
Rakesh Khemani
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प्रेम ही परमात्मा है, तुम जिससे प्रेम करते हो, अगर उसमे परमात्मा न दिखे तो वासना है।
Joined January 2017
पूरी सृष्टि प्रेम पर ही आधारित है,प्रेम जब समष्टिगत,समूहगत हो जाए,तो उसे उत्सव कहते हैं।संतो ने लीला,रास,क्रीड़ा कहा है। समस्त प्रकृति उत्सव मे है।संत,बुद्ध पुरुष भी बच्चो जैसे हो जाते हैं।वह भी क्रीडा,रास,उत्सव मे बड़ा रस लेते हैं,संकेत देते हैं कि जीवन उत्सव है। ~समर्थगुरू
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ध्यान कोई कार्य नहीं है जो , करना पड़े , न ही इसकी कोई स्पेशल शेल्ली है , जो करने में कठिन लगे | यह तो बस एक लय है , जिस के साथ-साथ बहना है , चलना भी नहीं ..... सिर्फ बहना.. #ओशो
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जन्म से लेकर मृत्यु तक अगर कोई एक चीज तुम्हारे भीतर सदा चलती रहती है, तो प्रेम है। सांस की तरह सदा प्रेम आत्मा को संभाले रखता है। #ओशो
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आनंद का अर्थ है.....दुख सदा को गया। और जब दुख ही चला गया सदा को, तो सुख भी चला गया सदा को। सुख दुख का जोड़ा है। वे साथ-साथ हैं। आनंद तो एक परम शांति की दशा है , जहां न दुख सताता, न सुख सताता। जहां कोई सताता ही नहीं। जहां कोई उत्तेजना नहीं होती। सुख की भी उत्तेजना है।" #ओशो
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प्रेम तभी घटता है जब समर्पण घटे, प्रेम और समर्पण एक दूसरे के पूरक है। प्रेम के बिना कैसा समर्पण! और समर्पण न हो तो कैसा प्रेम !! #ओशो
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"जो कुछ भी हम करते हैं,याद रखना,अगर हम यह सोच के करें की गोविंद ने यह भूमिका हमें सोंपी है,यह गोविंद की दी हुई भूमिका हम निभा रहें हैं, देखोगे की जीवन से सारे तनाव विदा हो जाते हैं। जीवन में एक ऐसी धन्यता उतरती है जिसके कारण तुम शांत,आनंदित होकर अपना कर्म कर पाते हो।" ~समर्थगुरू
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एक दिन चाँद से की थी गुजारिश हमने मेरी "ओशो" से करा दो मुलाकात कभी..... चाँद भी मुस्करा कर टाल गया कहा मत कर शर्मिंदा अभी..... तेरे "ओशो" को देखकर फिर न कभी चमक पाउँगा..... रौशनी तेरे "मौला" की है कुछ अलग शायद मै खुद ही खो जाऊंगा..... #ओशो
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सुख कहीं मिलेगा, इस भ्रांति का नाम संसार है। सुख अभी है, यहीं है, इस बोध का नाम निर्वाण है। सुख किसी से मिलेगा, इस भ्रांति का नाम संसार है। सुख अपना स्वभाव है, इस जागृति का नाम मोक्ष है।। #ओशो
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क्या करेगा ज़माना न सोचो हारने का बहाना न सोचो जो अभी है यहीं है मज़ा लो कब मिलेगा ख़जाना न सोचो सामने कर्म है जो किए जा क्या है खोना या पाना न सोचो ज़िन्दगी राम के नाम कर दो माया का ताना-बाना न सोचो. ~समर्थगुरू @SiddharthAulia
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जहां प्रेम से भरा हुआ हृदय धड़��ेगा, वहीं एक और नया काबा , काशी पैदा होगी। क्योंकि जहा प्रेम है, वहां परमात्मा प्रगट हो जाता है। #ओशो
