
Dilip Gupta
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Joined June 2021
"संजीवनी मंत्र राधा और कृष्ण का 'मंत्र' (पवित्र शब्द) है (राधा सर्वोच्च की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है, और कृष्ण सर्वोच्च का प्रतिनिधित्व करते हैं)। राधा तत्व सांसारिक सुख देगा और कृष्ण तत्व 'मोक्ष' (मोक्ष) देगा। ।" -सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग
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نا ہم کہیں گے حالِ دل نا تم سنو گے اِس دفعہ اب پھر سے تم نے گر کہا جو الوداع ___تو الوداع https://t.co/LIl2c08teA
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موت ہو جائے تعلق کی تو مٹی ڈالو گھر میں زیادہ دیر تک جنازہ نہیں رکھتے ۔۔۔۔ https://t.co/yEp6TPGTFC
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محبت کبھی کبھی صرف ایک لمحہ ہوتی ہے، مگر کچھ لوگ پوری زندگی بن جاتے ہیں۔ 💔✨ @Anuyadav007
@bibi12658
@alt_you012
@MbilalArma88678
@zidilarki2231
@Naeem_h_q_2
@huy_765876
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...........✍ ख़ुद में रह कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है.. ख़ुद का परिचय* ख़ुद से कराओ तो अच्छा है..!! इस दुनिया की भीड़ में चलने से तो बेहतर.. ख़ुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है..!! अपने घर के रोशन* दीपक देख लिए अब.. ख़ुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है..!! तेरी-मेरी इसकी-उसकी*
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कर्मों का फल अवश्य भोगना ही होगा* ➖➖➖➖‼️ ➖➖➖➖ 👉 *बाह्य जीवन की परिस्थितियों, बीमारियों, विषमताओं का स्वरूप ही प्रकृति की एक सुधारात्मक प्रक्रिया है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में इस तरह की सुधारात्मक, दोष निवारक परिस्थितियाँ, वातावरण, परिणाम समयानुसार अवश्य ही मिलते हैं।*
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➖➖➖➖‼️➖➖➖➖ *❗ धन्यो गृहस्थ आश्रम ❗* ➖➖➖➖‼️ ➖➖➖➖ 👉 *यह सोचना ठीक नहीं कि "गृहस्थाश्रम" में बँधने से आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो सकती।* आत्मा को ऊँचा उठाकर परमात्मा तक ले जाना, यह पुनीत आत्मिक साधना अंतःकरण की भीतरी स्थिति से संबंध रखती है। बाह्य जीवन से इसका
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मेरे शिष्य, सभी जातियों के, वर्णों के, तो एक hinduism का उ���्थान है, ईश्वरवादियों का उत्थान है। मैं जिस योग की बात कर रहा हूं, यह शुद्ध रुप से भारतीय दर्शन है। कल्कि अव... https://t.co/VPx1B0l7yY via @YouTube
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#INDvsSA "With an enthusiastic team, you can achieve almost anything.” "Continuous effort, not just strength, is the key to unlocking our team's potential". "Dream big and bowl harder."
