफ कार्रवाई न क���ने बाबत
दिनांक- 17 अप्रैल 2023
समय - 11 बजे
स्थान - महावीर पार्क के पीछे जिला कलेक्टर बाड़मेर
अखावत बारहठों का ठिकाना मुंडियार का जरजर किला।
यह चारणो का सबसे बड़ा ठीकाना है जिसे कही पे 32 गांव तो कही 48 गांव का लिखा हुआ है।
एक बार यहां के ठाकुर करनी दान जी बारहठ उदयपुर गए तब महाराणा उनका सम्मान करने के लिए 300 कदम चलकर आगे आए थे।
रविंद्र के समर्थकों से ये भी अनुरोध है की किसी भी समाज के विरुद्ध टीका टिप्पणी से बचे।
जाट समाज धुर विरोधी है फिर भी मुझे विश्वास है उसमे से भी 5 से 10% वोट रविंद्र के लिए आया होगा। लल्लनटॉप के चुनाव यात्रा में भी ऐसे लोग दिखे थे।
अच्छे बुरे लोग हर जगह है।
जयति मात चावंड, चंड अरी मुंड सहारनी।
जयति मात चावंद, खड़क खप्पर कर धारणी।
रक्तबीज महिशासदी, मार भार भूव उतारियो।
तीन लोक नर अमर, नाग कर कष्ठ निवारियो।
सुमरिया मात आदी सगत,सेवक कारज सारणी।
कर जोड़ प्रथम वंदन करू नमो नमो नारायणी।
पाबूजी के साथ युद्ध में काम आए वीरों की संख्या:
पड़े सितर राठोड़, पड़े जुध भाटी बारा।
पड़े असी गहलोत, पड़े पंवार इग्यारा।
पड़े तीस धानंख, पड़े मंझ एक दमामी।
पनरा चारण पड़े, मोहेर पड़ीयो एक सामी।
काळी स्वर्ग ओपम करी, खायो हुय जिन्दो खड़े।
पारघी सात वीसा सहित, इसी भात पाबू लड़े।
दाढी डाढानैह, चांदै चेराई नहीं ।
बाढी बाढाळेह, दूजड़ा मूंढे देदवत ।।
अर्थ: अभी तक तो चांदे तेरे पूरी दाढ़ी आई भी नही, उससे पहले ही तूने दूसरो की दाढ़ी उजाड़ दी(गर्दन काट दी) ।
15-16 की आयू में चांदा बारहठ अपने चाचा जी के साथ मुकलावे के लिए सिनला गांव जा रहे थे, रास्ते में +
क्रांतिकारी ठाकुर केसरी सिंह जी बारहठ और उनके अनुज किशोर सिंह जी की दुर्लभ तस्वीर। किशोर सिंह जी ने पटियाला रियासत के "state historian" के पद पर कार्यरत थे और इन्होंने करनी चरित नाम से प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी थीं।
जिन चारणो के कभी अकाउंट नही देखे वो भी आज ट्विटर पर रवीन्द्र सिंह के सपोर्ट में बड़े बड़े लेख लिख रहे है। रविंद्र ने लोगो के साथ इमोशनल बॉन्ड बनाया हैं।
#शिव_मांगे_रविंद्र
महेश नगर आदि 3-4 थानों में राजपूत SHO थे। जब उन्हें इसका पता चला तो कुछ बड़े अधिकारियों के पास गए उनमें भी उसी समाज के अधिकारी थे। आखिर में SP आदि अधिकारियों के कहने पर उन्हें शाम को छोड़ा गया।
ये कहानी यह भी बताती है की सिस्टम में आपका प्रतिनिधित्व क्यू जरूरी है।
पृथ्वीराज राठौड़ (बिकानेर) द्वारा राठौड़ चांदा मेड़तिया(बलुंदा) और चारण माधोदास दधवाड़िया की वीरता पर लिखा डिंगल गीत। इन्होने निंबोल के ब्राह्मणों को मुग़ल अमीन अबु मेहमूद से बचाने के लिए युद्ध लड़ा था।
माधोदास दधवाड़िया ने राम रासो ग्रंथ की रचना भी की थी।
महाराणा प्रताप के सहयोगी चारणो की जागीरे
हिलोड़ी: रामा जी सांदू अपने भाई कान्ह के साथ हल्दीघाटी युद्ध में थे एवं स्वयं बादमें दीवेर के युद्ध में काम आए।
सोनयाणा: यहा से जैसा और केशव सौदा मेवाड़ की सेना में अधिकारी थे और हल्दीघाटी के युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए।
When sodha rajputs were planning to capture Amarkot two charans Budhiman and Junfa (Detha) were sent to prepare ground for the invasion.