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यह तो मैखाना है, मधुशाला है। यहां तो पियक्कड़ों की जमात है। ये रिंद बैठे हैं। यहां तो अदृश्य शराब पी जा रही है, पिलाई जा रही है। अगर पीना हो, तो पीओ। और अगर हिम्मत हो, तो ही पी पाओगे। #ओशो
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आज के युग का साक़ी हूं मैं सभी रिन्दों की तिश्नगी हूं मैं सारा आकाश है खुदा जिनका ऐसे बंदों की बंदगी हूं मैं जो भी राज़ी हैं फ़ना होने को उनकी मस्ती-व-ज़िन्दगी हूं मैं कामिल 'मुर्शिद' की है तलाश जिन्हें उनकी आंखों की रोशनी हूं मैं ~समर्थगुरु @SiddharthAulia
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सुख कहीं मिलेगा, इस भ्रांति का नाम संसार है। सुख अभी है, यहीं है, इस बोध का नाम निर्वाण है। सुख किसी से मिलेगा, इस भ्रांति का नाम संसार है। सुख अपना स्वभाव है, इस जागृति का नाम मोक्ष है।। #ओशो
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प्रेम से भरी हुई आंख जहाँ पड़ेगी वहीं मंदिर निर्मित हो जाएंगे। प्रेम भरी आंख कण-कण में परमात्मा को देख लेती है। #ओशो
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क्या करेगा ज़माना न सोचो हारने का बहाना न सोचो जो अभी है यहीं है मज़ा लो कब मिलेगा ख़जाना न सोचो सामने कर्म है जो किए जा क्या है खोना या पाना न सोचो ज़िन्दगी राम के नाम कर दो माया का ताना-बाना न सोचो ~समर्थगुरू @SiddharthAulia
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धार्मिक व्यक्ति की पुरानी धारणा यह रही है कि वह जीवन विरोधी है। वह इस जीवन की निंदा करता है, इस साधारण जीवन की - वह इसे क्षुद्र, तुच्छ, माया कहता है वह इसका तिरस्कार करता है। मैं यहां हूं इसके प्रति तुम्हारी संवेदना को जगाने के लिये। #ओशो
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मनुष्य रूपी बीज में परमात्मा होने की संभावना छीपी है “प्रत्येक बीज में वृक्ष होने की संभावना छिपी है और जब तक बीज वृक्ष नही हो जाता तब तक दुखी है,अशांत है,बैचेन है,जैसे ही वो पूर्ण वृक्ष हो जाता है सुखी,शांत और आनंद मे आ जाता है। #ओशो
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आनंद गीता : चाहे जितना भी प्यारा हो, हर मीत विदा हो जाएगा। कुछ रस्म-रिवाजों के कार��, या खुद ही दिल भर जाएगा। जो हुआ उसे स्वीकार करो, बेहतर है खुद को प्यार करो। आत्मानं शरणम् गच्छामि, भज #ओशो शरणं गच्छामि।। ~समर्थगुरू @SiddharthAulia
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प्रेम बीज की तरह है जो रहस्य में छुप कर अंकुरित होता है, खिलता है, फलता है। नफरत गंदे पानी की तरह है, सभ्य लोग उसका परिष्कार कर सतह पर बहाते हैं। असभ्य लोग उसे यूँ ही नाले में बहा देते हैं। सदानंद का जिसने अनुभव किया है वही संत गुरुपद में स्थितहै।। #ओशो
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प्रेम सुगंध है, प्रेम संगीत है, प्रेम सौंदर्य है, प्रेम ही परमात्मा है। प्रेम का मतलब है..मिठास,माधुर्य.. जितनी मिठास होगी हमारे जीवन में उतना ही गहरा प्रेम होगा इस बात को समझ लो प्रेम और आनंद अलग नहीं है एक ही सिक्के के दो पहलू है। एक को खोज लो दूसरा अपने आप मिल जाएगा। #ओशो
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