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तीन लोक नौ खंड में, गुरु ते बड़ा न कोय। करता करे न करि सके गुरु करे। सो होय। जय गुरु देव जय दादा गुरदेव 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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*"जीवन में अनेक बार मानसिक विचारों के तूफान आते रहते हैं। मन में विचारों की उथल पुथल होती रहती है।" "कभी-कभी भौतिक परिस्थितियां भी बदल जाती हैं। व्यक्ति जैसा सोचता है, हर बार वैसा उसके जीवन में हो नहीं पाता।"* *"जब उसके मन में इस प्रकार से विचारों का तूफान आता है, तो
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"प्रत्येक व्यक्ति सुख चाहता है। दुख भोगना कोई भी नहीं चाहता।" इस संसार में हम देखते हैं, कि "कोई व्यक्ति कम सुखी है, कोई अधिक सुखी है। कोई कम दुखी है, कोई अधिक दुखी है। जबकि सबके लिए संसार एक ही है। सूर्य पृथ्वी चंद्रमा अन्न औषधि वनस्पति भोजन वस्त्र मकान यान आदि सब कुछ
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मनुष्य इस पृथ्वी पर इकलौता प्राणी है जिसमें अन्य प्राणियों की अपेक्षा सोंचने - समझने के लिए विवेकरूपी एक अतिरिक्त गुण ईश्वर ने प्रदान किया है। अपने विवेक से ही मनुष्य निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर होता रहा है। मनुष्य को कब क्या करना चाहिये इसका निर्णय विवेक ही करता है। अपने विवेक
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👉 *संपत्ति के लिए रोने और चिंतित होने वाले व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि अधिक संपत्ति उपार्जन के लिए मनुष्य को उचित एवं अनुचित साधनों का प्रयोग करना पड़ता है, जिससे उसकी "बुद्धि कलुषित" और "आत्मा पतित" होती है, साथ ही धन-संपत्ति पा जाने पर उसकी रक्षा और बढ़ाने की इच्छा चिंता बनकर
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👉 *मनुष्य के अनेक मानसिक दोषों का मूल जिम्मेदार उसका "अहंकार" होता है । नीतिकारों ने "अभिमान" को समस्त पापों का मूल बताया है ।* अभिमान की छत्रछाया में ��ी अनेक मानसिक दोष पनपते हैं, बढ़ते हैं और फैलकर मनुष्य के आंतरिक जीवन को अस्त-व्यस्त, असंतुलित कर देते हैं और इसी की छाया
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👉 *संसार की प्रत्येक घटना, क्रिया-कलापों का संचालन एक नियम, विधान के अनुसार ही होता है, जिसे प्राकृतिक, ईश्वरीय विधान कुछ भी कहें। इस विधान की प्रेरणा से सृष्टि का जर्रा-जर्रा गतिशील है, इस विधान के अनुकूल चलने पर ही सुख, सुविधा, सहयोग, प्रगति, विकास निश्चित है ।* इतना ही नहीं
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🌟 *ईश्वर और कर्म* 🌟 ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ आज भी बहुत लोग प्रार्थना करते समय केवल अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहते हैं। कोई जल्दी पैसा कमाने के लिए, कोई पढ़ाई या नौकरी में सफलता पाने के लिए, कोई किसी खेल या व्यवसाय में जीत के लिए ईश्वर से मदद मांगता है। ऐसे लोग भूल जाते हैं कि ईश्वर
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हमारी पुरानी भारतीय परंपरा में संयुक्त परिवार होते थे। घर में चार बेटे, चार बहुएं, 8/10 बच्चे, माता पिता, दादा दादी आदि सब लोग साथ में रहते थे। "तब परिवार में संगठन प्रेम अनुशासन बड़ों का आदर सम्मान आदि होता था। एक दूसरे के लिए त्याग और सेवा की भावना बनी रहती थी, और सब मिल कर
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#Thecomforterorg "स्वामी विवेकानंद जी" ने सिखाया कि सभी मनुष्यो मे इश्वर का अंश है ओर हमे इस दिव्यता को पहचानने ओर जीवन मे प्रकट करना चाहिए। उनका मानना था कि कोई भी व्यक्ति या समाज तभी महान बन सकता है जब वह मानव जाति के कल्याण के लिए काम करे। उन्होंने जोर
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Jai shree gurudev🙏
प्राचीन हिंदू ऋषियों ने कहा है कि पूरा ब्रह्मांड लघु रूप से मस्तिष्क में विराजमान है।जगत की सारी जटिलता लघु रूप से मस्तिष्क में है यदि इन सारे तंतुओं का संबंध तुम्हें समझ आ जाए तो पूरे जगत की जटिलता समझ में आ जाए। न तो तुम्हें किन्हीं तंतुओं का पता है नकिसी आपसी संबंधों का
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#Yoga4DiseasesFreeLife The Mantra received from the Guru activates the dormant energies that ultimately connects us to the Divine within us in Gurudev Siyag's Siddhayoga. Since this has already been activated by the Guru, it contains the vibration of Enlightenment
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