Later Junfa detha was given the jagir of Kharora(खारोड़ा) and the title of Rana(राणा).
चारण गोपालसिंहजी धानडा का वीरगती स्मारक। गोपालसिंह जी बांसवाडा स्थित राठडीया नामक गांव के जागीरदार के भतीजे थे। राठडीया ठाकुर जवानसिंह जी की अनुपस्थिति मे डुंगरपुर कि माँडव मीणा पाल सेना ने राठडीया पर हमला कर दिया। तब ठाकुर के भतीजे गोपालसिंहजी वीरता से लड़े +
करनी तूं केदार, करनी तूं बदरी कमल,
है देवी हरिद्वार, मथुरा तूं मेहासधू।
माता तूं मम्माय, पिता तुहीं परमेसरी,
सखा तुहीं सुरराय, बंधव तूं ही बीसहथ।
करनी तूं करतार, ओर न कोई आसरो,
सरणाई साधार, मोटो बळ मेहासधू ।
✍️ रामनाथ जी कविया।
जब भी युद्ध हुआ है चारण ने तलवार और ढाल उठाकर अपने हिस्से का बलिदान दिया है। यह दया की बात है की राजपूत इतिहास उन कवियों की सूची नही देता जी योद्धा के रूम में सुव्यक्त हुए।
✍️ देवेंद्र सत्यार्थी
Pic 2- हुकुम सिंह भाटी
Pic 3- हीरालाल महेश्वरी
चारण दयाराम आशिया
1745 में महाराणा जगत सिंह(।।) ने घाणेराव के ठाकुर पद्म सिंह राठौड़ को उनके उदयपुर स्थित निवास स्थान को घेरकर हमला कर दिया था, उस समय वहा पद्म सिंह के मित्र दयाराम आशिया मौजूद थे और बड़ी वीरता के साथ वहा लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए। उन्पे समकालीन कवियों ++
महेशदास कुंपावत (आसोप) की वीरता पर लिखे कुछ दोहे। ये दोहे मराठों और मारवाड़ के बीच हुए मेड़ता के युद्ध में दिखाई वीरता पर लिखे गए थे। एक रोचक बात ये है की किसीने महाराज के कान भर दिए की महेशदास ने युद्ध में वीरता नही दिखाई और भागते समय काम आए, तो उन्होंने आसोप की जागीर महेसदास जी
ननिहाल
मेरे नाना जी के पूर्वज खेजड़ला की सेना की तरफ से अहमदाबाद के युद्ध में काम आए थे।
इनकी वीरता से प्रसन्न होकर तत्कालीन ठाकुर ने अपने पूर्वजों की छतरियों के पास इनकी देवली की स्थापना की और इनके वंशजों को १००० बीघा की जागीरी दी।
चारण विहलदेव राबा और उनके 10 भाईयो के वीरगति स्मारक।
विहल राबाआंबरड़ी समेत 7 गावों के जागीरदार थे। उनका एक प्रण था की वे देवी और अपनी तलवार के अलावा किसी के भी सामने सर नही झुकाएंगे।
इसकी शिकायत किसी चारण ने तत्कालीन अहमदाबाद के सुल्तान को करदी।
राव जेतसी एवं कामरान के बिच हुए रातीघाटी के युद्ध के बाद जब कामरान अपनी बची हुई सेना के साथ भाग रहा था तब छोटड़िया गांव के पास चारण जीवराज दान सूंघा ने अपने पुत्र और कुछ साथिया के साथ उसपर हमला किया। इस झड़प के दौरान कामरान का छत्र वही गिर गया एवं उनके पुत्र भारतदान सूंघा काम आए।
महाराजा मान सिंह जी के सहयोगी नरू कविया एवं हापा बारहठ।
नरू जी के पास 52k बीघा की भेराणा की जागीर थी एवं सिद्ध अलुनाथ जी के पुत्र थे। उड़ीसा में अफगानों से लड़ते हुए काम आए। पृथ्वीराज जी राठौड़ ने भी इनपे गीत लिखे। इनके 55 वंशज 8 पीढ़ियों में कछवाहो के तरफ से काम आए।
किण क़ुळ सूरा किण सती, ए दो गुणा जगत्त।
तिगुण गुणा क़ुळ चारणा, सूरा सती सगत्त।
