अबे जर्दाछाप अर्थशास्त्री !
GST की कलेक्शन बढ़ने का मतलब ये नहीं है कि अर्थव्यवस्था ने आसमान फाड़ दिया। इसका मतलब ये है कि मोदी ने राशन की लाइन में झोला लेकर खड़ी ग़रीब जनता से टैक्स की मोटी लूट की है...
क्योंकि सरकारी डाटा बताता है कि GST का सबसे बड़ा हिस्सा देश के सबसे ग़रीब…
GST कलेक्शन 2 लाख करोड़ के पार पहुंचा।
दुनिया covid और युद्ध के प्रकोप से उबर नहीं पा रही और भारतीय अर्थव्यवस्था रॉकेट बनी हुई है। एक दम्मे गर्दा गर्दा हो रखा है। 🙂
@MahenderTweets
अरे कुकुरमुत्ते, अर्थशास्त्र के बारे में ज्ञान देने से पहले ये तो सोचता कि तेरी औकात सुशांत के नाखून के बराबर भी नही है अनपढ़ बिस्कुटखोर ।
आज तक का सबसे हास्यास्पद वीडियो 😂 ABVP के सदस्य कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, पत्रकार ने पूछा कि क्यों, सब बेकाबू 😂 यह है औसत भाजपा समर्थक की IQ
नंदू तुझको, तेरे को तेरे काम पर भरोसा नहीं है क्या। part 1 song 🎵 ❣️
नंदू भाई, तू तो लगता है तेरे काम पर भरोसा ही नहीं है! कोई बात नहीं, तेरे दोस्त हैं ना तेरे साथ, हम सब मिलकर तुझे भरोसा दिलाएंगे!
@niiravmodi
नंदू तुझको, तेरे को तेरे काम पर भरोसा नहीं है क्या। Part 2 song 🎵 ♥️
नंदू भाई, तू तो लगता है तेरे काम पर भरोसा ही नहीं है! कोई बात नहीं, तेरे दोस्त हैं ना तेरे साथ, हम सब मिलकर तुझे भरोसा दिलाएंगे!
@MahenderTweets
मदरसा ज्ञानचदं, पूरा विश्व ऐसे की जनता के द्वारा दिए गए कर से ही चलता है , अगर कर ज्यादा दिया गया है इसका मतलब वस्तुयें और सेवाओं की खपत बढ़ी है और अगर खपत बढ़ी है इसका मतलब उत्पादन पढ़ा है और उद्पादन जनता के रोजगार से ही बढ़ता है झंडू पंचारिष्ट
अपनी रोज की रोटी का जुगाड़ नहीं ,…
@MahenderTweets
ओह भई नोबल अर्थशास्त्री ये कौन सा ज्ञान दे रहे हो GST पर। क्यों पब्लिकली अपना कटवा रहे हो।
GST कलेक्शन बड़ रहा है क्योंकि purchasing power बड़ रही है
purchasing power क्यों बड़ती है इतना तो पता ही होगा ना, लोगो की इनकम बड़ रही है।
This will continue to increase as govt…
@MahenderTweets
मतलब तुम्हारा मानना है जीएसटी कलेक्शन जितना कम होगा भारत की इकोनॉमी उतनी अच्छी होगी व्यापार ढप्प होंगे उतनी इकोनॉमी अच्छी होगी गजब कर दिया मतलब अंधविरोध में सब ढेकम पेल 😆
@MahenderTweets
अब इसको क्या ही कहे, यह व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का छोटा वर्जन व्हाट्सएप पाठशाला चलाने वाले है। कोई इस जर्दा छाप अर्थशास्त्री से पूछ ले कि अगर अर्थव्यवस्था ने इतना ही गर्दा उड़ा रखा फिर देश का कर्जा दिन प्रतिदिन क्यों बढ़ रहा है।