Vijay
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समर शेष है,अभी मनुज भक्षी हुंकार रहे हैं, गांधी का पी रुधिर , जवाहर पर फुंकार रहे हैं। समर शेष है,अहंकार इनका हरना बाकी है...
Joined July 2018
आज राहुल गांधी बोधगया थे। बोधिवृक्ष देखने गए। उन्होंने वहां प्रश्न किया " क्या यह बोधिवृक्ष ओरिजिनल है? वही है जिसके नीचे बैठकर सिद्धार्थ बुद्ध बन गए थे?" ऐसा ही सवाल कई बार हम सुनते हैं। क्या यह कांग्रेस असली कांग्रेस है? कॉन्ग्रेस तो अंग्रेजों ने बनाई है। असली वाली कांग्रेस
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“I shoot better.” आपको मृत्युदंड मिला है और आप पर गोली चलाई गई और आप अपने Executioner को ये कहने की हिम्मत रख सकते हैं? हां, जब आप सत्य और न्याय के समर्थन में खड़े हों। अन्याय और अत्याचार के विरोध में सिर्फ गांधीजी ही नहीं थे,20 वीं सदी के पहले 4 दशकों ने आने वाली दुनिया के
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1947 में भारत को आज़ादी मिली। भारत ने 6 साल में क्या क्या किया, इसकी छोटी सी झलक... 2000 वर्षों की दासता का रोना नहीं रोया...
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छत्रपति शिवाजी मायाभिरिन्द्रमायिनं_त्वं_शुष्णमवातिरः ऋग्वेद अर्थात् हे इन्द्र! मायावी, पापी, छली तथा जो दूसरों को चूसने वाले हैं, उनको तू माया से पराजित करता है। छत्रपति_शिवाजी के पिताजी का नाम शाहजी था, जानते हैं क्यों? शाह फारसी शब्द है और हिन्दू ये नाम क्यों रखे? सुनिए,
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नेहरू की जीवनी में, बी एन पांडे ने लिखा है कि उन्होंने अपना लंबा अध्यक्षीय भाषण 104 डिग्री के बुखार में लिखा था। बहरहाल, नेहरू ने नाभा प्रशासक के इस बयान को चुनौती दी थी कि अगर वे राज्य छोड़ने से इनकार करते हैं तो उन्हें और उनके सहयोगियों को उनकी सजा भुगतनी होगी। उन्होंने यह
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कोई टॉमी मीडिया का एंकर भौंक रहा था कि नेहरू ने अपनी आत्मकथा में नाभा जेल से छूटने के लिए माफी मांगी थी। गदहे की लीद खाने वालों से और कोई उम्मीद नहीं है। सुबह ही लिखा था जितना कीचड़ उछालने आयेंगे ये नेहरू पर, लोग उतना ही नेहरू को पढ़ेंगे और जानेंगे। अब आप पढ़िए:- ( अगर उस घटना
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हमें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि नेहरू आर्काइव अब https://t.co/HH1EoTyZ7v पर उपलब्ध है। यह भारत का पहला ऐसा डिजिटल संग्रह है जिसमें जवाहरलाल नेहरू के कई लेख, पत्र, भाषण और नोट्स एक साथ रखे गए हैं। इसे खास तरीके से बनाया गया है ताकि इसमें मौजूद हर जानकारी एक दूसरे से
nehruarchive.in
The Nehru Archive is an ongoing digital library project of Jawaharlal Nehru’s writings, speeches, etc., along with related documents, visual material and audios.
