
Baliram yadav
@BaliramYadavR20
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यह वही भीड़ है जो वोट डालती है, पर सवाल नहीं पूछती। जिससे कहा जाता है “धर्म बचाओ”, और जिसे बदले में रोजगार, शिक्षा, और टिकट तक नहीं मिलता। ट्रेनों की छत पर बैठा वह व्यक्ति सिर्फ अपने गाँव नहीं जा रहा — वो इस देश की असली तस्वीर लेकर जा रहा है, जहाँ हिंदू नाम पर सत्ता बनती है, पर
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दीपावली आने से पहले ही ट्रेनों में जनता की भीड़ नहीं, व्यवस्था की विफलता का मेला लग जाता है। जिस देश में “अमृतकाल” का नारा गूंज रहा हो, वहां लोग टिकट के लिए रात भर स्टेशन पर लाइन में खड़े हों, सीट के लिए लड़ें, और ट्रेन की छत पर सफर करें — यह सिर्फ यात्रा नहीं, सरकार के दिखावे का
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कुम्हार/प्रजापति विरोधी भाजपा जिला बागपत, तहसील खेकड़ा, गांव बस्सी में गरीब प्रजापति परिवारों के 60 घरों पर बुलडोजर चलवाकर आशियाने तोड़ दिये थे. गांव के BJP नेता संजीव प्रधान की दबंगई से सभी गरीब कुम्हार परिवार पलायन करने को मजबूर हो गये थे.
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फर्रुखाबाद मे 12 आयुष चिकित्साकों की भर्ती हुई है जिसमें 6 पद भाजपा नेताओं के बेटे बेटी खा गए है। बाकी जनता सिर्फ झंडा उठाने नारे लगाने और हिंदूराष्ट्र बनाने के लिए पैदा हुई है। खैर इनको पता है कि जब योगी 186 सचिवालय भर्ती में सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आये तो यहां भी बचा लेंगे।
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नेताजी ने गठबंधन के विषय में कहा था जब किसी से गठबंधन करो तो वो ज़्यादा सीट मांगने लगता है, सीट मिल जाने पर उसके पास प्रत्याशी नही होते तो बाहरी को पकड़ लाते, आपका कार्यकर्ता 5 साल मेहनत करने के बाद निराश होता है,आगे मेहनत करने से पहले वो सोचता है कि मेहनत करने का फल क्या मिलेगा!
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जब प्रभुत्ववादी वर्ग यह कहता है कि “अगर दलित ब्राह्मणों की बराबरी कर गए हैं तो अब आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट की जरूरत नहीं”, तो असल में यह बयान उनके भीतर छिपे भय और असमानता के अहंकार को उजागर करता है। क्योंकि सवाल यह नहीं है कि दलित बराबरी पर आ गए हैं — सवाल यह है कि क्या
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जो कहते हैं कि यादवों का "इस्तेमाल" हुआ उनसे पूछिए- सामंतवादियों ने जिसे सदियों तक चुप रहने को मजबूर किया, लालू मुलायम ने उन्हें आवाज दी और हक दिलाया। सत्ता में हिस्सेदारी मांगना गुनाह नहीं, बल्कि हक की लड़ाई है। और हां- इस लड़ाई को कमजोर नहीं होने देंगे।
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आज जब राजनीति में विचारधारा से ज़्यादा सत्ता की भूख हावी हो गई है, ऐसे समय में समाजवादी पार्टी अब भी उस सोच का प्रतीक है जो “सत्ता नहीं, समाज का संतुलन” चाहती है। समाजवाद किसी व्यक्ति का नाम नहीं, यह उस संघर्ष की आवाज़ है जो खेतों में पसीना बहाने वाले किसान, रिक्शा खींचने वाले
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OBC का आरक्षण बढ़ाते समय 50% आरक्षण की सीमा का हवाला दिया जाता हैं, लेकिन EWS आरक्षण में 50% सीमा बाधा ना बने इसलिए संविधान में 103वा संशोधन किया जाता है! @priyanka2bharti
