FoE के सिपहसालार वामपंथियों की पहली पीढ़ी ने अपनी पूरी ऊर्जा नेशनलिस्ट और RW को अनपढ़ या गंवार साबित करने में ही खर्च कर दी थी। इसका नतीजा ये हुआ कि RW दोगुने जोर से मैदान में आया। अब लेफ्टिस्ट लिबटार्ड्स इसी बात से बौखलाए हुए हैं।
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कांड इसी बौखलाहट का नतीजा है
वामपंथ सृजन का नाम नहीं है ये फिर साबित हुआ है। वामपंथ सिर्फ बौखलाहट का नाम है। वर्चस्व और 'बने रहने की चाह' ही वामपंथ का परिचय है। इसके अलावा वामपंथ की एक और पहचान है, जो
#MeToo
में यदा-कदा सामने आती रहती है।