अर्थ: वीर और सती के गुण तो हर कुल में मिल जाते है। चारणो के कुल में तीन गुण है यह वीर भी है, सती भी एवं शक्तियां (देवी) भी।
सोनगरा चौहानों के साथ जालौर के साके में काम आने वाले चारण सहजपाल गाडण।
जब जालौर की सेना ने शम्स खा पर आक्रमण किया उस समय भी इन्होंने एक टुकड़ी का नेतृत्व किया था।
ये अपने दो भाई, भतीजों और सेवको के साथ काम आए थे जिसकी साख में एक छप्पय भी मिलता है।
अर्थ- जरासंध और बेहलोल खान के वध में एक ही फर्क है, जरासंध का वध भीम ने दो हाथो से किया, जबकि बहलोल का वध प्रताप ने एक हाथ से ही कर दीया।
पुस्तक- प्रताप चरित्र
लेखक- ठा. केसरी सिंह बारहठ (सोनियाणा)
पांडुलिपियों का हाल देखिए। किसी भी साहित्य और इतिहास प्रेमी के लिए इससे दुख दाई कुछ नही हो सकता । जो 2,4 कविता बची वे इतनी शानदार थी की मन करता है काश इन्हे और पढ़ पाते।
धणणण शेष कोल कच्छ धणकत,
धनुष हाथ रघुनाथ धर्यो।
अर्थ: चाहे धरती वराह के दांतो मे हो, चाहे कच्छप अवतार के पीठ पर हो, चाहे शेषनाग के सर पर हो। रघुनाथ जब धनुष धारण करते है तब वह थर थराने लगती है।
गीत सुजाणसिंघ सेखावत अर राजसिंघ राठौड़ रो भेळो।
आया दळ असुर देवरा ऊपर, कूरम कमधज ऐम कहै ।
ढहिया सीस देवळ ढहसी, ढहिया देवळ सीस ढहे।
(जब दुश्मन की सेना मंदिर पर चढ़ आती है तब वह कुरम(कच्छवाहा) और कमधज(राठौड़) की शीश रहने तक मंदिरों को बचाएंगे और शीश गिरने के बाद ही मंदिर गिरेंगे)
आशिया चारणो का ठिकाना पसूंद।
यह ठिकाना महाराणा उदय सिंह जी ने करमसी आशिया को दिया था।
करमसी आशिया बनवीर के विरुद्ध माहोली के युद्ध में वीरगती को प्राप्त हुए थे।
इनकी वीरता पर डिंगल में वीर गीत उपलब्ध हैं ।
हजनाली (मोरबी) में खेताजी रोहड़िया का पालिया(वीरगती स्मारक)।
विपर्दा के जड़ेजा राजपूतों की तरफ से मूलू जड़ेजा के खिलाफ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
इनकी बहन ने इनके पीछे जमर किया और इनकी पत्नी खिड़ियानी जी सती हुई।
तलाजा(तालध्वज नगर) के ऐभलजी वाला (मैंत्रक)राजपूत ने ऐक चारण के रोग नाश हेतु अपने बेटे अणाजी वाला का खुद शिर काट के उस के रक्त से चारण को नहला था, ओर रोग से मुक्त करवा।🙏
में इसलिए कहता हु की चारण इतिहास की सामग्री जुटाने के लिए आपको राजपूत ठिकानों से संपर्क करने की आवश्यकता है। इसीलिए K.R.Qanungo ने "आत्मा और शरीर के रिश्ते" की उपाधि दी थी। मुझे माधवदास जी दधवाड़ीया से संबंधित चित्र और जानकारी बलूंदा के चांदावत ठाकुर ने ही दी थी बाकि कही नी मिली।
Rajput bros make a good yt channel for the history of RJ and GJ at least. There are amazing channels for European, japanese, islamic and a decent page even on maratha history. But there is no interactive page for rajput history. Gandaberunda is doing a nice job for Indian history
Fact- The folk song "Umrao thari boli pyari Lage" was written in praise of Th.Umrao Singh ki Barhath, Baniyawas.
