गाँव में मेरा अध्ययन कक्ष (लाइब्रेरी).. तमाम कोशिशों के बावजूद इसका उपयोग करने की लालसा स्थानीय युवाओं में नहीं दिखती.. हाइवे किनारे गाँवों की समस्या ये है कि न तो वो शहर बन पाए और न ही गाँव रह पाए…
@ASIFAZMI_DELHI
हमारे आपके लिये ये समझाना संभव नहीं है अगर उनके माता-पिता ही समझने को तैयार नहीं हो .. बहुतायत समाज को शॉर्टकट और बिना मेहनत के पैसे चाहिए.. समस्या यहाँ है और ये तब तक ख़त्म नहीं होगी जब तक मुफ़्त की रेवड़ियाँ सरकारें बाँटेंगीं और जनता को मुफ़्तख़ोरी की आदत लगाएगी ..
@anuranjanj
I request you to shift the same to my native village Muklawa, In District Sriganganagar, Rajasthan and all your books wind finds its reader soon.
@singh24021995
विदेश ख़ासकर यूरोप में लाइब्रेरी सिस्टम अभी ज़िन्दा है….ये बात बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले में मेरा गाँव है फुलवरिया .. हालाँकि ये जानकारी आप गूगल से भी पा सकते थे .. बस थोड़ी मेहनत करनी थी ..
@anuranjanj
We wouldn’t be where we are had the people not gave up on actual reading. Fast consumption can also be blamed for book reading becoming obsolete even in urban settings.
@anuranjanj
हिन्दी पट्टी में हिन्दी मार दी गई है साहित्यिक प्रकाशन संस्थान लगभग बंद हो गए है ज़्यादातर किताब वो अब लाइब्रेरी के लिए छापते है । मोबाइल ने रही कसी पूरी कर दी । लोग किताब को रील मान बैठे है । हम थोड़े दिनों में गंजी दुनिया में होंगे । आप को हिन्दी लेखक का मेहनताना पता होगा उसे…
@anuranjanj
युवा अगर लाइब्रेरी की तरफ मुड़ जाय और उससे जुड़ जायेगा, तो instagram आदि पर छपरी विडियो कौन डालेगा।
युवा पीढ़ी की समस्या रोजगार नहीं, बल्कि उसका मानसिक दिवालियापन है।