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बीस साल सत्ता में रहने के बाद बिहार में कुछ नहीं किया, अब 10 साल में औद्योगिक राज्य और AI हब बनाने की बात। जनता पूछ रही है: पिछले 20 साल कहाँ थे? बिहार चला बदलाव की ओर,
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कुछ बिकाऊ मीडिया चैनल अखिलेश यादव जी की बात को तोड़ मरोड़कर पेश कर रहे हैं! यह पहले भी हुआ है, आज भी हो रहा है और आगे भी होगा! हमारी जिम्मेदारी है कि हम सच दुनिया तक पहुंचाएं! सभी साथी इस वीडियो को हर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अवश्य पोस्ट करें 🙏
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तेजस्वी जी ने हमेशा कलम बाँटा, भाजपा वालो के लिए तलवार प्रिय है! तेजस्वी जी ने BPSC से टीचर्स की बहाली की, NDA वाले कहते हैं गुरुकुल में पढ़ो! इनके बच्चे तो विदेश में हैं! चाहे संजय झा हों शिवराज सिंह हो जयशंकर हों या मेरे बगल में बैठे भाजपा के प्रवक्ता अजय आलोक! सबके बच्चे
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कांग्रेस हमेशा से गठबंधन में सहयोगी की भूमिका निभाने की बजाय खुद को आला कमान मानती रही है। यही रवैया उसका सबसे बड़ा संकट बन गया है। जब भी वह किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन करती है, उसका ध्यान साझेदारी से अधिक अपने प्रभुत्व पर रहता है। परिणामस्वरूप या तो गठबंधन बन ही नहीं पाता,
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#रविवार का भंडारा चालू हो गया है 🤗🤗 #पोस्ट को रिपोस्ट करो और #रिपोस्ट लिस्ट खोल कर एक दूसरे को #फॉलो करें। 100 200 #फॉलोअर्स बढ़ेंगे खटाखट 🤗
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“विकास का पता बदल गया है” कभी कहा गया था—“अच्छे दिन आने वाले हैं।” जनता ने भी मान लिया कि अब कुछ बदलेगा। पर आज लगता है, अच्छे दिन आए तो हैं, मगर किसी और के लिए। महंगाई आसमान छू रही है, बेरोज़गारी धरती नहीं छोड़ रही, और जनता अब भी भाषणों में “विकास” ढूँढ रही है। मोदी जी की सरकार
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लोग हालात के आगे झुकते हैं, और कुछ लोग हालात को झुका देते हैं—बस फर्क इरादे का है।
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मुझे बुढ़िया को समझा रहे हो बेटा- गिरते हुए पुल, धसती हुई सड़कें, मार खाते दलित, और पिछड़ों दलितों काआरक्षण चोरी करने वाले तुम्हारे दोस्त को वोट दे दूं, सच्ची बिहारन हूं वोट तो तेजस्वी को ही दूंगी। क्योंकि वही अब बिहार में बदलाव लाएगा और बिहार को नंबर वन प्रदेश बनाएगा।
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राजनीति के मैदान में जब विपक्ष चुप होता है, तब समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी अपने तर्कों और शब्दों से ऐसा वार करते हैं जो सीधे सत्ता के अहंकार को भेद देता है। उनकी आवाज़ केवल पार्टी की नहीं — बल्कि जनता के सवालों की आवाज़ है। राजकुमार भाटी सिर्फ बोलते नहीं, तथ्य रखते
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20 साल का सपना अब हकीकत बनने जा रहा है! मैं एक residential school बना रहा हूँ जहाँ उन बच्चों को modern education मिलेगी जो गरीबी की वजह से इससे दूर हैं, 50% seats गरीब बच्चों के लिए रिज़र्व और 50% paid category; हर सुविधा एक international standard school जैसी होगी।
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