Known for his charity and hospitality.
When he used to enter the bus for traveling anyone from the castes used to stand or leave their seat in his respect.
" साठ कम पांच नरपाल रा पोतरा, आठ पीढ़ी तक काम आया।"
यह डिंगल गीत की प्रसिद्ध पंक्ति है जो जयपुर के सेना के प्रमुखों में से एक नरू जी/नरपाल जी कविया पर कही गई है, इसका अर्थ है की नरपाल जी के अलावा उनकी अगली 8 पीढ़ियों में 55 वीर जयपुर की अलग अलग लड़ाइयों में काम आए। #चारण
#charan
घर-घर मंगळा हरख भया,
माता कौशल्या करे आरती,
तुलसीदास जस गाय रया
पुरी अयोध्या राजा दशरथ घर
रामचंदर अवतार लियो
रचना - स्व. इन्द्र सिंह जी कोटड़ीया
स्वर - स्व. दपू खां जी भाडली
ईश्वरिदान जी सांदु ने "पचरंग प्रकाश" ग्रंथ में इस अभियान का वर्णन किया है। ग्रंथ की मूल प्रति झोटवाड़ा(जयपुर) में रह रहे इनके वंशजों के पास है जो अभी तक प्रकाशित नही हुई। में उसे शोध संस्थान में देना चाहता था और वे तैयार भी थे पर कॉन्टैक्ट डिलीट हो गए। इनके पास ठाकुर की पदवी थी।
पचरंगा कच्छवाहा ध्वज
इस ध्वज में अंकित 5 पट्टियां 5 अफगान जनजातियों का प्रतीक हैं जिन्हें राजा मान सिंह ने 1585 में हराया था जिसके बाद 'पचरंगा' को आमेर के आधिकारिक ध्वज के रूप में मान्यता मिली।
कछवाहों का मूल ध्वज झाड़शाही था, जिस पर सफेद पृष्ठभूमि पर कचनार पेड़ अंकित था।
दधवाड़िया चारणो का ठिकाना - खेमपुर (उदयपुर) बाठेड़ा ठिकाने के पोलपात खीमजी दधवाड़िया ने जगत सिंह जी की जान बचाई तब उन्हे ये जागीर दी गईं। महाराणा राज सिंह जी इन्हे काका कहते थे।
मालपुरा को लूटने के लिए भेजी सेना में खिमजी भी थे और लूट का धन उन्होंने मोतीसरो में बाट दिया।
'Raja' Lakkha Barhath
> only charan with the title of 'Raja'
> Donated 52k beegha of land to Brahmins(ujjain)
> Fought in Mughal campaigns against Malik ambar and in the north
> Akbar gave him the title of "King among charans"(वरण पातशाह)and jagir of 3lc rs
Sources 👇
दिल्ली में हुए युद्ध में रघुनाथ सिंघ जी भाटी का उल्लेख करता त्रोटक छंद, अर्थ के साथ।
पुस्तक: राज रूपक
त्रोटक छंद पढ़ने में सबसे सरल छंदों में से एक हैं । कोई पठन करते हुए ऑडियो भेजना चाहे तो स्वागत है।
असली राजपूती के गुण क्या है,
धरा शीश सौ धरे,मरे टेक न मुके।
भागे सो नही लड़े शूरपद कदी न चुके।
निराधार को देख दिए आधार आपबल
अड़ग वचन उचार, स्नेह में करे नही छल
परस्त्रियां संग भेंट नही, धर्म ध्यान अवधूत को
कवि समझ भेद पिंगल कहे यही धर्म रजपूत को
उज्ज्वल(सिंढायच) चारणो का ठिकाना ऊजळा।
" रिंधाणी ऊजळा तणा राजा " इनकी विरद है इस गांव और शाखा में कई कवि,वीर और धनवान हुए।
आज़ादी के बाद यह गांव अफसरों का गांव कहलाने लगा। जिन्होने भारत सरकार के विभिन्न विभागों में अपनी सेवाए दी।
इस गांव जितने IAS आदि अफसर शायद ही किसीने दिए