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डूबती_काँग्रेस_को_नेहरू_का_सहारा आज कांग्रेस उस मोड़ पर खड़ी है, जहां उसे अस्तित्व की भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है. सत्ता मिलने के बाद अनुशासन न होना और संगठन को उन्हीं के नेताओं द्वारा कमजोर करना कांग्रेस के पतन का सबसे बड़ा कारण रहा है. इस बात को नेहरु ने १९३७ में ही देख लिया और
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मैंने कुछ साल पहले एक बात कही थी। सोशल मीडिया पर कांग्रेस समर्थक और मोदी भाजपा संघ विरोधी सब जगह हावी हो चुके हैं।उनके narratives फेल हो रहे हैं।मोदी के वीडियो को dislikes, negative comments हो या ट्विटर पर कांग्रेस के खिलाफ डेलीबरटेली चलते poll में सभी में कांग्रेस समर्थकों
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90% स्ट्राइक रेट इतिहास में एक बार ही हुआ है, 1984 में, बेलट से चुनाव में। अब ये रोज का हो गया है। वोट चोरी है, साफ। न्याय प्रकृति पर छोड़ देना है। अपना काम करना है। इस धरती पर चमत्कार होते आए हैं। हो सकता है हम न रहें, लेकिन ये मिटेंगे तो ऐसे कि हिटलर भी शर्मा जायेगा। फिर से
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1947 के दंगों के बाद।कोई भी नेता बहुसंख्यक आक्रोश को भुना सकता था।नेहरू ने इसके बजाय यह घोषित किया कि भारत धर्म में तटस्थ रहेगा, नागरिकता में बराबर रहेगा, और राज्य किसी को उसका ईश्वर चुनकर नहीं देगा। इसलिए कहा जाता है भारत की विविधता भगवान ने नहीं बनाई, उसे संवैधानिक स्वरूप ने
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शाक्यमुनि एक राजकुमार थे। असली नाम सुकीती था। सिद्धार्थ बाद में दिया गया नाम है। संसार में मौजूद हर सुख उन्हें हासिल था पिता द्वारा, वे चक्रवर्ती सम्राट बन सकते थे। लेकिन पिता के साये से जब वे बाहर निकले , वो बुद्ध बन गए। वे इस देश को अमर कर गए। उन्होंने इस देश को असली विश्व
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पिता अपनी संतान के लिए क्या मायने रखता है, ये @RahulGandhi और मेरे जैसे लोग भली भांति जानते हैं। वे नसीब वाले भी इसे महसूस करेंगे जिनके सर पर पिता का साया आज भी है...
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धर्मेंद्र टॉमी मीडिया और सबसे तेज़ फेसबुकियों को "कुत्ते ,मैं तेरा खून पी जाऊंगा"
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भारत में लोकतंत्र की हत्या हमेशा आधी रात में नहीं होती। कभी-कभी वो दिन-दहाड़े होती है, फाइलों के बीच, स्टाम्प के नीचे, और नॉमिनेशन रिजेक्टेड की एक लाल मुहर में। दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव , यह वह जगह है जहाँ 2025 के लोकल बॉडी चुनावों में लोकतंत्र को बिना आवाज़ के दफनाया
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एंबुलेंस:- जहां मैं जाती हूं, वहीं चले आते हो। गाड़ी में बैठ के रील बनाते हो, ये तो बताओ कि तुम इतने नीच कौन हो? घंटेश:- इलेक्शन जीतने की लगन की ये बात है गद्दी से चिपकने की जतन की ये बात है मुझसे न पूछो तुम कि मुझसे नीच कौन है एंबुलेंस :- इलेक्शन के पहले सैनिक मरवाते
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1948 में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा था “जो ‘राज राजेश्वर’ का अर्थ राजा समझता है, उसे रवींद्र साहित्य का अर्थ नहीं पता। इस साहित्य का साधारण विद्यार्थी भी जानता है राज राजेश्वर का अर्थ ईश्वर को कहते है।” कर्नाटक भाजपा द्वारा ‘जन गण मन’ का विरोध… यह केवल एक गीत का अपमान
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यहां कवि क्या कहना चाहता है, कृपया विस्तार में समझाइए। इसके हिसाब से आरएसएस एक धर्म है, वैसे ही जैसे हिंदू धर्म। मतलब हिंदू धर्म से अलग धर्म है आरएसएस अथवा हिंदू धर्म भी एक अन रजिस्टर्ड ngo है
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✦ वंदे मातरम् को लेकर बहस नई नहीं है। ए. जी. नूरानी ने 1973 में लिखा था कि हिंदू और मुसलमान दोनों समुदायों में सांप्रदायिक तत्व इस गीत को हथियार बनाकर जनता को बांटते रहे हैं। वास्तव में विवाद क्या था? कुछ मुसलमान इसे देवी स्तुति मानते हैं और इसे अपने धर्म के तौहीद (एकेश्वरवाद)
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साल 1989 जगह...तियानमेन स्क्वायर, बीजिंग। लाखों छात्र और आम नागरिक लोकतंत्र की मांग लेकर खड़े थे। हाथों में सिर्फ तख्तियां और दिल में सपने थे। लेकिन सत्ता की बंदूकें सिर्फ आवाज़ें नहीं, जानें भी दबा देती हैं। टैंकों ने सड़कें नहीं, उम्मीदों को रौंदा। वहां लहू बहा, लेकिन
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